25 मई 2023

खेलकूद का जीवन में महत्व (Importance of Sports in Life)

प्रस्तावना:

खेल, वह प्रक्रिया है जो हमें मायूसी से दूर रखता है, मानसिक तनाव से मुक्त करता है एवं मन की शांति प्रदान करता है। खेलकूद, हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। खेल हमारे नीरस जीवन में ऊर्जा का संचार करता है। खेल से व्यक्ति का सर्वांगीण विकास होता है। इसीलिए खेलों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। स्कूल, कालेजों में खेल पर अधिक खर्च किया जा रहा है। जीवन के हर क्षेत्र की तरह, खेलों में भी आज महिलाएँ, पुरूषों से कदम से कदम मिला कर चल रही हैं और देश का नाम रोशन कर रही हैं। हाकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के जन्म दिन २९ अगस्त को हर साल राष्ट्रीय खेल-दिवस के रूप में मनाया जाता है। खेलों को महत्व देने के लिए विश्व स्तर पर खेल प्रतियोगिता का आयोजन होता है, जिसे ओलंपिक खेल कहते हैं। इसका आयोजन हर चार साल पर होता है। एशियाई खेलों का आयोजन भी हर चार साल पर होता है। इसके अलावा और भी खेल प्रतियोगिताएँ जैसे-विश्व कप क्रिकेट, विश्व कप शतरंज आदि समय-समय पर होती रहती हैं जिनसे खेलों को बढ़ावा मिलता है और लोगों की खेल के प्रति रुचि बढ़ती है। खेलों में, खिलाड़ियों के साथ-साथ खेल देखने और सुनने वालों का भी भरपूर मनोरंजन होता है। खेल मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं; इनडोर गेम और आउटडोर गेमखेलों का चयन करते समय खेल के प्रति अपनी दिलचस्पी, शारीरिक क्षमता, दक्षता आदि को ध्यान में अवश्य रखना चाहिए।  



Sr. No.

CONTENTS

1

प्रस्तावना

2

खेल बच्चों की स्वाभाविक क्रिया है 

3

खेल के प्रकार

4

राष्ट्रीय खेल दिवस

5

खेल-भावना

6

खेलों की भूमिका

7

विद्यार्थियों के लिए खेल क्यों आवश्यक हैं?

8

खेलों का महत्व

9

खेल से लाभ

10

निष्कर्ष

11

खेलकूद से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न  (FAQ) 


खेलों के प्रति समाज में जो सोच आज है, पहले नहीं थी। कुछ दसक पहले तक, जनमानस में खेलों के प्रति धारणा अलग थी। वे समझते थे कि बच्चों का खेलना बेकार है, समय की बर्बादी  है। उनका मानना था कि बच्चों को खेल-कूद कर समय गंवाने से अच्छा, पढ़ाई-लिखाई करके, उनको अपना भविष्य बनाना चाहिए। जैसा कि उस समय के चर्चित स्लोगन से स्पष्ट होता है "पढ़ोगे-लिखोगे, होगे नवाब। खेलोगे-कूदोगे, होगे खराब।।

बदलते समय के साथ लोगों का खेलों के प्रति नज़रिया भी बदला है। आज खेलों का मतलब, समय की बर्बादी नहीं समझा जाता है, बल्कि खेलों में लोगों को अब उज्जवल भविष्य नज़र आता है। आज, लोग खेलों के महत्व को समझने लगे हैं। बच्चों में खेलने की उभरती हुयी प्रतिस्पर्धी खेल-भावना को, आज दबाया नहीं जा रहा है, बल्कि उसे हर स्तर पर ध्यान देकर उभारा जा रहा है। यदि किसी भी बालक या बालिका का किसी भी अन्तर्राष्ट्रीय खेल में बचपन से रुचि है और वह पूरे तन-मन से उस खेल का अभ्यास करे तो मेरे विचार से उपरोक्त कथन आज कुछ इस तरह चरितार्थ हो सकता है- पढ़ोगे-लिखोगे तो होगे नवाब। लगन से खेलो तो बन सकते सरताज।। 

मेजर ध्यानचंद, मेरीकोम, विश्वनाथन आनंद, सचिन तेंदुलकर, कपिलदेव, महेंद्र सिंह धोनी, विराट कोहली, पी. वी. सिंधु, अभिनव बिंद्रा, प्रकाश पादुकोण, साइना नेहवाल, सानिया मिर्जा, पी. टी. ऊषा, मिल्खा सिंह, वाइचुंग भुटिया आदि इसके ज्वलंत उदाहरण हैं। 

खेल, बच्चों की स्वाभाविक क्रिया है;

बच्चे अपनी अलग-अलग अवस्थाओं में अलग-अलग तरह के खेल खेलते हैं। ये खेल ही होते हैं जो बच्चों के संपूर्ण विकास में सहायक होते हैं। कम उम्र के बच्चों के सामने जो भी चीज नजर आती है वे उसी से खेलना शुरू कर देते हैं चाहे वो धूल और मिट्टी ही क्यों न हो? यह बच्चों की स्वाभाविक क्रिया है, यही बचपना है। खेलों से बच्चों में शारीरिक, मानसिक, नैतिक विकास को बढ़ावा मिलता है। खेल से बच्चों की मनोवैज्ञानिक जरूरतें पूरी होती हैं। स्कूली शिक्षा की तुलना में खेल के दौरान बच्चों में एकाग्रता, कल्पनाशीलता, स्मृति आदि की भावना उच्चतर स्तर पर काम करती है। खेलों में बच्चों को अपने व्यवहार को निखारने का बेहतर और सुरक्षित अवसर मिलता है तथा तार्किक क्षमता व कौशल विकसित करने में मदद मिलती है।

खेल के प्रकार:


1.  इनडोर गेम- 

वे खेल जो घर के भीतर या लान में खेले जाते हैं, उन्हें इनडोर गेम कहते हैं। जैसे- शतरंज (चेस), कैरम, चोर-सिपाहीलूडोसांप सीढ़ी, म्यूजिकल चेयर, कार्ड गेम्स, मार्बल्स, सुडोकू, लट्टू आदि। इनडोर गेम्स में मौसम का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। जगह कम लगता है। कम श्रम की आवश्यकता होती है। चोट लगने की संभावना नहीं होती है। शतरंज में कैरियर बनाने के अच्छे अवसर होते हैं। दिमागी कसरत वाले खेल जैसे शतरंज और सुडोकू, दिमाग की एकाग्रता एवं पैनापन को बढ़ाते हैं।

2. आउटडोर गेम

बहुत से खेल घर से बाहर, मैदान में खेले जाते हैं, उन्हें आउटडोर गेम कहते हैं। इनको खेलने के लिए बड़े मैदान की जरूरत होती है। ये खेल मौसम से प्रभावित होते हैं। बाहर खेले जाने वाले खेल, शारीरिक-स्वास्थ्य और मानसिक तंदुरुस्ती को सुधारने में बहुत मदद करते हैं। इसमें चोट लगने की संभावना रहती है। शारीरिक फिटनेस के लिए उपयुक्त होता है। अधिक श्रम की आवश्यकता होती है। बच्चों के सामाजीकरण के लिए आवश्यक है। इसमें कैरियर बनाने के अवसर अधिक होते हैं।


फुटबॉल- यह पुराने समय से खुले मैदान में खेले जाने वाला बहुत ही लोकप्रिय खेल है। खेल के मैदान की लंबाई ११०-१२० गज और चौड़ाई ७०-८० गज होती है। फुटबॉल प्रायः दुनियाँ भर में खेला जाता है। यह दो टीमों के बीच बाल को पैरों से मारकर खेला जाता है। प्रत्येक टीम में ११ खिलाड़ी होते हैं और एक रेफरी होता है, जिसका निर्णय दोनों टीमों को मान्य होता है।

क्रिकेट- क्रिकेट की शुरुआत दक्षिणी इंग्लैंड से हुई है। यह १०० से अधिक देशों में खेला जाता है। यह भारत में बहुत लोकप्रिय है। यह दो टीमों के बीच बैट और बाल से खेला जाता है। प्रत्येक टीम में ११ खिलाड़ी होते हैं। दो अंपायर होते हैं जिनकी सहायता के लिए एक तीसरा अंपायर भी होता है। खुले मैदान के बीच में खेल की एक आयताकार पिच होती है, जिसका माप २०.२२ मीटर × ३.०५ मीटर होता है। क्रिकेट की विश्वस्तरीय संस्था ICC ( International Cricket Council) है और भारत में क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड- BCCI (Board of Control for Cricket in India) है। क्रिकेट में IPL (Indian Premier League) काफी लोकप्रिय हुआ है। क्रिकेट का खेल तीन प्रारूपों में खेला जाता है- टेस्ट क्रिकेट, एकदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट (ODI- One Day International) और ट्वेंटी-ट्वेंटी।

हाॅकी- हाॅकी भी दो टीमों के बीच हाॅकी स्टिक और बाल से मैदान में खेला जाता है। जिसमें प्रत्येक टीम में ११ खिलाड़ी होते हैं और एक रेफरी होता है जो खेल का निर्णय देता है। 

बैडमिंटन- यह ४४ फीट × २० फीट के आयताकार कोर्ट पर जो एक नेट के द्वारा दो भागों में विभक्त होता है, दो विरोधी खिलाड़ी (एकल) या दो विरोधी खिलाड़ियों (युगल) के बीच शटलकॉक से खेला जाता है। 

बाॅलीबाल- यह खेल १८ × ९ मीटर के आयताकार कोर्ट में दो टीमों के बीच खेली जाती है। जिसमें प्रत्येक टीम में ६ खिलाड़ी होते हैं। कोर्ट के बीच में एक जाली बंधी होती है, जिसके दोनों ओर से दोनों टीमें खेलती हैं।
 
कबड्डी- यह भारत में पुराने समय से खेला जाने वाला खेल है। पहले यह भी काफी लोकप्रिय था पंरतु क्रिकेट के आगे इसकी लोकप्रियता काफी कम हुई है। 

खो-खोखो-खो, दो टीमों के बीच, मैदान में खेला जाने वाला पुराना भारतीय खेल है। पारंपरिक रूप से यह महाराष्ट्रियन खेल है। प्रत्येक टीम में १२ खिलाड़ी होते हैं।

टेबल टेनिस- इसमें दो या दो से अधिक खिलाड़ी होते हैं। इसको सिंगल या डबल में खेला जाता है। इसमें टेनिस रैकेट और बाल की आवश्यकता होती है। 

कुश्ती- पहलवानी के नाम से विख्यात, यह खेल पुराने समय से चलन में है। इसमें शारीरिक बल और कुश्ती के दांव-पेंच मायने रहता है। 

राष्ट्रीय खेल दिवस:


हाॅकी के जादूगर कहे जाने वाले हमारे देश के महान खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद (२९ अगस्त, १९०५ - ०३ दिसम्बर, १९७९) के जन्म-दिन २९ अगस्त को हर साल राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। उनका जन्म, उत्तर-प्रदेश के इलाहाबाद (वर्तमान में प्रयागराज) में हुआ था। ध्यानचंद अपने जमाने के हाकी के बेहतरीन खिलाड़ी थे। उनके खेल के दौरान, भारतीय टीम ओलिंपिक खेलों में लगातार ३ बार (१९२८, १९३२, १९३६) हाकी में स्वर्ण पदक जीती थी। 

सौजन्य: You Tube

विश्व में उनकी शोहरत का अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि ध्यानचंद के खेलों से मुरीद होकर जर्मनी का तानाशाह एडोल्फ हिटलर ने उन्हें जर्मनी के तरफ से खेलने का न्योता दिया था। लेकिन देश-प्रेमी ध्यानचंद ने हिटलर का न्योता ठुकरा दिया और अपने देश भारत की तरफ से ही खेला।

खेल-भावना:

खेलों से, खिलाड़ियों में खेल-भावना जागृत होती है। खिलाड़ियों को एक-दूसरे का सम्मान करने के साथ सद्भाव के साथ खेलने, हार के बाद भी धैर्य और संयम रखकर जीत का जज्बा संजोने और सतत् प्रयत्नशील रहकर लक्ष्य प्राप्ति की भावना खिलाड़ियों में खेल से ही आती है। वह खेल-भावना ही होती है जो रंग, रूप, देश, जाति, धर्म के भेद को भुलाकर सिर्फ और सिर्फ खेल की भावना से खेलते हुए जीत-हार के बाद भी, खिलाड़ी एक-दूसरे से हाथ मिलाते हैं।

खेलों की भूमिका:


यह लोगों को शारीरिक रूप से मज़बूत, सक्रिय और दिमागी रूप से सतर्क बनाता है। अच्छा स्वास्थ्य और शांत मस्तिष्क के निर्माण में खेलों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह शरीर के निष्क्रिय अंगों को सक्रिय बनाता है। यह शरीर को पूर्णरूप से स्वस्थ बनाये रखने में मदद करता है। विद्यार्थी खेल गतिविधियों में भाग लेकर विशेष रूप से लाभान्वित हो सकते हैं। यह शरीर और मन की शक्ति और ऊर्जा के स्तर को बढ़ा देता है। खेलों से नीरस जीवन में सरसता आती है। चूंकि खेलों के प्रति विशेष रुझान, एक व्यक्ति और एक राष्ट्र दोनों को ही स्वस्थ और मजबूत बनाता है। इसलिए अभिभावकों, शिक्षकों और देश की सरकारों के द्वारा इसको अधिक से अधिक प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। 

विद्यार्थियों के लिए खेल क्यों आवश्यक हैं?

विद्यार्थियों के लिए तो शिक्षा के साथ-साथ खेल भी जरूरी है। विद्यालयों, स्कूलों, कालेजों में शिक्षा को एक आवश्यक अंग माना जाता है। खेलों से संबंधित अनेक प्रकार की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। विद्यालयों में वार्षिक खेल समारोह होते हैं। खेलकूद से विद्यार्थियों में टीमवर्क, नेतृत्व, प्रतिस्पर्धा, लगन, जिम्मेदारी, धैर्य, अनुशासन और आत्मविश्वास जैसे गुण विकसित होते हैं जो कि बच्चों को उनके जीवन के लक्ष्यों को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। छात्रों को अपने जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अपनी शारीरिक और मानसिक क्षमताओं पर काम करने का अवसर मिलता है। खेलों से शारीरिक अंगों का समुचित विकास होता है। खेलने से बच्चों में भरपूर मनोरंजन होता है जिससे पढ़ाई के तनाव से मुक्त होकर तरोताजा हो जाते हैं। खेल से निगाहें पैनी होती हैं तथा दिमाग तेज होता है। खेलों में अपनी कमियों का अवलोकन एवं सुधार करने का अवसर मिलता है। वही देश विकास करता है जिसकी युवा पीढ़ी सशक्त हो और ऐसा बिना खेलकूद के बिना संभव नहीं है।

खेलों का महत्व:


सफल जीवन के लिए शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का होना जरूरी है। शरीर को नियमित रूप से स्वस्थ्य रखने के लिए खेल सबसे अच्छा तरीका है। किसी भी व्यक्ति की सफलता उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य तथा ऊर्जा पर निर्भर करती है, जो कि बहुत से खेलों जैसे- फुटबॉल, क्रिकेट, हाकी, कबड्डी, खो-खो आदि को खेलने से आसानी से सुलभ होता है। इसीलिए खेलों का जीवन में बहुत महत्व है। दुनियाँ के विकसित राष्ट्र, खेलों को बहुत महत्व देते हैं। ओलंपिक खेलों में खिलाड़ियों द्वारा जीते गए मेडल से ही इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है। खेल, सभी के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है विशेष रूप से विद्यार्थियों के। यहाँ तक कि सभी को अपने व्यस्त दिनचर्या से थोड़ा वक्त खेल के लिए निकालना चाहिए। कोई जरूरी नहीं है कि खेल, मैदान में ही खेला जाय। खेल तो छोटे बच्चों के साथ भी खेला जा सकता है। नियमित रूप से खेल खेलने से शरीर स्वस्थ और मन प्रफुल्लित रहता है। काम में व्यस्त रहना अच्छा है परन्तु कुछ लोग अपने को काम में इतना व्यस्त कर लेते हैं कि उन्हें न दिन का पता होता है न रात का। इससे बहुत से लोग अल्प समय में प्रचुर धन तो अर्जित कर लेते हैं पर बहुमूल्य स्वास्थ्य को गंवा देते हैं। विभिन्न प्रकार की बिमारियों के शिकार हो जाते है। उस समय खेल और मनोरंजन का महत्व समझ में आता है। इसलिए शरीर को आराम और मन में शांति और सुकून जरूरी है। जिसके लिए खेल खेलना, सर्वोत्तम उपाय है। 

खेल से लाभ: 

खेल, हमारे जीवन में बहुत लाभदायक हैं।

  • खेल-कूद से शारीरिक, मानसिक एवं व्यक्तित्व विकास होता है।
  • झिझक दूर होती है तथा मेलजोल की भावना बढ़ती है।
  • यह हमें शारीरिक रूप से तंदुरुस्त और मानसिक रूप से आराम प्रदान करता है।
  • खेलों के नियमित अभ्यास से शरीर स्वस्थ और मन सक्रिय होता है और हम दिनभर ऊर्जावान बने रहते हैं। 
  • शरीर गठीला और फुर्तीला होता है।
  • मांसपेशियां तथा पाचन-तंत्र मजबूत होता है। 
  • शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। 
  •  खुलकर भूख लगती है। अच्छी नींद आती है। 
  • खेल से साहस और आत्मविश्वास बढ़ता है।
  • खिलाड़ियों में धैर्य, लगन, निष्ठा, इमानदारी, अनुशासन, कर्तव्यपरायणता, चारित्रिक आदि गुणों का विकास होता है।
  • टीम भावना जागृत होती है और नेतृत्व क्षमता बढ़ती है। 
  • विषम परिस्थितियों से उबरने का गुण विकसित होता है। 
  • इच्छा शक्ति प्रबल होती है। 
  • सहिष्णुता, धैर्य, एकाग्रता एवं साहस का विकास होता है। 
  • ऊंचे स्तर पर पहुँचने पर मान-सम्मान, धन-दौलत, सब कुछ मिलता है। 
  • खेलों से समय-प्रबंधन, और समूह में अपने आप को कुशलतापूर्वक व्यवस्थित करने की सीख मिलती है।
  • हृदय रोग, मोटापा, मधुमेह, रक्तचाप, गठिया आदि की समस्या नहीं होती। 
  • जीवन के पथ पर आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।
  • खेल से राष्ट्रीय एकता की भावना को बढ़ावा मिलता है। 
उपसंहार:

खेल का जीवन में बहुत महत्व है। खेल, तनाव दूर करने का बेहतर माध्यम है। खेलों के प्रति सभी लोग, चाहे बच्चा हो, जवान हो या बूढ़े ही क्यों न हों, सभी उत्साहित होते हैं। खेल-कूद, स्वास्थ्यवर्धक होते हैं। बचपन में खेलों से गहरा संबंध होता है। खेल के माध्यम से बच्चे, नयी-नयी चीजें सीखते हैं। खेलों में जय-पराजय से खिलाड़ी के अंदर जीवन की हर परिस्थितियों में जीवन जीने की कला का विकास होता है। वे जहाँ हार से सबक लेते हैं और अपनी कमियों को दूर करते हैं, वहीं जीत उन्हें नया जोश, नयी उमंग, और प्रेरणा से भर देती है। हर कोई अपने देश की टीम की जीत देखना पसंद करता है। जब कोई खिलाड़ी किसी खेल में अच्छा खेलता है तो उससे देश का नाम रोशन होता है। आजकल अच्छे खिलाड़ियों का समाज में मान-सम्मान के साथ धन भी प्रचुर मात्रा में मिलता है। सभी लोगों को किसी न किसी खेल-गतिविधि में जरूर भाग लेना चाहिए जिससे शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ और ऊर्जावान बने रहें। खेलों में बहुत सारे लाभ के साथ कुछ नुकसान भी हो सकते हैं, जैसे- खेल की लत लगना। इसके अलावा कुछ खेलों में चोट लगने की भी संभावनाएँ होती हैं।

Must Read:

खेलकूद से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ):

१. प्रश्न: खेलकूद, जीवन में क्यों आवश्यक है?

उत्तर: खेलकूद हमारे शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार करता है। हमारे शरीर को हृष्ट-पुष्ट, सुडौल और ताकतवर बनाता है तथा रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। यह हमारे मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है, चिंता को भी कम करता है, और अच्छी नींद प्रदान करता है।

२. प्रश्न: खेलकूद कैसे सामाजिक कौशलों को बढ़ावा देता है?

उत्तर: खेलकूद सामाजिक कौशलों का विकास करने में मदद करता है क्योंकि यह हमें टीमवर्क, सहयोग, और आत्म-विश्वास के क्षेत्र में विकास करने का अवसर प्रदान करता है।

३. प्रश्न: क्या खेलकूद केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए ही महत्वपूर्ण है?

उत्तर: नहीं, खेलकूद हमारे मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक कौशलों को भी बढ़ावा देता है। यह हमें संतुलन बनाए रखने, समस्या समाधान करने, और दृढ़ता बनाए रखने में मदद करता है।

४. प्रश्न: खेलकूद का बच्चों की पढ़ाई में क्या योगदान होता है?

उत्तर: खेलकूद, बच्चों के मानसिक विकास में योगदान करता है। यह उनकी संचार, समय-प्रबंधन, टीमवर्क और नेतृत्व कौशलों को बढ़ावा देता है। खेलकूद के द्वारा, बच्चे समस्याओं के समाधान की योजना बनाने और उन्हें क्रियान्वित करना बेहतरीन ढंग से सीखते हैं।

५. प्रश्न: खेलकूद क्या सिर्फ युवाओं के लिए ही है?

उत्तर: नहीं, खेलकूद सभी उम्र के लोगों के लिए है। यह उम्र के हर पड़ाव में शारीरिक, मानसिक, और सामाजिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।

श्रोत: गूगल

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