प्रस्तावना:
भारत एक विशाल और विविधताओं से भरा देश है। यहाँ की संस्कृति, भाषा, धर्म, परंपराएँ और जीवनशैली भी अत्यंत विविधतापूर्ण हैं। यही विविधता ही तो भारत की सबसे बड़ी खूबसूरती है। "भारत में विविधता में एकता" केवल एक कहावत ही नहीं, बल्कि हजारों वर्षों से चलती आ रही सजीव परंपरा है, भावना है जो भारतीय समाज के मूल में रची-बसी है। यहाँ लोग तमाम भिन्नताओं के बावजूद आपसी भाईचारा, सहिष्णुता और सांस्कृतिक एकता के सूत्र में बंधे हुए हैं।
भारत की विविधता का परिचय:
भारत में आपको हर कुछ सौ किलोमीटर की दूरी पर समाजिक व्यवहार में कुछ न कुछ अंतर दिख जायेगा, चाहे वह बोलचाल की भाषा हो, वेशभूषा हो, खान-पान या रहन-सहन हो। उत्तर भारत में जहाँ हिंदी, पंजाबी और उर्दू का बोलबाला है, वहीं दक्षिण भारत में तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम जैसी भाषाएँ बोली जाती हैं। पूर्व में असमिया, मिज़ो, नागा, मणिपुरी आदि भाषाएँ हैं, और पश्चिम में गुजराती, राजस्थानी और मराठी जैसी भाषाएँ अपनी पहचान बनाए हुए हैं।
अब आप खुद ही सोच सकते हैं कि इतनी भाषाओं, धर्मों और संस्कृतियों के होते हुए भी भारत के लोग एक राष्ट्र की भावना से जुड़े हुए हैं। यह विविधता भारतीय लोकतंत्र, संविधान और सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति हमारी आस्था को भी दर्शाती है।
१. भाषा की विविधता:
भारत में संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त २२ भाषाएँ (हिन्दी, उर्दू, पंजाबी, बांग्ला, गुजराती, मराठी, तमिल, तेलुगू, उड़िया, कन्नड़, असमिया, मलयालम, कश्मीरी, मैथिली, नेपाली, कोंकणी, डोंगरी, बोड़ो, मणिपुरी, संस्कृत, सिंधी, संथाली) हैं जबकि बोलियाँ तो हजारों में हैं। इतनी भाषाएँ होने के बावजूद, लोग आपस में संवाद कर लेते हैं और एक-दूसरे का सम्मान करते हैं।
२. धार्मिक विविधता:
भारत में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन आदि विभिन्न धर्मों के अनुयायी रहते हैं। सभी धर्मों के प्रमुख पर्व और त्यौहार जैसे – दीवाली, ईद, क्रिसमस, गुरुपर्व, बुद्ध पूर्णिमा आदि मिलजुल कर मनाये जाते हैं।
३. भोजन एवं पहनावे की विविधता:
हर क्षेत्र में भोजन में भी विविधता है। दक्षिण भारत में डोसा-इडली, उत्तर भारत में पूरी-सब्जी, पश्चिम में ढोकला और पूरनपोली, तो पूर्व में माछ-भात और मोमोज। इसी प्रकार हर राज्य की वेशभूषा भी विशेष होती है। परंतु ये सभी विविधताएँ भारतीय संस्कृति का ही हिस्सा हैं।
४. भौगोलिक विविधता:
भारत के उत्तर में बर्फ से ढकी हिमालय की पर्वत श्रृंखलाएँ हैं तो दक्षिण में समुद्र तट है। पश्चिम में जहाँ थार का विशाल रेगिस्तान है तो पूर्व में घने जंगल हैं। यह भौगोलिक विविधता लोगों की जीवनशैली को विशेष रूप से प्रभावित करती है, परंतु राष्ट्रीयता की भावना सबको आपस में जोड़ती है।
विविधता में एकता का महत्व:
"एकता में शक्ति है" – यह कहावत भारत पर पूरी तरह लागू होती है। यहाँ की विविधता को बांधकर रखने वाला सूत्र है – आपसी भाईचारा, सहिष्णुता और राष्ट्रप्रेम। स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, रानी लक्ष्मीबाई आदि देश के अलग-अलग हिस्सों से थे, लेकिन सभी का उद्देश्य एक ही था, "देश को आज़ाद कराना।"
जब भी देश पर कोई प्राकृतिक आपदा या राष्ट्रीय संकट आता है, तब सभी भारतीय एवं धुरविरोधी राजनीतिक दल भी एकजुट होकर साथ खड़े हो जाते हैं। अभी २२ अप्रैल २०२५ को में पहलगाम में हुये आतंकी हमले के बाद भारत की तरफ से किये गए "आपरेशन सिंदूर" में भारत की एकता और देशभक्ति का अनूठा प्रदर्शन देखने को मिला।
शिक्षा और संविधान की भूमिका:
भारत का संविधान भी "विविधता में एकता" की भावना को बढ़ावा देता है। यह सभी नागरिकों को समान अधिकार देता है, चाहे वे किसी भी धर्म, भाषा, जाति या क्षेत्र से हों।
शिक्षा भी इस भावना को मजबूत करती है। स्कूलों में राष्ट्रगान, विविध त्योहारों का उत्सव, और राष्ट्रीय पर्वों पर एक साथ कार्यक्रम आयोजित करना बच्चों को एकता का अनुभव कराता है।
विविधता को एकता में बदलने वाले तत्व:
- राष्ट्रीय प्रतीक जैसे- राष्ट्रध्वज- तिरंगा, राष्ट्रगान- जन-गण-मन, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी।
- त्योहारों की साझेदारी – एक-दूसरे के पर्वों में शामिल होकर खुशियाँ बाँटना।
- खेलकूद – जैसे क्रिकेट, जिसमें पूरा देश एक झंडे के नीचे खड़ा होता है।
- सामाजिक समरसता – शादी-विवाह त्योहार, मेले, सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भागीदारी।
आज की चुनौतियाँ और समाधान:
हालाँकि कभी-कभी जाति, धर्म, भाषा या क्षेत्रीयता के नाम पर तनाव देखने को मिलता है, लेकिन यह भारत की असली आत्मा नहीं है। हमें समझना चाहिए कि यह विविधता हमारी ताकत है, कमजोरी नहीं।
समाधान के उपाय:
- आपसी संवाद को बढ़ाना।
- दूसरों की परंपराओं का सम्मान करना।
- शिक्षा और मीडिया के माध्यम से सकारात्मक दृष्टिकोण बढ़ाना।
- सामूहिक आयोजनों में सहभागिता।
निष्कर्ष:
"भारत में विविधता में एकता" केवल एक वाक्य नहीं, बल्कि भारतीय समाज की आत्मा है। यहाँ की अनेकता में कोई विघटन नहीं, बल्कि समरसता और सौहार्द है। यह भावनात्मक और सांस्कृतिक एकता ही है, जिसने भारत को सैकड़ों वर्षों की गुलामी, विभाजन और संघर्ष के बावजूद एक राष्ट्र के रूप में खड़ा रखा है।
हमें गर्व है कि हम एक ऐसे देश के नागरिक हैं, जहाँ हर भिन्नता भी एकता का प्रतीक है। आने वाले समय में भी यदि हम इसी भावना को बनाए रखें, तो भारत न केवल आंतरिक रूप से मजबूत बना रहेगा, बल्कि विश्व मंच पर भी "एकता में शक्ति" का उदाहरण बनकर उभरेगा।
✍️ संक्षेप में:
"भारत एक बगिया है, जहाँ अनेक फूल खिले हैं,
रंग-रूप तो अलग हैं, पर जड़ें आपस में मिले हैं।"
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