दुनियाँ में हर इंसान, सफल एवं खुशहाल होना चाहता है किन्तु सभी ऐसा नहीं हो पाते हैं। कई बार तो ऐसा होता है कि मेहनत करने के बाद भी सफलता हासिल नहीं होती, उस समय लोग अपनी किस्मत को दोष देते हुए परिश्रम करना ही छोड़ देते हैं। इसके पीछे बहुत से कारण हो सकते हैं। प्रायः सबके जीवन में कुछ न कुछ मुश्किलें होती हैं। यह नहीं भूलना चाहिए कि सफलता की राह, असफलता से ही होकर गुजरती है।
जो मनुष्य सफलता के नियम का पालन करता है, अपने जीवन के सफर में आने वाली हर मुश्किलों, बाधाओं का डटकर मुकाबला करता है और संघर्ष करते हुए आगे बढ़ता है, मंजिल तक वही पहुंचता है। सफलता भी उसी के कदम चूमती है। जैसे कि महान संत कबीर दास जी ने कहा है;
जिन ढूंढ़ा तिन पाइयां, गहरे पानी पैठि।
Contents:
- सफलता क्या है?
- सफलता का मूल्यांकन भी जीवन की अवस्था के हिसाब से अलग-अलग होता है
- सफलता के नियम / सफलता के मूल मंत्र
- सफलता की राह में आने वाली बाधाएँ
- सफलता से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
सफलता क्या है?
सफलता का मूल्यांकन भी जीवन की अवस्था के हिसाब से अलग-अलग होता है; जैसे-
बाल्यावस्था में विद्यार्थी, शैक्षणिक परीक्षाओं में अच्छे अंकों से उत्तिर्ण होकर खुश होते हैं तो कुछ बच्चे खेल-कुद में बहुत अच्छा प्रदर्शन कर अपने को सफल बनाते हैं।
युवावस्था में, युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाएं पास कर अच्छी से अच्छी नौकरी प्राप्त करना या अपना अच्छा सा व्यवसाय स्थापित करना, इस अवस्था की सफलता मानी जाती है।
प्रौढ़ावस्था मे, मनुष्य की कामयाबी अपने बच्चों को उचित संस्कार एवं जीवनोपयोगी शिक्षा दिलाने के साथ अधिक से अधिक धनोपार्जन और उसका संचय करना होता है।
बृद्धावस्था तो, कमोबेश सबके लिए पीड़ादायक होती है। इसलिए इस अवस्था में यह जरूरी होता है कि मनुष्य का स्वास्थ्य ऐसा हो कि वह अपनी रोजमर्रा की जिन्दगी से जुड़े अपने आवश्यक कामों को खुद से कर सकें और किसी के उपर बोझ न बनें।
सफलता के नियम / सफलता के मूल मंत्र:
१. इच्छाशक्ति: मनुष्य की प्रबल इच्छाशक्ति, उसके संकल्प को पूरा कर सफलता दिलाने में मददगार साबित होती है।
२. वचनबद्धता: वचनबद्धता, एक ऐसा गुण है जिसके कारण कोई भी इंसान समाज में लोगों का विश्वास जीतता है। लोग उसकी कही हुयी बातों पर भरोसा करते हैं। एक कामयाब आदमी चाहे कुछ भी हो जाये जबान देकर मुकरता नहीं है बल्कि अपनी बात पर अडिग रहता है और वह हमेशा, “प्राण जाए पर वचन न जाए” में विश्वास करता है।
३. जिम्मेदारी लेना: जिम्मेदारी के साथ काम करने वालों का मनोबल बढ़ता जाता है साथ ही साथ समाज में उसका कद भी ऊंचा होता है। लोग उसे सम्मान की दृष्टि से देखते हैं।
४. कड़ी मेहनत: कड़ी मेहनत, सफलता का मूल मंत्र है। कहने का तात्पर्य यह है कि परिश्रम ही वह सुनहरी चाबी है जो सौभाग्य का द्वार खोल देती है। हमारे शास्त्रों में कहा गया है,
उद्यमेन हि सिद्ध्यंति कार्याणि, न मनोरथैः।
अर्थात् परिश्रम करने से ही सफलता मिलती है, केवल सोचते रहने से नहीं। जैसे सोये हुए सिंह के मुंह में मृग, अपने आप नहीं जाते हैं। सिंह को भी अपने आहार हेतु शिकार करना ही पड़ता है।
५. ऊंचा चरित्र: सफलता की उच्च शिखर पर चढ़ने के लिए व्यक्ति को ऊंचे चरित्र का होना भी बहुत जरूरी है। चरित्र वह मजबूत बुनियाद है, जिस पर सफलता का महल दीर्घकाल तक टिका रहता है।
६. सकारात्मक नजरिया: एक सफल व्यक्ति का नजरिया सदैव सकारात्मक होता है। इससे जीवन जीने का दृष्टिकोण ही बदल जाता है। जीवन आनंदित होता है और पूरी दुनियाँ उसे रंगीन लगने लगती है। सकारात्मक नजरिया वालों से दूसरे लोगों को भी प्रेरणा मिलती है।
७. आत्मविश्वास: अपनी योग्यताओं और शक्तियों पर विश्वास करना, आत्मविश्वास कहलाता है। आत्मविश्वास वह ऊर्जा है जो मनुष्य को सफलता के मार्ग में आने वाली हर बाधाओं, कठिनाइयों से लड़ने की शक्ति प्रदान करती है।
८. दृढ़ विश्वास: दृढ़ विश्वास से व्यक्ति के मार्ग में चाहे कितनी भी मुश्किलें आयें, वह अपने मार्ग से तनिक भी विचलित नहीं होता। वह संघर्ष जारी रखता है और अंत में अपनी मंजिल पर पहुँच ही जाता है।
९. अपने काम में गर्व महसूस करें: जिन्दगी को खुलकर जीयें और अपने मनचाहे काम को पूरा करने के बाद, अपने उपर गर्व महसूस करें।
१०. नयी चीजें सीखते रहें: कहा जाता है कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती। इसलिए अपने जीवन को सफल बनाने के लिए व्यक्ति को नित नयी-नयी चीजें सीखते रहना चाहिए और अपना ज्ञानवर्धन करते रहना चाहिए।
११. अनुशासन: अनुशासन सफलता का आवश्यक अंग है। इसलिए यह देखा गया है कि सभी सफल व्यक्तियों का जीवन बेहद अनुशासित रहा है।
१२. आत्मसम्मान:
१३. अच्छे लोगों की संगति: संगति का जीवन में बड़ा महत्व है। संगति के उपर एक कहावत है, “जैसा संग वैसा रंग”। यानी मनुष्य की जैसी संगति होती है, वैसा ही उसका स्वभाव होता है। इसलिए सफलता हासिल करने के लिए जरूरी है कि सफल व्यक्तियों का साथ हो।
१५. लक्ष्य निर्धारित करना:
सफलता हासिल करने के लिए लक्ष्य का निर्धारिण के साथ उस पर फोकस करना अत्यंत आवश्यक है। महाभारत का एक प्रेरक प्रसंग है-
एक बार गुरु द्रोणाचार्य ने अपने शिष्यों की परीक्षा लेने के लिए मिट्टी की बनी हुई चिंड़िया एक पेड़ पर रखवा दिये। और अपने शिष्यों से बारी-बारी से उस चिंड़िया की आंख में निशाना लगाने को कहा। इसके लिए, गुरु ने एक शिष्य को बुलाया और पूछा, “तुम्हें क्या दिखाई दे रहा है?" शिष्य ने उत्तर दिया, “गुरुदेव! मुझे तो बहुत सारे पेड़, चिंड़िया और आप सभी लोग भी दिखाई दे रहे हैं।” गुरु ने उस शिष्य को एक तरफ हटाया। दूसरे शिष्यों को भी बारी-बारी से बुलाया तथा सबसे वही प्रश्न किया। सबने कुछ वैसा ही जबाब दिया।
१६. अच्छा स्वास्थ्य: सफलता की सीढ़ियों पर लगातार चढ़ने के लिए के लिए मनुष्य का अच्छा स्वास्थ्य जरूरी है। दैनिक जीवन में कुछ आदतें जैसे, सुबह उठकर टहलना, व्यायाम करना, अच्छी पुस्तकें पढ़ना तथा संतुलित आहार लेकर अपने आप को स्वस्थ रखा जाता है।
१७. जरूरत के हिसाब से रिस्क लें: सफलता हासिल करने के लिए एक सीमा तक रिस्क लेना आवश्यक है। अगर आप जीवन में रिस्क लेना सीख गये तो आप कोई भी काम आसानी से पूरा कर सकते हैं।
१८. सबसे जरूरी काम पहले करें: आप अपने काम की लिस्ट चेक करें और वह काम पहले करें जो सबसे महत्वपूर्ण और जरूरी हो। यह बहुत ही अच्छी आदत है। इस तरह से काम करने से सफलता के साथ-साथ, आत्मविश्वास और मनोबल बढ़ता है।
- अहंकार
- असफलता का डर
- आत्मसम्मान की कमी
- दृढ़ता की कमी
- कोई सटीक योजना का न होना
- टालमटोल की आदत
- कोई निश्चित लक्ष्य न होना
- एकाग्रता की कमी
- आर्थिक सुरक्षा से जुड़े मसले
- ट्रेनिंग की कमी
- प्राथमिकताएं न तय कर पाना
- पारिवारिक ज़िम्मेदारियां
- सारा बोझ खुद ही उठाना
- जुड़ाव न महसूस करना
निष्कर्ष:
खुशहाल जीवन के लिए सतत् प्रयत्नशील रहना चाहिये। सफलता की राह बिल्कुल भी आसान नहीं होती, बल्कि मुश्किलों वाली होती है। फिर भी सफलता के जुनूनी, राह में आने वाली हर बाधाओं का डटकर सामना करते हैं। वे असफलता से कभी मायूस नहीं होते, हार नहीं मानते और अंततोगत्वा अपनी सूझबूझ तथा परिश्रम के बल पर सफलता प्राप्त कर ही लेते हैं। जब किसी मनुष्य के जीवन में छोटी-छोटी सफलताओं का सिलसिला अनवरत चलता है तो वह मनुष्य कामयाबी के शिखर पर चढ़ता चला जाता है और समाज में एक मिसाल बन जाता है।
सफलता से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
प्रश्न-१: सफलता का मतलब क्या होता है?
उत्तर: विभिन्न व्यक्तियों के लिए सफलता का मतलब अलग-अलग हो सकता है। परंतु सामान्य रूप से "आत्म-निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति ही सफलता कहलाती है।"
प्रश्न-२: सफलता के लिए जरूरी क्षमताएं कौन-कौन सी होती हैं?
प्रश्न-३: सफलता का सच्चा माप क्या है?
उत्तर: सफलता का सच्चा माप, व्यक्तिगत प्रगति और संतुष्टि हो सकती है। यदि आप अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर रहे हैं और आपके जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है, तो आप सफल हो सकते हैं।
प्रश्न-४: अधिक सफल होने के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर: अधिक सफल होने के लिए, आपको निरंतर अपने लक्ष्यों की ओर काम करना होगा, नई चीज़ें सीखना होगा, और अपनी गलतियों से सीखना होगा। स्वास्थ्य, संबंध, और स्व-विकास पर ध्यान देना भी महत्वपूर्ण है।
संबंधित लेख जिन्हें आपको अवश्य पढ़ना चाहिए-
- अच्छा स्वास्थ्य
- सकारात्मक नजरिया
- आदर्श दिनचर्या
- संगति; जीवन में महत्व
- हार्ड वर्क बनाम स्मार्ट वर्क
- जीवन में अनुशासन क्यों जरूरी है?
- समय प्रबंधन (Time Management)
- सफल जीवन के लिए अच्छी आदतें
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जवाब देंहटाएंSundar lekh hai
जवाब देंहटाएंThanks!
हटाएंGood work
जवाब देंहटाएंkeep going
प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद🙏
हटाएंBahut badhiye...likhte rahiye
जवाब देंहटाएंLikhte rahiye
जवाब देंहटाएंThanks!
हटाएंबहुत बढ़िया👍👍
जवाब देंहटाएंWell explained .
जवाब देंहटाएंPersonally for me, the definition of success could be different from others which is already explained
In summarize
If a person is healthy (Physically & mentally) and the ultimate result is positive of his doing and helpful for wellbeing of humanity
IS A SUCCESSFUL PERSON
Regards
F R PATEL
Thanks a lot for your encouragement. Keeping visiting for more!!!
हटाएंMargadarshak lekh
जवाब देंहटाएंDhanyavaad!!
हटाएंInspirational article
जवाब देंहटाएंThanks!
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