31 जनवरी 2023

विज्ञान वरदान या अभिशाप

प्रस्तावना:-

विज्ञान का अर्थ है विशिष्ट ज्ञान  विज्ञान आज बहुत उन्नति किया है। मानव जीवन का शायद ही ऐसा कोई कोना होगा, जो विज्ञान के आविष्कार से अछूता हो। अतः आज के युग को वैज्ञानिक युग कहा जा सकता है। विज्ञान हमारे जीवन को भीतर तथा बाहर से, समान रूप से प्रभावित किया है। पहले जो काम बहुत मुश्किल से और अधिक समय में हो पाते थे, आज वे सभी काम आधुनिक मशीनों की सहायता से अल्प समय में अच्छी तरह से हो जाते हैं। विज्ञान हमारे जीवन में वरदान भी है और अभिशाप भीविज्ञान जहाँ जीवन के विभिन्न क्षेत्रों जैसे- चिकित्सा, मनोरंजन, यातायात, कृषि, दूरसंचार, शिक्षा, सुरक्षा, अंतरिक्ष, मौसम तथा दैवीय आपदा का पर्वानुमान एवं प्रबंधन इत्यादि क्षेत्र में वरदान की तरह है तो वहीं जलवायु एवं पर्यावरणमहविनाशक हथियारों की खोज जैसे क्षेत्रों में अभिशाप भी साबित हो रहा है। प्रदूषण के लगातार बढ़ने के कारण प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है। 

सौजन्य: Nojoto

विज्ञान एक वरदान:-विज्ञान जीवन के निम्नलिखित क्षेत्रों में वरदान साबित हुआ है। 

दैनिक जीवन में:
बिजली की चकाचौंध रोशनी तो आज रात को भी दिन के उजाले जैसा आभास कराती है। सुख-सुविधा के आधुनिक उपकरण जैसे पंखे, हीटर, गीजर, रेफ्रिजरेटर, वाशिंग मशीन, कूलर, वातानुकूलित मशीन, मोबाईल फोन, गैस और इंडक्शन चूल्हे इत्यादि मनुष्य के दैनिक जीवन को अत्यधिक आरामदायक बना दिया है। कम्प्यूटर के आ जाने से आफिस के काम में बहुत सहूलियत हो गयी है। आलमारी भर की फाइलों को लैपटॉप में लेकर देश-विदेश कहीं पर भी जा सकते हैं। कोरोना काल में जब घर से निकलना भी मुश्किल था तो कम्प्यूटर और लैपटॉप की मदद से घर से ही काम करना (work from home) संभव हो पाया था। स्मार्टफोन से पैसों का लेनदेन, आनलाइन खरीददारी, टेलीफोन तथा बिजली के बिल का भुगतान, रेल के आरक्षित टिकट निकालना इत्यादि सभी काम बड़ी ही आसनी से घर बैठे हो रहा है। 

सौजन्य: EssayBanyan.com

बैंकिंग सेक्टर:

विज्ञान की ही देन है कि आज पैसों का त्वरित लेनदेन, पैसों के एक अकाउंट से दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर करना आसान और सुरक्षित हो गया है। आज ज्यादा नकद रूपये साथ रखने की भी जरूरत नहीं पड़ती है। बस क्रेडिट-डेबिट कार्ड साथ में रखने से ही काम हो जाते हैं। 

दूरसंचार:

दूरसंचार के क्षेत्र में विज्ञान इतनी उन्नति की है कि आज की दुनियां बहुत छोटी लगने लगी है। पहले एक जगह से दूसरे जगह संदेश भेजने में बहुत समय लगता था। लेकिन आज स्मार्टफोन के जरिये पृथ्वी के किसी भी कोने में बैठे व्यक्ति को देखकर एक दूसरे से संवाद कर सकते हैं। इंटरनेट से ई-मेल, फेसबुक, ट्विटर के जरिये दुनियाँ भर के लोग आपस में एक दूसरे से जुड़ रहे हैं। 

मनोरंजन:

दूरदर्शन तथा सिनेमा, मनोरंजन का अच्छा साधन है। दूरदर्शन से हमें देश-विदेश की खबरों के अलावा खेल-कूद, गीत-संगीत का सीधा प्रसारण देखने को मिलता है। आज लोग अपने स्मार्टफोन से दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले विभिन्न कार्यक्रम, समाचार तथा सिनेमा का आनन्द ले रहे हैं। 

यातायात:

विज्ञान, यातायात के क्षेत्र में भी खूब उन्नति की है। पहले लोगों को एक जगह से दूसरी जगह की याञा करना मुश्किलों का काम था और समय भी बहुत अधिक लगता था। वहीं आज द्रुतगामी वाहन जैसे हवाई जहाज, हेलिकॉप्टर, मेट्रो रेल, द्रुतगामी  ट्रेनों से सफर बहुत आसान हो गया है। अभी बुलेट-ट्रेन परियोजना पर भी काम चल रहा है।

चिकित्सा:

आज मानव शरीर के भीतरी किसी भी अंग को देख कर उसका समुचित इलाज संभव हो पा रहा है। शरीर के भीतर छोटे और नाजुक अंगों का प्रत्यारोपण भी सफलतापूर्वक किया जा रहा है। जहाँ एक्स-किरणों से जांच कर कैंसर जैसे गंभीर रोगों का उपचार हो रहा है तो वहीं लेजर किरणों से आपरेशन करना सुगम हो गया है। यह विज्ञान की ही देन है कि आज मानव, टेस्ट-ट्यूब में मनोवांछित बच्चा भी पैदा कर रहा है। 

औद्योगिक क्षेत्र:
विज्ञान की ही देन है कि कारखानों में आज सूई से लेकर हवाई जहाज तक विभिन्न सामान, हल्की से लेकर भारी हस्तचालित एवं स्वचालित मशीनें बन रही हैं। आज रोबोटिक मशीनों से बड़े से बड़े काम को कम समय में बिना त्रुटि के किया जा रहा है। 

शिक्षा:

कम्प्यूटर और समार्टफोन के आविष्कार से शिक्षा के क्षेत्र में भी काफी विकास हुआ है आज विद्यार्थी अपने घर में बैठकर आनलाइन क्लासेज के जरिये शिक्षा लेने में कामयाब हो पा रहे हैं। 

सुरक्षा के क्षेत्र:

आज सी.सी. टी.वी. कैमरे और ड्रोन की मदद से सुरक्षा करना पहले की अपेक्षा बहुत आसान और सुरक्षित हो गया है। 

मौसम एवं दैविक आपदा का पूर्वानुमान:

आज मौसम का पूर्वानुमान करना विज्ञान की ही देन है। आज जिस तरह मौसम का पूर्वानुमान कर वायुयानों, रेलगाड़ियों का नियंत्रण करके, दुर्घटना को कम किया जाता है, उसी तरह दैविक-आपदा, जैसे आंधी-तूफान आदि का पूर्वानुमान कर जान-माल की रक्षा भी की जाती है। 

अंतरिक्ष के क्षेत्र:

उपग्रहों के माध्यम से इंटरनेट की सुविधा आज दुनिया की आधी से भी अधिक आबादी ले रही है। इस सुविधा से "दुनिया मेरी मुट्ठी में" वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। विज्ञान का चमत्कार ही है कि आज मनुष्य चांद ही नहीं बल्कि मंगल पर भी बसने की तैयारी में है। 

कृषि:

कृषि के क्षेत्र में भी विज्ञान वरदान साबित हुआ है। ट्रैक्टर, थ्रेसर, कल्टिवेटर, रोटोवेटर, हार्वेस्टर, कंबाइन आदि उन्नतिशील कृषि-यंत्रों के प्रयोग से जहाँ फसलों की पैदावार बढ़ी है, वहीं फसलों की कटाई-मड़ाई कम समय में आसानी से हो रहा है। कृषि में पैदावार बढ़ने से ही, जनसंख्या वृद्धि के बावजूद लोगों का भरणपोषण संभव हो पा रहा है। 

विज्ञान एक अभिशाप:-

जलवायु एवं प्रदूषण के क्षेत्र:

मनुष्य के जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक चीज हवा तथा पानी है और यह दोनों ही चीजें काफी प्रदूषित हो चुकी हैं। असंख्य वाहनों के चलने तथा कल-कारखानों से निकलते धुऐं से हवा इतनी दूषित हो गयी है कि बडे़ शहरों में तो सांस लेना मुश्किल हो रहा है। पानी भी घुलित रसायन एवं अशुद्धियों के कारण जहरीला हो गया है। कहीं-कहीं तो पीने के पानी में आर्सेनिक की मात्रा इतनी ज्यादा है कि पीने का पानी स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक साबित हो रहा है। जंगलों के अंधाधुंध कटाई तथा भूमिगत जल के अत्यधिक दोहन से भूमिगत जल का स्तर लगतार गिरता जा रहा है, जो बहुत ही चिंता का विषय है। 

                                          सौजन्य: Google Site                                                                        

आधुनिक सुख-संसाधनों पर अत्यधिक निर्भरता का स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव:      

                                                                         आधुनिक संसाधनों का अत्यधिक प्रयोग मनुष्य को आलसी बना दिया है। आज शारीरिक श्रम तो लगभग नहीं के बराबर होता है। नतीजा यह है कि लोगों के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता लगातार कम हो रही है। लोग अपेक्षाकृत ज्यादा बिमार पड़ रहे हैं। विज्ञान की प्रगति से लोगों के जीवन में सुख-सुविधा और पैसे तो बढे़ हैं। किन्तु शांति-चैन का अभाव होता जा रहा है। एक ही घर में बच्चे से लेकर बूढों तक सभी मोबाइल में अक्सर इतने वयस्त हो जाते हैं कि न खाने-पीने की सुध, न सोने का ख्याल रहता है। एक दूसरे से बात तक करने की फुर्सत नहीं। जिसका स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। पर सवाल यह उठता है कि कौन और किसको इस बुरे लत से दूर करेपहले परिश्रम का आलम ये था कि औरतें, बच्चे को जन्म देने के दिन तक काम करती थीं। इससे बिना चीरफाड़ के सामन्य तरीके से बच्चे पैदा होते थे। किंतु आज मां के पेट में बच्चे होने का पता  चलते ही माँ को आराम करने तथा आपरेशन करके बच्चा पैदा करने की सलाह दी जाती है। 

सुरक्षा के महाविनाशक हथियारों का निर्माण:  

आज विश्व में एक से बढ़कर एक महाविनाशक हथियार जैसे- अणुबम, परमाणु बम, लम्बी दूरी तक मार करने वाली घातक मिसाइलों को बनाने की होड़ सी लगी है। कहा तो ये भी जाता है कि कुछ विकसित देशों के पास घातक हथियारों का इतना जखीरा है कि धरती से मानव सभ्यता को कई बार नष्ट किया जा सकता है। 

उपसंहार:-

विज्ञान बेशक बहुत उन्नति कर संपूर्ण सृष्टि को प्रभावित किया है। जितने भी आविष्कार हुए हैं सब विज्ञान की ही देन है। मनुष्य विज्ञान से जल, थल, नभ सभी क्षेत्रों में विजय पायी है। एक ओर विज्ञान मानव समाज के लिए वरदान साबित हुआ है तो दूसरी तरफ मानव सभ्यता के लिए अभिशाप भी साबित हुआ है। परमाणुविक हथियारों की खोज तो समूची दुनियाँ को महाविनाश के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। जापान के नागासाकी और हिरोशिमा पर परमाणु बम की विभीषिका, इसका ज्वलंत उदाहरण है। वैसे भी, यह हमारे उपर निर्भर करता है कि हम विज्ञान का इस्तेमाल वरदान के रूप में करें या अभिशाप के रूप में।

"विज्ञान वरदान या अभिशाप" टापिक से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ):

प्रश्न: क्या विज्ञान सिर्फ वरदान है?

उत्तर: नहीं, विज्ञान वरदान भी है और अभिशाप भी। जैसे विज्ञान ने चिकित्सा, संचार, परिवहन आदि में क्रांतिकारी परिवर्तन किये हैं, वैसे ही यदि गलत तरीके से इस्तेमाल हुआ, तो यह विनाशकारी भी हो सकता है।

प्रश्न: विज्ञान के किस उपलब्धि को आप सबसे बड़ा वरदान मानते हैं?

उत्तर: यह व्यक्तिगत उपयोग पर निर्भर करता है, पर अधिकांश लोग आधुनिक चिकित्सा प्रौद्योगिकियां, जैसे कि टिकाकरण और जीन-प्रौद्योगिकी, को विज्ञान का महत्वपूर्ण वरदान मानते हैं।

प्रश्न: विज्ञान को अभिशाप किस तरह से देखा जा सकता है?

उत्तर: विज्ञान के उपकरण और प्रौद्योगिकियों का दुरुपयोग जैसे अणु बम, जैविक और रासायनिक हथियार, पारिस्थितिकी तंत्र के असंतुलन आदि विज्ञान के अभिशाप के रूप में माने जा सकते हैं।

प्रश्न: क्या विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास से मानवता की समस्याएँ बढ़ी हैं?

उत्तर: जी हाँ, कुछ समस्याएँ तो बढ़ी हैं, जैसे पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन, मानसिक तनाव, और सामाजिक असंतुलन। पर यह भी सत्य है कि विज्ञान ने हमें इन समस्याओं का समाधान निकालने की क्षमता भी प्रदान की है।

प्रश्न: विज्ञान के विकास से समाज में किस प्रकार के परिवर्तन आए हैं?

उत्तर: विज्ञान के विकास से समाज में बहुत सारे परिवर्तन आए हैं जैसे- आधुनिक संचार प्रणाली, तेजी से बदलती जीवनशैली, आधुनिक चिकित्सा सुविधाएँ आदि।

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