पृथ्वी पर जल और वायु, दो ऐसे महत्वपूर्ण पदार्थ हैं जो जीवन के लिए परम आवश्यक हैं। जल के बिना हम कल की जिंदगी के बारे में सोच भी नहीं सकते। पृथ्वी का तीन चौथाई हिस्सा जल है। समूचे जल का लगभग ३% भाग मीठे जल का है जो कि पीने के योग्य है और वह नदियों, तालाबों, सरोवरों, हिमनदों पहाड़ों पर जमी बर्फ और भूमिगत जल के रूप में विद्यमान है। बाकी ९७% जल खारा है जो पृथ्वी के ७५% भाग में फैले महासागरों में अवस्थित है। वह पीने योग्य नहीं है। हमारे शरीर में जल की मात्रा ७०% के लगभग होती है। दुनियाँ में अमूमन ८५% बिमारियों की जड़, अशुद्ध पेय-जल है।
मनुष्य खाने के बिना तो कुछ दिन गुजार सकता है किन्तु जल के बिना संभव नहीं। धरती पर उपलब्ध बहुमूल्य पदार्थों में जल प्रमुख हैं। जल सभी जीवधारियों के जीने का आधार है। पृथ्वी पर जितने जीव रहते हैं उससे कहीं ज्यादा जल में रहते हैं। सबसे बड़ा जीव, ह्वेल भी जल में ही रहती है। अगर जल नहीं तो जल में रहने वाले वो सभी जीव भी नहीं रहेंगे।
जल से ही खेती की जाती है और अनाज उगाया जाता है जिससे हम सभी की उदरपूर्ति होती है। जल की महत्ता दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है क्योंकि सदियों पहले पृथ्वी पर जल की जितनी मात्रा थी, वो आज भी उतनी ही है। उसमें लेशमात्र भी बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। अलबत्ता जनसंख्या में विस्फोटक वृद्धि होने के कारण जल की खपत में कई गुना वृद्धि हुई है। इसीलिए कहा जाता है कि जल ही जीवन है। जितना हो सके, इसे सम्हाल कर खर्च करें अन्यथा जल नहीं तो कल नहीं।
Contents:-
जल चक्र
जल के गुण
- जीवन का आधार: जल, सभी जीवों के जीवन का मूल आधार है। हम भोजन के बिना कुछ दिन तक जी सकते हैं, लेकिन जल के बिना बिल्कुल नहीं।
- कृषि में योगदान: जल, कृषि में फसलों के उगाने के लिए जरूरी है।
- उद्योग में प्रयोग: अधिकांश उद्योगों में जल की आवश्यकता होती है, चाहे वह उत्पादन, शोधन या शीतलन के लिए हो।
- विद्युत उत्पादन: जल से हाइड्रो-पावर स्टेशनों में विद्युत उत्पादित होती है।
- घरेलू उपयोग: हम जल का उपयोग पीने, नहाने, खाना पकाने, सफाई आदि के लिए करते हैं।
- जैव विविधता: जल नदियों, झीलों, समुद्रों और महासागरों में रहने वाले अनगिनत प्राणियों और वनस्पतियों के जीवन का आधार है।
- जलवायु परिवर्तन: जल वातावरणीय पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- पर्यटन: झीलें, नदियाँ और समुद्र-तट, पर्यटन स्थलों के रूप में लोकप्रिय हैं जिससे आर्थिक लाभ प्राप्त होता है।
- यातायात और परिवहन: नदियों और समुद्रों का उपयोग माल की ढुलाई और यातायात के लिए किया जाता है।
जल संकट:
सौजन्य: Live Today |
जल संकट के प्रमुख कारण:
- जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश का औसत रूप से कम होना।
- पेड़ों की अंधाधुंध कटाई।
- वर्षा के जल का उचित संरक्षण और संभरण न होना।
- कल-कारखानों से निकले हुए जहरीले एवं प्रदूषित जल को नदियों में सीधे प्रवाहित कर उसे भी प्रदूषित करना।
- भूमिगत जल का बहुत बड़ा हिस्सा खेती में फसलों की पारंपरिक सिंचाई के रूप में खर्च होना।
- जनसंख्या में हो रही बेतहाशा वृद्धि से पानी की खपत में निरंतर बढ़ोतरी।
- लोगों में जगरूकता की भारी कमी।
- जल संकट के प्रति लोगों की उदासीनता और अनावश्यक खर्च, एक प्रमुख कारण है। शहरों में बहुमंजिली इमारतों, फ्लैटों के शौचालयों में लगे फ्लश-सिस्टम से एक बार में १० से १५ लीटर जल खर्च होता है। जबकि दो-चार मग पानी से भी ये काम हो सकता है। लेकिन ऐसा नहीं होता है। सभी यही सोचते हैं कि अकेले मेरे ही बचत कर लेने से आखिर, क्या होने वाला है? नतीजतन, जल का बेहिसाब अपव्यय होता रहता है।
- देश-प्रदेश की सरकारों का भी जलसंकट के प्रति गंभीर न होना और स्थाई समाधान न ढूंढ़ना।
जल संकट को दूर करने के उपाय:
1. किसानों को अपने-अपने खेतों की मेढ़ को एक निश्चित ऊंचाई तक करने से वर्षा का जल खेतों में ही संरक्षित होने लगेगा।
2. रोजमर्रा की जिंदगी में जल के खर्च करने के तरीकों में बदलाव करके।
3. वर्षा के जल को पोखरों, तालाबों तथा सरोवरों में
अधिक से अधिक संभरण (storage) करके। भारत में बर्षा के कुल जल का केवल १५% ही
उपयोग में लाया जाता है और बाकी ८५% जल, नदियों के द्वारा बहकर महासागरों में चला
जाता है।
4. बेकार जल को रिसाइक्लिंग करके-
शहरों में जल की कुल खपत का ६५% हिस्सा, सीवर नालों में बहा दिया जाता है। इसमें से वो जल जो नहाने, कपड़े धोने, बर्तन साफ करने के काम में लिया हुआ रहता है, उसे "ग्रे वाटर" कहते हैं। शौचालयों से निकले हुए जल को "ब्लैक वाटर" कहते हैं। ग्रे वाटर की रिसाइक्लिंग के लिए जल को एक टैंक में विभिन्न सतहों में बिछाये गये पत्थर, कंकड़ और रेत से गुजार कर निथारा जाता है और साफ किया जाता है। वहीं ब्लैक वाटर को अमोनिया और दूसरे रासायनिक पदार्थों से शोधित किया जाता है।
इजराइल जैसे छोटे से देश में, जहाँ औसत वर्षा बहुत कम होते हुए भी वहाँ जल की कोई समस्या नहीं है। कारण है, वहाँ जल की अति विकसित प्रबंधन तकनीक। जिससे जल की एक बूंद को भी व्यर्थ नहीं जाने दिया जाता है। इजराइल में जल की कुल खपत का ६०% आपूर्ति, संशोधित जल से की जाती है।
5. अधिक से अधिक संख्या में वृक्षारोपण करना।
6. कल कारखानों से निकले हुए दूषित पदार्थों को नदियों, जलाशयों में जाने से रोकना, ताकि नदियों और जलाशयों का जल प्रदूषित होने से बच सके।
7. कृषि वयवस्था में परिवर्तन करके-
1. कृषि क्षेत्र में बदलाव:
खाद्यान्न को लेकर हमारे देश में लायी गयी हरित-क्रांति योजना के
तहत रासायनिक खादों और कीटनाशकों का प्रयोग बहुतायत से हुआ है। जिसके कारण भूमिगत
जल ज्यादा दूषित हुआ है। अतः कृषि व्यवस्था में परिवर्तन की अत्यंत आवश्यकता है।
रासायनिक खाद की जगह जैविक खाद का उपयोग करना हितकर है।
सार:
प्रश्न: "जल ही जीवन है" वाक्य क्या संकेत करता है?
उत्तर: यह वाक्य जल के महत्व को बताता है, जो प्रकृति में विद्यमान सभी जीवधारियों के लिए आवश्यक है। हमारे जीवन के लिए अपरिहार्य है। बिना पानी के, जीवन संभव नहीं है।
प्रश्न: जल संरक्षण क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: जल संरक्षण महत्वपूर्ण है क्योंकि जल संसाधन सीमित हैं और प्राकृतिक जल की अपूर्णता बढ़ रही है। इसके अलावा, जल प्रदूषण और बढ़ती हुई जनसंख्या ने इसे और भी ज्यादा अहम बना दिया है।
प्रश्न: हम जल संरक्षण में अपना योगदान कैसे दे सकते हैं?
उत्तर: हम पानी की बर्बादी को रोकने, अनावश्यक तौर पर पानी का उपयोग न करने, पानी के रिसाव को कम करने, और पानी की पुनः प्राप्ति तथा पुनर्चक्रण के तरीकों को अपनाकर अपना योगदान दे सकते हैं।
प्रश्न: जल प्रदूषण के क्या प्रमुख कारण हैं?
उत्तर: जल प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं: औद्योगिक अपशिष्ट, खेती से आने वाले रसायन, घरेलू कचरा, तेल रिसाव, और सीवेज का असंगठित निपटारा।
प्रश्न: जलवायु परिवर्तन से जल संसाधनों पर कैसा प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा के पैटर्न में परिवर्तन होते हैं, जो सीधे जल संसाधनों को प्रभावित करते हैं। अतिवृष्टि और सूखा, दोनों ही जल संसाधनों को चुनौती पेश करते हैं। यह हमारे पानी की आपूर्ति पर बुरा प्रभाव डालता है और पानी संरक्षण की आवश्यकता को और अधिक महत्वपूर्ण बनाता है।
बहुत अच्छा लेख है।
जवाब देंहटाएंउत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद!
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