प्रायः सभी लोग अपने जीवन में कमोबेश मानसिक तनाव से गुजरते ही हैं। शायद ही ऐसा कोई मनुष्य होगा जो कभी न कभी मानसिक तनाव या टेंशन का अनुभव न किया हो। किसी से भी उसका हाल चाल पूछने पर प्रायः लोगों की जुबान पर इसी तरह का जबाब आता है, यार! क्या बताएं बहुत टेंशन है। तनाव किसी चीज के बारे में अधिक सोचने से होता है। आज के परिवेश में जीवन शैली कुछ ऐसी होती जा रही है कि बडे़ बूढ़े ही नहीं, बच्चे और युवा तक प्रायः सभी टेंशन में हैं।
बच्चों को पढाई और परीक्षा में अच्छे नंबरों से पास होने का टेंशन। बड़ों को बच्चों की अच्छी परवरिश, उनकी शिक्षा और शादी-विवाह का टेंशन। नौकरी पेशा वालों को नौकरी की टेंशन तो व्यापारियों को व्यापार का टेंशन इत्यादि। सौजन्य- गूगल |
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मानसिक तनाव क्या है?
मानसिक तनाव क्या है?
जब हम किसी चीज के बारे में बहुत अधिक गहराई सोचते हैं तो दिमाग की नसों पर दबाव बढ़ जाता है जिससे दिमाग पर बोझ पड़ता है जिसे मानसिक तनाव या टेंशन या स्ट्रेस कहते हैं। एक सीमा के अंदर के तनाव को मष्तिष्क आसानी से झेल सकता है परन्तु जब वही तनाव लगातार लंबे समय के लिए होता है तो मष्तिष्क तनाव के बोझ से अनियंत्रित हो सकता है और स्थिति खतरनाक हो सकती है।
मानसिक तनाव के प्रकार:-
तनाव कई तरह के होते हैं जिनमें मुख्य रूप से दो निम्न हैं,
१. सकारात्मक तनाव:
जब कोई मनुष्य जीवन का महत्वपूर्ण लक्ष्य या सफलता हासिल करने के लिए तनाव लेता है तो उसका परिणाम सुखद होता है तो उसे सकारात्मक तनाव कहते हैं। इससे मनुष्य को जीवन में सफलता मिलती है, उसका मनोबल बढ़ता है तथा उसकी जिन्दगी खुशहाल और बेहतर होती है। मिसाल के तौर पर जब कोई परीक्षार्थी किसी परीक्षा में अच्छे नंबरों से उतीर्ण होने के लिए दिमाग पर लोड लेता है और परीक्षा में अच्छे रैंक से उतीर्ण होता है या कोई खिलाड़ी अपनी टीम को जिताने के लिए तनाव लेता है और जब उसकी टीम जीत जाती है तो उसे खुशी का ठिकाना नहीं रहता है। सकारात्मक तनाव से जीवन में सफलता, सम्मान और समृद्धि सब कुछ मिलता है।सौजन्य- गूगल |
२. नकारात्मक तनाव:
· शारीरिक तनाव: शारीरिक क्षमता से अधिक काम करने की स्थिति में, समय से भोजन और पर्याप्त नींद न लेने से शरीर में थकान, सुस्ती व तनाव महसूस होता है।
· भावनात्मक तनाव: आपसी रिश्ते अच्छे न होना, पारिवारिक रिश्तों में गहरी दरार पड़ने या संबंध विच्छेद हो जाने की स्थिति में भावनाएँ बुरी तरह से आहत होती हैं और इससे जो तनाव उत्पन्न होता है वह भावनात्मक तनाव कहलाता है। भावनात्मक तनाव, शारीरिक तनाव से अधिक पीड़ादायक होता है। इसका प्रभाव गहरा और दीर्घकालिक हो सकता है।
· तीव्र तनाव: यह आकस्मिक कारणों से हो जाता है जो कि किसी को न तो पहले से पता होता है और न तो उसके लिए कोई पहले से तैयार होता है। जैसे किसी से अचानक झगड़ा या मारपीट हो जाना। ऐसी स्थिति में मन के उपर जो तनाव होता है वह तीव्र होता है। हालांकि यह तनाव प्रायः लंबे समय तक नहीं रहता। कारण समाप्त हो जाने पर यह स्वतः समाप्त भी हो जाता है।
· पुराना तनाव: किसी अप्रिय घटना का जीवन पर गहरा सदमा, असंतुलित जीवन शैली, अति महत्वाकांक्षा, कमाई से अधिक खर्च करने की आदत आदि से उत्पन्न होने वाला तनाव जब दीर्घकालिक होता है तो पुराने तनाव की श्रेणी में आता है। इसका प्रभाव गंभीर होता है। लंबे समय से अनिद्रा, सिरदर्द, तेज धड़कन, सीने में दर्द आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं। यदि समय रहते इसको दूर करने का प्रभावी ढंग से उपाय न किया गया तो उच्च रक्तचाप, मधुमेह, एंग्जाइटी और मानसिक आघात जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।
मानसिक तनाव के कारण:- मानसिक तनाव के बहुत सारे कारण हो सकते हैं जिनमें से प्रमुख निम्न हैं-
१. शरीर का गंभीर रोग से ग्रसित होना:
जब कोई मनुष्य कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का शिकार होता है तो रोग की चिंता उसके मन में हमेशा सताने लगती है। उसे लेकर मन में अनेक प्रकार के बुरे ख्याल आते रहते हैं और जिन्दगी तनावग्रस्त हो जाती है।
२. पर्याप्त नींद न लेना:
कभी-कभी लोग काम के बोझ से काम पूरा करने के चक्कर में पर्याप्त नींद नहीं लेते लेकिन जब ये सिलसिला लगातार चलने लगता है तो सेहत पर उसका बुरा असर पड़ता है और मानसिक तनाव का कारण बनता है।
३. अकेलापन:
मनुष्य सामाजिक प्राणी है किन्तु किन्हीं विशेष परिस्थितियों में जब वह लम्बे समय तक अकेले रहता है तो अपने अच्छे-बुरे विचारों को किसी से साझा न कर पाने की स्थिति में तनावग्रस्त रहने लगता है और कभी-कभी तो डिप्रेशन तक का शिकार हो जाता है।
४. नयी जिम्मेदारी लेना:
जब किसी को कोई नयी जिम्मेदारी मिलती है तो उसके मन में चिंता बढ़ जाती है और यह डर सताने लगता है कि पता नहीं कि वह अपने नयी जिम्मेदारी को ठीक ढंग से निभा पायेगा या नहीं।
५. असफलता का डर:
बहुत से लोग अपने काम की सफलता को लेकर हमेशा सशंकित रहते हैं जो कि तनाव का एक प्रमुख कारण होता है।
६. आत्मविश्वास की कमी:
जिनमें आत्मविश्वास की कमी होती है उनको हर काम बोझ लगता है और तनाव महसूस करते हैं।
७. गैरकानूनी या बुरे काम करना:
एक प्रसिद्ध कहावत है, “बुरे काम का बुरा नतीजा होता है” तो गलत काम करने वालों को प्रायः उसके बुरे अंजाम का तनाव तो उनके अंदर से बना ही रहता है भले ही बाहर से खुश रहने का दिखावा करते हों।
८. वंशानुगत:
मानसिक रोगियों के बच्चों में भी मानसिक रोग होने की प्रबल संभावना होती है।
९. धुम्रपान का अत्यधिक सेवन:
धुम्रपान एवं शराब के अत्यधिक सेवन से स्वास्थ्य बिगड़ जाता है। जिसके कारण उनके सगे संबंधी उनसे दूरी बनाने लगते हैं। इस वजह से अधिकांश लोग सामाजिक रूप से उपेक्षित महसूस करने की स्थिति में मानसिक रूप से तनावग्रस्त हो जाते हैं।
१०. किसी अप्रिय घटना का घटित होना:
परिवार में किसी प्रिय सदस्य की आकस्मिक मृत्यु होने पर, पति-पत्नी में अनबन या सम्बन्ध विच्छेद हो जाने पर, नौकरी के चले जाने या व्यवसाय ठप हो जाने की स्थिति में अधिकांश लोग सदमा बर्दास्त नहीं कर पाते हैं और मानसिक तनाव का शिकार हो जाते हैं।
११. पारिवारिक और आर्थिक समस्या:
निरंतर पारिवारिक कलह, गरीबी और आर्थिक परेशानियों से जुझते रहने से मनुष्य अंदर से टूट जाता है और मानसिक तनाव में जीने लगता है।
१२. बच्चों को एक दूसरे से तुलना कर कोसना:
ईश्वर ने दुनियाँ में सबको एक दूसरे से अलग बनाया है और चाहकर भी सभी को एक जैसा नहीं बनाया जा सकता है। फिर भी हममें से बहुत से लोग अपने बच्चों को दूसरों बच्चों से तुलना करके उनको हमेशा कोसते रहते हैं जिसके कारण बच्चों में हीन भावना जागृत होती है जो कि डिप्रेशन का बहुत बड़ा कारण बनती है। कुछ बच्चे तो इस तनाव को झेल नहीं पाते और आत्महत्या तक कर बैठते हैं।
१३. बेरोजगारी की समस्या:
बेरोजगारी की समस्या आज की ज्वलंत समस्या है। बहुत सारे युवा आज इस समस्या से जूझ रहे हैं। सबके अपने जीवन के कुछ सपने होते हैं पर रोजगार नहीं मिलने की स्थिति में सारे सपने टूटकर बिखर जाते हैं। फिर जिन्दगी बोझ सी लगने लगती है।
१४. पुरानी घटनाएं:
जीवन के अतीत में घटित कुछ घटनाएं मानस पटल पर अमिट छाप छोड़ देती हैं और मानसिक तनाव का एक कारण बनती हैं।
मानसिक तनाव के लक्षण:-
मानसिक तनाव से ग्रस्त लोगों में प्रायः निम्नलिखित लक्षण देखने को मिलते हैं
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मानसिक तनाव से होने वाली बिमारियां:-
मानसिक तनाव से कई तरह की बिमारियां हो सकती हैं, जैसे:
हृदय रोग: तनाव से ब्लड प्रेशर में वृद्धि हो सकती है, जिससे हृदय पर अधिक दबाव पड़ता है।
डायबिटीज: तनाव से शरीर में ग्लूकोज की स्तर में वृद्धि हो सकती है।
अवसाद (डिप्रेशन): अधिक तनाव, अवसाद को उत्तेजित कर सकता है या उसे बढ़ावा दे सकता है।
चिंता विकार: जैसे जनरलाइज़्ड चिंता विकार (GAD means Generalized Anxiety Disorders) आदि।
अनिद्रा: तनाव नींद को प्रभावित कर सकता है और अनिद्रा को उत्तेजित कर सकता है।
पाचन संक्रिया की समस्याएँ: जैसे अल्सर, आइबीएस (Irritable Bowl Syndrome) आदि।
शरीर के वजन में वृद्धि या कमी : अधिक तनाव से शरीर के वजन में असंतुलन पैदा हो सकता है।
मासपेशियों में दर्द या तनाव: तनाव से मासपेशियों में दर्द या जकड़न हो सकती है।
सिरदर्द: तनाव से माइग्रेन या अन्य प्रकार के सिरदर्द हो सकते हैं।
अगर आपको लगता है कि आपको इनमें से किसी भी समस्या का सामना करना पड़ रहा है, तो आपको चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।
मानसिक तनाव से होने वाली बिमारियों का इलाज क्या है?
सौजन्य- गूगल |
- चिकित्सक की परामर्श लें।
- लंबे एकांतवास से बचें।
- अपनी समस्याओं को अपने परिवार के सदस्यों, अपने शुभचिंतकों और यार-दोस्तों से शेयर करें।
- सुबह उठकर टहलने की आदत डालें।
- नकारात्मक विचार मन में न आने दें।
- मन पसंद गीत संगीत सुनें।
- ध्यान करें।
- धुम्रपान के अत्यधिक सेवन से बचें।
- व्यायाम करें।
- यथासंभव पौष्टिक भोजन लें।
- पर्याप्त नींद लें।
- तनाव के समय गहरी सांस लें।
- परिवार के साथ मिलजुल कर रहें और रिश्तों में सुधार लायें।
- अच्छी पुस्तकें पढ़ें।
- मनपसंद जगहों पर घुमने जायें।
- सकारात्मक नजरिया रखें।
- नकारात्मक सोच विचार वाले लोगों से दूर रहें।
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आज के भागदौड़ भरी जिन्दगी में तनाव एक आम बात हो गयी है। चाहे वह कोई लक्ष्य हासिल करने के लिए हो या अन्य किसी वजह से हो। तनाव तो तनाव ही है। तनाव अच्छा भी होता है और बुरा भी। अच्छा तनाव जीवन में आने वाली चुनौतियों से लड़कर निर्धारित लक्ष्य को हासिल करने की अनुमति देता है लेकिन जब नकारात्मक तनाव लगातार लम्बे समय के लिए रहता है तो उसका तन, मन पर बुरा प्रभाव पड़ता है और मनुष्य के अंदर कई तरह के शारीरिक एवं मानसिक विकार उत्पन्न हो जाते हैं इसके साथ वह डिप्रेशन में रहने लगता है। जो अत्यंत घातक होता है। यह समस्या एक दिन में नहीं होती। जीवन की छोटी-मोटी बातों या कारणों का अगर समय रहते निवारण नहीं किया जाता है तो वही आगे चलकर मानसिक तनाव के कारण बन जाते हैं। शुरू में तो किसी को ये भी पता नहीं होता कि वह तनाव में है लेकिन पता चलने पर भी व्यक्ति उसे दूर करने का उपाय नहीं करता बल्कि उसे अपने जीवन का हिस्सा बना लेता है तब वह बड़ी समस्या बन जाती है। और जब यह बेकाबू हो जाती है तब आदमी सोचता है कि आखिर ऐसे कैसे हो गया?
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार
बहुत से लोग मानसिक तनाव से परेशान रहते हैं वे खुद से उसे दूर करने का प्रबन्ध भी
नहीं करते और डाक्टर से उसका इलाज इस भय से नहीं करवाते कि लोग उनके बारे में क्या
सोचेंगे? मानसिक तनाव एक विकार है जो कभी भी किसी को भी हो सकता है। अतः ऐसे लोगों
का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए बल्कि उनके साथ सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करना चाहिए और यथासंभव
उनकी मदद करनी चाहिए।
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