आज हम जिस तरह के सामाजिक-प्रतिस्पर्धात्मक समय से गुजर रहे हैं, उसमें कई तरह की बाधाओं, असफलताओं और कुंठाओं का होना और उनकी वजह से तनाव का उत्पन्न भी लाजिमी है। अगर ये तनाव अनुकूल और अल्प समय के लिए हों तो जीवन में विकास के लिए जरूरी और लाभदायक होते हैं परंतु जब ये एक तय सीमा से अधिक या व्यक्ति की सहनशक्तिसे परे हो जाते हैं तो उनकी वजह से कई तरह की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं जैसे- हार्मोनल-असंतुलन, उच्च-रक्तचाप, और हृदय संबंधी समस्याएं आदि उत्पन्न हो जाती हैं।
इसलिए आज के समय में तनाव को अनेक तरह की बिमारियों की जड़ माना जाता है और इसे गंभीरता से लिया जाता है। इसकी गंभीरता का अंदाजा आप इस तरह लगा सकते हैं कि यदि समय रहते इसके निवारण हेतु कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। तनाव-जनित स्वास्थ्य-समस्याओं की इसी गंभीरता को देखते हुए इसके प्रबंधन पर आज काफी जोर दिया जा रहा है।
इस लेख में, हम तनाव और उसके कारण स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के बीच के गहरे संबंधों का विश्लेषण करेंगे और यह भी जानेंगे कि इसे किस तरह से प्रबंधित किया जा सकता है।
तनाव का अर्थ:
जब किसी व्यक्ति के समक्ष अकस्मात् ऐसी कोई विषम परिस्थिति खड़ी हो जाती है जिसकी वजह से उस व्यक्ति का अस्तित्व, अखंडता या सुख-चैन खतरे में पड़ जाता है या पड़ता हुआ महसूस होता है तब तनाव उत्पन्न होता है।
युनिसेफ के अनुसार, तनाव एक आम भावना है जो हमें तब होती है जब हम दबाव में, अभिभूत या सामना करने में असमर्थ महसूस करते हैं। तनाव की थोड़ी मात्रा हमारे लिए अच्छी हो सकती है और हमें अपने वांछित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित कर सकती है। लेकिन इसका बहुत अधिक होना, खासकर जब यह नियंत्रण से बाहर हो तो यह हमारे मूड, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य तथा रिश्तों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
तनाव के कारण स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव:
अ) शारीरिक दुष्प्रभाव
जब व्यक्ति लंबे समय तक तनाव में रहता है, तो उस तनाव के कारण व्यक्ति के शरीर में कई तरह के विकार उत्पन्न हो सकते हैं, जिनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं;
१. हृदय संबन्धी रोग (Cardiovascular Diseases)
तनाव के कारण हृदय की धड़कन बढ़ जाती है, रक्तचाप उच्च हो जाता है और रक्त-वाहिकाएँ सिकुड़ जाती हैं। यदि ये स्थिति लंबे समय तक बरकरार रहे तो यह हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और ब्रेन स्ट्रोक जैसी समस्याओं का कारण बन सकती है। लंबे समय तक तनाव में बने रहने के कारण शरीर में कोर्टिसोल (Cortisol) नामक हार्मोन की मात्रा बढ़ती है, जिससे हृदय-रोग का जोखिम बढ़ता है।
२. प्रतिरक्षा-प्रणाली पर प्रभाव (Impact on Immune System)
तनाव का दुष्प्रभाव हमारे शरीर की प्रतिरक्षा-प्रणाली पर भी पड़ता है। जब शरीर तनावग्रस्त होता है, तो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है, जिससे बीमार पड़ने की संभावना बढ़ जाती है। दीर्घकालिक तनाव से व्यक्ति में संक्रमण की संभावनाएं बढ़ती जाती है नतीजा यह होता है कि शरीर विभिन्न प्रकार की बिमारियों से लड़ने में धीरे-धीरे असमर्थ होता जाता है।
३. पाचन संबन्धी समस्याएँ (Digestive Issues)
तनाव का पाचन-तंत्र पर बुरा प्रभाव पड़ता है। तनाव की स्थिति में शरीर में पाचन से जुड़े हार्मोन और एंजाइम का उत्पादन प्रभावित होता है। इससे व्यक्ति को अपच, गैस, कब्ज, और एसिडिटी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। दीर्घकालिक तनाव, कुछ परिस्थितियों में अल्सर और इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) जैसी गंभीर समस्याओं का कारण भी बन सकता है।
४. मोटापा (Obesity)
तनाव के कारण शरीर में भूख बढ़ाने वाले हार्मोन की मात्रा भी बढ़ जाती है। इससे व्यक्ति को चटपटे और अधिक कैलोरी वाले खाद्य-पदार्थों में रुचि बढ़ जाती है। नतीजतन, वह अधिक खाने लगता है और मोटापे का शिकार हो जाता है। जोकि खुद में एक गंभीर समस्या है और मधुमेह एवं हृदय-रोग का एक कारण होता है।
५. नींद की समस्या (Sleep Disorders)
तनाव का नींद पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यह साधारण सी बात है कि जब हम सोने के समय ज्यादा सोचने लगते हैं तो नींद हमारी आंखों से कोसों दूर हो जाती है। और जब यह हालात लम्बे समय तक बरकरार रहते हैं तो यह नींद की समस्या, बिमारी का रूप ले लेती है। भरपूर नींद नहीं होने से शरीर में थकान, स्वभाव में चिड़चिड़ापन के अलावा कई तरह की स्वास्थ्य-समस्याएं पैदा हो जाती हैं।
६. यौन-इच्छा में कमी (Sexual desire deficiency)
लगातार तनावग्रस्त रहने से यौन-इच्छा पर बुरा प्रभाव पड़ता है। तनाव के कारण यौन इच्छा से आपका ध्यान भटकता है जिससे सेक्स-टाइम कम होता है। दीर्घकालिक तनाव का दुष्प्रभाव सेक्सुअल हार्मोन पर भी पड़ता है जिसके फलस्वरूप यौन इच्छा में कमी होती है।
७. मधुमेह (Diabetes)
तनाव से कोर्टिसोल और अन्य स्ट्रेस-हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे शरीर की इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता कम हो जाती है। इससे रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ता है, जो मधुमेह रोग का कारण बनता है। यह स्थिति उन लोगों के लिए विशेषरूप से हानिकर होती है जो पहले से ही मधुमेह रोग से पीड़ित होते हैं।
७. त्वचा और बालों पर प्रभाव (Impact on Skin and Hair)
बालों का झड़ना और समय से पहले सफेद होना भी तनाव का परिणाम हो सकता है। तनाव के कारण त्वचा पर कील-मुंहासे, एक्जिमा जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं क्योंकि तनाव की स्थिति में शरीर हिस्टामाइन का उत्पादन करता है, जिसे "एलर्जी रसायन" भी कहते हैं।
ब) मानसिक दुष्प्रभाव
तनाव का नकारात्मक प्रभाव केवल शारीरिक ही नहीं अपितु मानसिक रूप से भी होता है। तनाव के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव निम्नलिखित हो सकते हैं;
१. अवसाद (Depression)
दीर्घकालिक तनाव, अवसाद का एक मुख्य कारण बनता है। जब व्यक्ति लंबे समय तक तनाव की स्थिति से गुजरता है तो उसके अंदर घोर निराशा और उदासी की भावना अंदर तक घर कर जाती है। जिसके कारण उसका दैनिक-क्रियाकलाप प्रभावित होता है। किसी भी काम में उसका मन नहीं लगता है, असफलता हाथ लगती है और जिन्दगी नीरस लगने लगती है।अवसाद के कारण व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता कम हो जाती है और उसे अपने रोजमर्रा के काम करने में भी कठिनाई महसूस होती है।
२. चिंता (Anxiety)
तनाव के कारण व्यक्ति को चिंता और बेचैनी की समस्या होती है। इसके कारण व्यक्ति को लगातार डर और आशंका का सामना करना पड़ता है, जिससे उसका मानसिक स्वास्थ्य और खराब होता जाता है।
३. यादाश्त और ध्यान में कमी (Memory and Concentration Issues)
तनाव का दुष्प्रभाव, व्यक्ति की स्मृति और ध्यान पर भी प्रभाव पड़ता है। दीर्घकालिक तनाव के कारण व्यक्ति की ध्यान केंद्रित करने की क्षमता और यादाश्त दोनों ही कम होती है। यह तनाव विशेषकर छात्रों, कामगारों, पेशेवरों के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकता है क्योंकि उनकी पढ़ाई, उत्पादकता और काम की गुणवत्ता, सभी प्रभावित होती है।
४. पैनिक अटैक (Panic Attacks)
पैनिक अटैक, चिंता और भय की एक तीव्र भावना है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति अचानक अत्यधिक डर और घबराहट महसूस करता है। इस तरह की स्थिति विशेष रूप से तब उत्पन्न होती है जब व्यक्ति अपने जीवन में होने वाली किसी खास घटना को लेकर अत्यधिक चिंतित और गंभीर तनाव की स्थिति में पहुँच जाता है।
तनाव को प्रबंधित करने के महत्वपूर्ण उपाय:
ये सही है कि दीर्घकालिक तनाव का प्रभाव प्रायः गंभीर होता है फिर भी यदि इसे प्रभावी तरीके से प्रबंधित किया जाय तो नि:संदेह इसके दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है। तो आइये हम तनाव-प्रबंधन के कुछ प्रमुख उपायों के बारे में चर्चा करते हैं, जो निम्नलिखित हैं;
१. व्यायाम (Exercise)
व्यायाम के दौरान शरीर में एंडोर्फिन्स नामक हार्मोन का स्राव होता है, जो हमारे मूड को प्रफुल्लित बनाता है जिससे हमारा मन हल्का होता है फलस्वरूप तनाव कम हो जाता है। इसके अलावा, व्यायाम से शरीर चुस्त-दुरूस्त और ऊर्जावान होता है साथ ही नींद की गुणवत्ता भी सुधरती है। इसीलिए नियमित व्यायाम, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
२. योग और ध्यान (Yoga and Meditation)
योग और ध्यान, तनाव-प्रबंधन का अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रभावशाली उपाय है। इनसे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिलती है। यौगिक क्रियाओं से जहाँ शरीर में ताजगी, स्फूर्ति तथा आध्यात्मिक-शक्ति का संचार होता है, वहीं ध्यान से मन की शांति प्राप्त होती है। ये दोनों ही क्रियाएँ व्यक्ति को मानसिक रूप से स्थिरता प्रदान कर, तनाव के प्रभावों को कम करने में सहायक सिद्ध होती हैं।
३. स्वस्थ और संतुलित भोजन (Healthy & balanced Diet)
स्वस्थ और संतुलित आहार का सेवन, तनाव को कम करने में मदद करता है। मौसमी फल, सब्जियों तथा साबुत अनाज से युक्त खाद्य-पदार्थ जहाँ तनाव के दुष्प्रभावों को कम करते हैं वहीं शरीर को निरोगी एवं ऊर्जावान बनाते हैं। कैफीन तथा अल्कोहल का सेवन आवश्यकतानुसार और नियंत्रित मात्रा में ही करें।
४. गहरी नींद (Sound sleep)
गहरी नींद और स्वास्थ्य का आपस में गहरा नाता है। पर्याप्त और गहरी नींद से व्यक्ति को शारीरिक तथ मानसिक रूप से भरपूर विश्राम मिलता है जिससे उसके संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार होता है। इसके परिणामस्वरूप मौजूद तनाव में काफी सुधार होता है। इसके अलावा गहरी नींद से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता और यादाश्त में भी वृद्धि होती है।
५. मजबूत सामाजिक-रिश्ते (Strong relationship)
मनुष्य सामाजिक प्राणी है। स्वास्थ्य की दृष्टि से मजबूत रिश्ते, अच्छे निवेश की तरह होते हैं। इसलिए घर-परिवार, मित्रों, रिश्तेदारों के साथ संबंध मधुर बनाये रखें और आवश्यक संवाद जारी रखें। जब कोई व्यक्ति सामाजिक रूप से अलग-थलग पड़कर एकाकी जीवन व्यतीत करता है तो तनाव उसके जीवन पर आसानी से हावी हो सकता है।
६. संगीत और कला (Music and Art)
संगीत सुनने से मन को शांति मिलती है और यह तनाव को कम करने में सहायक होता है। इसके अलावा, कला के माध्यम से व्यक्ति अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकता है और उसे मानसिक संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है।
सारांश:
तनाव और स्वास्थ्य के बीच अत्यंत गहरा सम्बन्ध है। तनाव पहले तो एक सामान्य मानसिक प्रतिक्रिया के रूप में जन्म लेता है। लेकिन वही तनाव यदि लंबे समय तक और अनियंत्रित रूप से कायम रहे तो उसका परिणाम गंभीर हो सकता है और वह कई तरह के स्वास्थ्य-समस्याओं का कारण बन सकता है। हृदय रोग, मधुमेह, पाचन-समस्याएं, और प्रतिरक्षा प्रणाली की कमजोरियों जैसे विभिन्न स्वास्थ्य संबंधित मुद्दे, तनाव के दीर्घकालिक प्रभावों का परिणाम हो सकते हैं। इसके अलावा, तनाव मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है, जिससे अवसाद, चिंता, और नींद जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
इसलिए, यह आवश्यक हो जाता है कि हम तनाव को हल्के में लेकर नजरअंदाज न करें। इसको सही समय पर पहचानें, इसके कारणों का पता लगाएं और इसे प्रबंधित करने के लिए आवश्यक कदम उठाएं। नियमित व्यायाम, योग-ध्यान, स्वस्थ आहार, गहरी नींद और संतुलित जीवनशैली अपनाकर हम तनाव के प्रभावों को कम कर सकते हैं। जब हम तनाव को नियंत्रित करना सीखते हैं, तो न केवल हमारा शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर होता है, बल्कि हम मानसिक रूप से भी अधिक सक्षम और शांत महसूस करते हैं।
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