22 जनवरी 2023

आदर्श दिनचर्या (Adarsh Dincharya)

आज के भागदौड़ भरी जिंदगी में अपने स्वास्थ्य को लेकर बहुत कम लोग गंभीर हैं। जबकि जीवन का भरपूर आनंद लेने के लिए अच्छा स्वास्थ्य जरूरी है। घर-परिवार की जिम्मेदारियों को ढोते-ढोते हममें से बहुत से लोगों की अपनी पूरी जिंदगी कब बीत जाती है, इसका अहसास तक नहीं हो पाता है। दूसरे की फिक्र सब करते हैं। हमारे घर-परिवार, समाज में, आज हर कोई दूसरे को ठीक करने में लगा हुआ है पर अपनी फिक्र कितने लोग करते हैं? ऐसे बहुत कम लोग मिलेंगे जो अपने लिए समय निकालते हैं और स्वयं को ठीक करते हैं। 

एक कहावत है, "आप भला तो जग भला" (Be good, so good)। यानी, अगर हम खुद की देखभाल करेंगे, अपने-आप को स्वस्थ रखेंगे, तभी हम दूसरे की देखभाल कर पायेंगे और स्वस्थ भी रख पायेंगे। पूर्ण रूप से स्वस्थ रहने के लिए आदर्श दिनचर्या का होना आवश्यक है। आज के व्यस्त और स्पर्धायुक्त समय में सबके जीने के अंदाज अलग हैं। सबकी जीवनशैली अलग है। इसलिए जीवनयापन के अनुरूप लोगों की दिनचर्या अलग हो सकती है। फिर भी पूर्ण रूप से स्वस्थ जीवन जीने के लिए, जीवनशैली का अनुशासित होना अतिआवश्यक है और अनुशासित जीवनशैली ही एक स्वस्थ और आदर्श दिनचर्या का आधार होती है। 

दिनचर्या, शरीर और मन का अनुशासन है। दिनचर्या, दिनभर के विभिन्न कार्यों की ऋंखलाबद्ध सूची होती है। इसे संक्षेप में "Daily Working Schedule" भी कहा जा सकता है। 


सौजन्य: Unlimited Funny Jokes, SM Greeting
                    
यहाँ पर हम एक ऐसी ही दिनचर्या का उल्लेख करने जा रहे हैंजो आपके जीवन को स्वस्थ और आदर्श बनाने में मददगार साबित हो सकती है। तो आइये शुरू करते हैं आदर्श दिनचर्या से संबंधित दैनिक क्रिया कलाप, जो इस प्रकार हैं -

१.  सुबह जगकर बिस्तर छोड़ना  

भोर में ४ बजे के बाद और सूर्योदय के पहले का समय स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। इस समय वायुमंडल में प्रदुषण कम और आक्सीजन की मात्रा अधिक होती है। इस समय, बहने वाली हवा शरीर के लिए स्वास्थ्यप्रद और ताजगी प्रदान करने वाली होती है। 
इस पावन बेला में जागकर ईश-वन्दना, अध्ययन, ध्यान-योग, व्यायाम आदि करना उत्तम माना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार भी सूर्योदय से पहले जगना स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से अति उत्तम है। इसलिए सुबह सूर्योदय से पहले अवश्य जग जायें। आंख खुलने के पश्चात दोनों हथेलियों को आपस में रगड़कर कर, आंख और चेहरे के उपर रखें। उसके बाद अपनी दोनों हथेलियों को सामने से निहारते हुए इस मंत्र का उच्चारण करें-

कराग्रे वसते लक्ष्मी, करमध्ये सरस्वती।
करमूले तू गोविन्दः, प्रभाते कर दर्शनम्।।

इसके बाद आपकी जिस तरफ की नासिका तेज चल रही हो, उसी तरफ का पैर धरती पर रखें और धरती को छूकर प्रणाम करें। अपने बिस्तर को साफ सुथरा करके करीने से सजा दें। 

२.  शौच निवृत्ति


खाली पेट, एक से दो गिलास पानी पियें। गुनगुने पानी में नींबू का रस और शहद लेना अधिक लाभदायक होता है। तत्पश्चात् शौचालय जायें। शरीर को ढील-ढाला रख, शांतचित्त हो शौच के लिए बैठें। उपर और नीचे के दांतों को आपस में दबा कर रखें। शौच से निवृत्त होने के बाद हाथ, मुंह, नाक अच्छे से धोयें और आंखों को पानी के छींटे देकर साफ करें। 

३. व्यायाम एवं ध्यान (Exercise & Meditation)


टहलने जायें। अगर शरीर स्वस्थ हो और कोई परेशानी न हो तो तो तेजी से चलना चाहिए। ध्यान (Meditation) जरूर करें। इससे आपको शारीरिक और मानसिक विश्राम मिलता है, जो आज के भागदौड़ भरी जिंदगी के लिए आवश्यक है। अपने स्वास्थ्य के अनुकूल उचित व्यायाम जरूर करें। यदि सुबह समय नहीं मिलता है तो ये काम शाम को भी कर सकते हैं। 

                                  सौजन्य: The Hindi Magazine                                   
४.  दंतधावन एवं स्नान

दातुन या ब्रश से दांतों की अच्छी तरह सफाई करें। व्यायाम करने के आधे घंटे बाद ही स्नान करने जायें। स्नान करने से पहले, तेल से पूरे शरीर की मालिश करें। तत्पश्चात् ठंडे जल से स्नान करें। जाड़े के मौसम में हल्के गर्म पानी का इस्तेमाल कर सकते हैं। 

५.  ईश-वन्दना


अपने इष्ट की प्रार्थना, पूर्ण समर्पण-भाव के साथ करें। 

६.  सुबह का नाश्ता (Breakfast)


सुबह का नाश्ता ८ बजे से ९ बजे के बीच लें। आज बहुत से लोगों का मानना है कि सुबह का नाश्ता भरपूर मात्रा में लेना चाहिए। नाश्ते में मौसमी फल, अंकुरित अनाज, फलों के रस लेना अधिक लाभदायक होता है। 

७.  रोजगार / व्यवसाय


अपने रोज के काम-धन्धे पर समय से जायें और उसे अपनी पूरी क्षमता, लगन तथा जिम्मेदारी से करें। 

८.  दोपहर का भोजन (Lunch)


अपने दैनिक काम-धन्धे के बीच ब्रेक लेकर, दोपहर का भोजन, १ बजे से २ बजे के बीच लें। भोजन ज्यादा तेल-मसाले युक्त नहीं होने चाहिए। रेशेदार युक्त भोजन लें। इससे आपकी पाचन क्रिया दुरूस्त रहेगी। भोजन में मौसमी सब्जियाँ प्रचुर मात्रा में लें। 

९.  सायंकाल का नाश्ता


हल्का-फुल्का चाय-नाश्ता, ५ - ६ बजे के बीच ले सकते हैं। 

१०.  रात्रि का भोजन (Dinner)


रात्रि में हल्का भोजन ८ बजे से ९ बजे के बीच, ले लेना चाहिए। भोजनोपरांत थोड़ा टहल लें, इससे भोजन पचने में आसानी होती है। 

११.  रात्रि शयन

रात में ९ से १० बजे के बीच सो जायें। रात में जल्दी सोयेंगे तो सुबह नींद जल्दी खुलेगी (Early sleep, Early wake up)। रात्रि के भोजन और शयन के बीच लगभग १ - २ घंटे का अंतराल होना बेहतर माना जाता है। 

आदर्श दिनचर्या में अनुकरणीय महत्वपूर्ण बातें:-

  • भोजन शांतचित्त, मौन हो, बैठकर करें और खाना खूब चबाकर खायें। 
  • दिन भर में पानी का सेवन प्रचुर मात्रा में करें। पानी बैठकर, घूंट-घूंट पीयें। खाने के समय कम से कम पानी पीयें। भोजन के लगभग ४५ मिनट पहले या बाद में इच्छा भर पानी पी सकते हैं। 
  • पर्याप्त नींद लें। सोते समय कुछ भी चिंता-फिक्र न करें। 
  • रोज ज्ञानवर्धक पुस्तकें पढ़ने की आदत डालें। निरंतर अपना ज्ञानवर्धन करते रहें। ध्यान रहे, सीखने की कोई उम्र नहीं होती है। 
  • कृतज्ञता और आत्मस्वीकृति (Gratitude & Self-Affirmation): ईश्वर का आभार व्यक्त करें और रात को सोने से पहले तथा सुबह जगने के बाद आत्मस्वीकृति पूरे आत्मविश्वास के साथ करें और अपने मानस-पटल पर स्वयं के साथ वैसा होते हुए महसूस करें।       
  • जब भी बैठें, सीधा इस तरह बैठें कि आपके रीढ़ की हड्डी, गर्दन और सिर एक सीध में हों। 
  • गहरी सांस लेने का अभ्यास करें। 
  • जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनायें। 
  • घर में बना हुआ भोजन करें। बाजार की चीजें आवश्यकता के अनुसार ही खायें। बाजार की तली हुयी चीजें तो बहुत ही कम खायें। बाजारू खाद्य-पदार्थ सेहत के लिए बहुत उपयुक्त नहीं होते। उनके दीर्घकालीन सेवन से शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है। आज पैसे बनाने (Money making) के होड़ में किसी को भी आपके स्वास्थ्य से कोई सरोकार नहीं है।  
  • चीनी और नमक आवश्यकता से अधिक न लें। कच्चा नमक खाने से यथा-संभव परहेज करें। 
  • आपका जीवन जैसा भी है, उसे सहर्ष स्वीकार करें और बेहतर जीवन के लिए प्रयासरत रहें। 
  • आप अपनी तुलना दूसरों से करके परेशान न हों। 
  • वर्तमान में जियें। जीवन में मिले हर पल का भरपूर आनंद लें।
  • नशीले पदार्थों के सेवन से बचें। 
  • लक्ष्य बनाएं: सुबह के वक्त या रात में सोने से पहले, किये जाने वाले छोटे-बड़े सभी कामों को डायरी या नोटबुक में नोट करें और उन सभी कामों के पूरे करने का समय, दिन, तारीख भी अपनी सुविधा के अनुसार नोट कर दें। पूरी कोशिश करें कि प्रत्येक कार्य निर्धारित समय पर पूरा हो जाये। रोज यह विशलेषण भी होना चाहिए कि सभी काम निर्धारित समय पर पूरा हुए या नहीं। अगर कोई काम पूरा नहीं हुआ तो क्यों नहीं हुआ? हमारी कोशिश में कहाँ कमी रह गयी और प्रयास करें कि दुबारा वैसा न हो। इस तरह के अभ्यास से बड़े से बड़े लक्ष्य को प्राप्त करना आसान हो जाता है। 
आदर्श दिनचर्या से लाभ: आदर्श दिनचर्या के नियमित पालन से निम्नलिखित लाभ मिलते हैं
  • जीवन व्यस्त, मस्त और स्वस्थ रहता है इसलिए समग्र रूप से स्वास्थ्य लाभ मिलता है। 
  • शरीर का प्रतिरक्षा-तंत्र मजबूत होता है जिससे शरीर निरोग रहता है। 
  • ताजगीभरे दिन की शुरुआत होती है। 
  • मानसिक तनाव घटता है। 
  • रक्तचाप नियंत्रित रहता है। 
  • कार्य क्षमता बढ़ती है। 
  • संपादित कार्य की गुणवत्ता बढ़ती है। 
  • निर्धारित समय में काम के पूरे होने की संभावना बढ़ती है। 
  • लक्ष्य प्राप्ति में सहायता मिलती है। 
  • सफलता के मार्ग खुलते हैं।   
  • आत्मविश्वास बढ़ता है।
सौजन्य: 13thtv.in

आदर्श दिनचर्या का महत्व: आदर्श दिनचर्या का महत्व बहुत अधिक होता है। 
  • यह हमें स्वस्थ और नियमित जीवन जीने में सहायता करती है। 
  • हमें समय का सही उपयोग करने में सहायता मिलती है, साथ ही हमें ताजगी और ऊर्जा भी मिलती है। 
  • आदर्श दिनचर्या हमारे मनोबल को बढ़ाती है और सकारात्मक नजरिया को बढ़ावा देती है। 
  • यह हमारे स्वास्थ्य और तंत्रिका प्रणाली को सही ढंग से काम करने में सहायता करती है, जिससे हमारा आत्मिक और भौतिक स्वास्थ्य सुधरता है। 
  • हमारे जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण होती है। 
  • जीवन अनुशासित होता है। 
  • यह हमें व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए एक स्पष्ट पथ प्रदान करती है। 
  • आदर्श दिनचर्या के पालन से हमारा खान-पान और नींद का समय भी नियंत्रित होता है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होता है। 
  • इससे हमें अपने दैनिक कार्यों को पूरा करने के लिए पर्याप्त समय मिलता है। 
  • आदर्श दिनचर्या अपनाने से हमारा मन शांत रहता है, और हम जीवन की चुनौतियों का सामना करने में अधिक सक्षम होते हैं। 
  • आदर्श दिनचर्या का पालन करना हमें आत्म-नियंत्रण, सहनशीलता, और समय प्रबंधन की क्षमता विकसित करती है।

आज पहले की अपेक्षा बहुत सारी सुख-सुविधाएं बढ़ी हैं किन्तु उसी अनुपात में बिमारियां भी बढ़ी हैं। आज नौजवानों तक को रक्तचाप और मधुमेह जैसी बिमारियां हो रही हैं। लोगों में बढ़ती हुई बिमारियों का मुख्य कारण अनियमित दिनचर्या ही है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए आदर्श दिनचर्या का अनुपालन बहुत जरूरी है। कहावत है"जान है तो जहान है"। कहने का मतलब यह है कि पहले अपने स्वास्थ्य की रक्षा करें, बाकी के काम बाद में। जीवन का भरपूर आनंद लेने के लिए आपके तन के साथ मन का भी स्वस्थ होना अति आवश्यक है। अतः संपूर्ण स्वास्थ्य के लिएआदर्श दिनचर्या का पालन करें।  

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आदर्श दिनचर्या से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ):

 प्रश्न: आदर्श दिनचर्या क्या होती है?

उत्तर: आदर्श दिनचर्या स्वस्थ जीवन जीने के लिए एक व्यक्ति की दैनिक क्रियाएं और कार्यक्रम शामिल होती हैं। इनमें सुबह जल्दी उठने, संतुलित आहार लेने, नियमित व्यायाम करने, पर्याप्त नींद लेने और मनोरंजन के लिए समय निकालने जैसी आदतों को शामिल किया जाता है।

प्रश्न: सुबह कब तक उठना चाहिए?

उत्तर: आम तौर पर, यह अनुशंसित होता है कि एक वयस्क व्यक्ति सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाये। इससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य अच्छा होता है और कार्यक्षमता बढ़ती है। 

प्रश्न: व्यायाम कितने समय तक करना चाहिए?

उत्तर: नियमित व्यायाम के लिए कम से कम 30 मिनट से एक घंटे तक का समय निर्धारित करना आदर्श माना जाता है।

प्रश्न: संतुलित आहार क्या होता है?

उत्तर: संतुलित आहार में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन, मिनरल, और पानी का समुचित संतुलन होता है। यह आपको स्वस्थ और उर्जावान रखता है।

प्रश्न: कितनी नींद जरूरी है?

उत्तर: एक वयस्क के लिए हर रात 7 से 9 घंटे की नींद अनुशंसित होती है। यह आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होती है।

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