खुशी, एक अहसास है, एक अनुभूति (Feeling) है। खुशी को शब्दों में व्यक्त करना मुश्किल है। इसे केवल महसूस किया जा सकता है। कोई सूखी रोटी खाकर भी खुश रह सकता है, तो कोई छप्पन भोग खाकर भी खुश नहीं हो सकता है। कोई झोपड़ी में रहकर भी खुश हो सकता है तो कोई ऊंची अट्टालिकाओं में भी दुखी रहता है। हम सभी को जीवन में खुश रहने का प्रयत्न करना चाहिए। छोटी-छोटी खुशियाँ ही तो जीने का सहारा होती हैं। खुशी का मनोभाव हर प्राणियों में विद्यमान होता है। उसे जाहिर करने के तरीके अलग हो सकते हैं परंतु लोगों के भीतर सुख-दुख का भाव एक समान होता है।
खुशी बांटने से खुशी मिलती है। आज के परिवेश में हर कोई बहुत व्यस्त है। अपने को खुश रखने के लिए समय नहीं है। अपने व्यस्त समय में से कुछ समय अपने लिए निकालना होगा और अपने आप को खुश रखना होगा। कहा जाता है कि आप भला तो जग भला (Be good, so good)। हर व्यक्ति को यही लगता है कि वह ज्यादा पैसा कमा लेगा, तो वह और उसके परिवार के लोग खुशी से रहेंगे। बच्चे जब पढ़-लिखकर अच्छे जाॅब करने लगेंगे तब वे बहुत खुश होंगे। बेटे-बेटियों की शादी कर देने के बाद तो उनके पास खुशी ही खुशी होगी। ऐसा भी नहीं है।
खुश होने के लिए कोई विशेष दिन या मुहुर्त नहीं होता। जीवन का हर पल खुशी से जीने के लिए होता है। किसी के पास खुशियां अपने आप चल कर नहीं आती हैं। खुशियां को तलाशना पड़ता है। उसके लिए अपने दिल और दिमाग को स्थिर रखना पड़ता है।
खुश रहने के उपाय:
हर किसी को खुशी की तलाश है। हर व्यक्ति जानना चाहता है कि वह खुश कैसे रहे? हर व्यक्ति की ख्वाहिश रहती कि वे अपने जिंदगी में सदैव खुश रहें, सुखी रहें, परिवार के लोग खुशी से अपना जीवन व्यतीत करें। निम्नलिखित तथ्यों को अपने जीवन उतारकर खुश रहा जा सकता है।
वर्तमान में जीयें
अपने स्वास्थ्य की रक्षा, हर हाल में करें
काम में व्यस्त रहना
हमेशा अपने आपको जीवनोपयोगी काम में व्यस्त रखें, क्योंकि खाली दिमाग शैतान का घर होता है। इसलिए काम में व्यस्त रहने से फालतू बातें दिमाग में नहीं आएगी। जब काम में सफलता मिलती है तो मन खुशी से झूम उठता है।
अपने परिवार के संग समय बिताएं
अपने रोजमर्रा के कामों में से थोड़ा वक्त निकालें और अपने परिवार के संग समय बिताएं। साथ में बैठकर बातें करें, खाना खायें और घूमें-फिरें। इससे खुशी मिलती है और पारिवारिक रिश्ते भी मजबूत होते हैं। घर में छोटे बच्चे हों तो उनके साथ कुछ समय बितायें। छोटे बच्चे राग-द्वेष, ईर्ष्या, बनावटीपन आदि दुर्गुणों से सर्वथा मुक्त होते हैं। इसलिए बच्चों के संग रहने पर असीम शांति, तथा खुशी मिलती है और तनाव दूर होता है।
अपनी तुलना दूसरों से करके दुखी न हों
ईश्वर ने सबको, एक दूसरे से अलग बनाया है। सबकी क्षमता भी एक जैसी नहीं होती। इसलिये अपने आप को किसी दूसरे व्यक्ति से तुलना करके दुखी नहीं होना चाहिए। जिसके पास जितना है, उतने में ही खुश होकर जीवन जीना चाहिए परंतु अपने जीवन के लक्ष्यों को हासिल करने हेतु प्रयत्नशील अवश्य रहना चाहिए।
दीन-दुखियों की सेवा करें
कहा जाता है कि दीन-दुखियों, भूखे-नंगे, बेबस-बेसहारा लोगों की सेवा ही ईश्वर की सच्ची सेवा है। सच्चे अर्थों में खुशी, भलाई और परोपकार से ही मिलती है।
आत्मविश्वास बनाये रखें
कोई भी काम करें, पूरे आत्मविश्वास के साथ करें। आत्मविश्वास के साथ काम करने से काम में सफलता मिलती है तब मन में स्वत: खुशी का श्रोत फूटने लगता है।
अच्छी और प्रेरणादायक पुस्तकें पढ़ें
अच्छी पुस्तकों का अध्ययन, मानसिक सवास्थ्य के लिए आवश्यक है। रोज कुछ समय निकाल कर अच्छी पुस्तकों, प्रेरणादायक कहानियों को पढ़ना चाहिए। इससे व्यक्ति का दिमाग, काम के दबाव से मुक्त होता है। तनाव कम होता है और खुशी मिलती है।
अच्छे लोगों की संगति में रहें
कहा जाता है, "शठ सुधरहिं, सत्संगति पाई"। अर्थात् बुरे लोग भी, अच्छी संगति पाकर सुधर जाते हैं। अत: अच्छे लोगों की संगति में रहें और बुरे लोगों की संगति से दूर रहें।
मादक पदार्थों के सेवन से दूर रहें
मादक पदार्थों के सेवन से क्षणिक खुशी तो मिल सकती है परंतु उसके दीर्घकालीन सेवन से मनुष्य का पतन हो जाता है और जीवन की खुशियों पर सदा के लिए ग्रहण लग जाता है।
जीवन में खुशी का महत्व:
- अच्छा जीवन जीने के लिए खुश होना बेहद जरुरी है।
- खुशी भावनात्मक कल्याण के लिए आवश्यक है।
- खुशियाँ, हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए टाॅनिक का काम करती हैं।
- तनाव-हार्मोन कम होता है।
- चिंता और अवसाद को कम करने में मदद मिलती है।
- हमारी प्रतिरक्षा-प्रणाली में सुधार होता है।
- काम में मन लगता है जिससे उत्पादकता बढ़ती है और काम की गुणवत्ता में निखार आता है।
- जीवन स्तर में सुधार होता है।
- चेहरे पर भी एक अलग तरह की चमक रहती है।
- खुश रहने वाला व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को भी खुश रखता है।
सारांश
खुशी को हम बाहर तलाशते हैं जबकि खुशी तो
हमारे भीतर होती है। जिंदगी में हमेशा अच्छा नहीं होता बल्कि अच्छा बनाना पड़ता है। यह
जरूरी नहीं कि हर वो चीज जो आज अच्छी नहीं लग रही है वो कल भी अच्छा न लगे। खुशी
की परिभाषा और पाने के प्रयास अलग-अलग हो सकते हैं, परंतु इसका एकमात्र उद्देश्य
खुश-होना होता है। लोग अपने जीवनयापन के लिए जितनी मेहनत करते
हैं, अगर उतनी मेहनत खुशी हासिल करने के लिए करें तो जीवन के
मायने ही बदल जायें। हर किसी के जीवन में सुख-दुख आता
रहता है। जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, परिस्थितियां
बदलती रहती हैं। इससे बिल्कुल घबराना नहीं चाहिए, निराश नहीं
होना चाहिए, बल्कि धैर्य और संयम रखते हुए मुसीबत का डटकर
सामना करना चाहिए। जीवन में खुश रहने के लिए आत्म-मंथन करते रहना चाहिए, साथ ही सही-गलत का विवेचन भी करते रहना चाहिए।
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खुशी से संबंधित पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) :
प्रश्न: खुशी क्या है?
प्रश्न: खुशी कहाँ से आती है?
प्रश्न: खुशी, पैसों से ज्यादा महत्वपूर्ण क्यों है?
प्रश्न: खुशी के महत्वपूर्ण साधन क्या हैं?
Bahut badhiya
जवाब देंहटाएंThank you so much for encouragement
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लेख है
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
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