नवीकरणीय ऊर्जा, विभिन्न स्रोतों से प्राप्त होने वाली ऊर्जा है, जैसे कि सौर, वायु, जल, बायोमास आदि। यह ऊर्जा स्वस्थ और प्रदूषणमुक्त होती है, जिससे वातावरण को नुकसान नहीं होता। इसका भविष्य अच्छा है, क्योंकि लोग इसे विकसित करने में रुचि रख रहे हैं और स्थायी ऊर्जा-स्रोतों की तलाश में हैं। नवीकरणीय ऊर्जा, तकनीकी उन्नति और निवेश के साथ और भी प्रभावी हो रही है। इसका अधिक प्रयोग साफ ऊर्जा की आवश्यकताओं को पूरा कर सकता है और जलवायु परिवर्तन से निपटने में हमारी मदद कर सकता है।
नवीकरणीय ऊर्जा के बारे में विस्तृत जानकारी, मेरे नीचे दिये हुए लेख "नवीकरणीय ऊर्जा या अक्षय ऊर्जा" में दी गई है। यहाँ हम नवीकरणीय ऊर्जा की संक्षिप्त व्याख्या के उपरांत उसके भविष्य एवं चुनौतियों के बार में विस्तार पूर्वक चर्चा करेंगे।
नवीकरणीय और अनवीकरणीय ऊर्जा-स्रोत क्या हैं?
नवीकरणीय और अनवीकरणीय ऊर्जा-स्रोत, दो प्रमुख ऊर्जा-स्रोतों की श्रेणियां हैं जो विश्व भर में उपयोग की जाती हैं। नवीकरणीय ऊर्जा-स्रोत (Renewable Energy Sources), ऐसे ऊर्जा-स्रोत हैं जो स्वच्छ, प्रदूषणरहित और प्राकृतिक रूप से पुनर्नवीन होते हैं और इसका स्तर समय के साथ कम नहीं होता है। ये पर्यावरण के लिए अनुकूल और स्वच्छ होते हैं, जिससे कि ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन जैसे पारिस्थितिकी असर को भी कम किया जा सकता है। जैसे- सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जलीय ऊर्जा, भूमिगत ऊर्जा, जीवाश्म ईंधन आदि।
नवीकरणीय ऊर्जा-स्रोतों का उपयोग, वातावरणीय प्रदूषण को कम करने, फॉसिल ईंधनों के अत्यधिक उपयोग को घटाने और स्थायी ऊर्जा के समाधान को प्रदान करने में मदद करता है। इसका उपयोग दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है क्योंकि विश्व में ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा-संकट की चिंता निरंतर गहराती जा रही है इसलिए लोगों का रुझान नवीकरणीय ऊर्जा की तरफ तेजी से बढ़ रहा है। चूंकि नवीकरणीय ऊर्जा, पर्यावरण के लिए सुरक्षित और स्वच्छ होते हैं इसलिए समाज में नवीकरणीय ऊर्जा-स्रोतों की मांग तेजी से बढ़ रही है।
अनवीकरणीय ऊर्जा-स्रोत (Non-renewable Energy Sources), सीमित होते हैं और एक बार उपयोग होने के बाद इन्हें पुनर्नवीन करना संभव नहीं होता है। जैसे-कोयला, पेट्रोल, प्राकृतिक गैस आदि। ये अधिकांश ऊर्जा की मांग को पूरा करने के लिए प्रमुख रूप से उपयोग में लिए जाते हैं किन्तु इनसे प्रदूषण ज्यादा होता है।
नवीकरणीय ऊर्जा की मांग के प्रमुख कारण और उसका भविष्य:-
मांग के प्रमुख कारण:
आने वाला समय नवीकरणीय ऊर्जा का है और भविष्य नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग में निहित है। इसके मांग के पीछे प्रमुख कारण निम्न हैं;
१. जनसंख्या में लगातार वृद्धि के कारण ऊर्जा की खपत का दिनोदिन बढ़ना।
२. परंपरागत ऊर्जा-स्रोतों का आज जिस प्रकार दोहन हो रहा है उससे इन स्रोतों का एक न एक दिन समाप्त हो जाने का अंदेशा।
३. कोयले, डीजल और पेट्रोल की बढ़ती मांग से उसकी कीमतों का दिनोदिन बढ़ना।
४. सबसे बड़ा कारण ग्रीन-हाउस गैसों के उत्सर्जन से ग्लोबल वार्मिंग का बढ़ना और इसके परिणामस्वरूप जलवायु परिवर्तन की विकट समस्या का होना।
५. तकनीकी उन्नति: नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से ऊर्जा उत्पादन और संग्रहण से संबंधित तकनीक में निरंतर सुधार होने के कारण नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन की लागत में कमी होना।
६. वित्तीय प्रोत्साहन: सरकारों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के द्वारा नवीकरणीय ऊर्जा प्रोजेक्ट्स को वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करना।
७. जन चेतना: जनता की जागरूकता और चिंताएँ भी नवीकरणीय ऊर्जा की ओर इशारा कर रही हैं।
नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग न केवल पारिस्थितिकी समस्याओं का समाधान है, बल्कि आर्थिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी सही दिशा में बदलाव ला सकता है।
नवीकरणीय ऊर्जा का भविष्य:
१. आज नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन, परंपरागत तरीके से कुल उत्पादित ऊर्जा का लगभग २६% है। लेकिन सन् २०२४ तक सौर-ऊर्जा का उत्पादन बढ़कर ६०० गीगावाट हो जायेगा और विश्व में कुल नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन लगभग १२०० गीगावाट हो जायेगा। नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी लगभग ३०% तक होने का अनुमान है। सौर ऊर्जा की लागत २०२४ तक १५% से ३५% तक घटने की उम्मीद है।वाणिज्यिक और औद्योगिक सौर-ऊर्जा की क्षमता सन् २०२४ में ३७७ गीगावॉट होने का अनुमान है।
२. पवन-ऊर्जा की क्षमता समुद्र तटीय इलाकों में सन् २०२४ तक ५५% के लगभग बढ़ जाएगी। अनुमान है कि २०२४ तक अपतटीय पवन-क्षमता लगभग तीन गुना बढ़कर ६५ गीगावॉट हो जाएगी, जो कुल विश्व पवन-ऊर्जा के उत्पादन का लगभग १०% है। देश के आधार पर, चीन १२.५ गीगावॉट के विकास के साथ सबसे आगे है।
३. पनबिजली क्षमता २०२४ तक ९% बढ़ जाएगी। अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेन्सी के अनुसार, २०२४ में जलविद्युत, दुनिया में नवीकरणीय ऊर्जा का प्राथमिक स्रोत बना रहेगा। चीन, भारत और ब्राज़ील के नेतृत्व में पूर्वानुमानित अवधि में नवीकरणीय ऊर्जा-क्षमता ९% बढ़ने वाली है।
४. जियोथर्मल क्षमता २०२४ तक २८% बढ़ जाएगी। जियोथर्मल ऊर्जा के उत्पादन की क्षमता में लगभग २५% की बढ़ोत्तरी का अनुमान है, जो २०२४ तक १८ गीगावॉट तक पहुंच सकती है।
५. दिल्ली में हाल ही में हुए G20 शिखर सम्मेलन में इस प्रस्ताव पर सहमति बनी कि सन् २०३० तक विश्व स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना बढ़ाया जाए और २०५० तक नेट जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल किया जाय।
अन्तर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेन्सी के अनुसार "यह नवीकरणीय ऊर्जा के लिए एक महत्वपूर्ण समय है।"
भारत में नवीकरणीय ऊर्जा के उत्पादन का लक्ष्य और उसका भविष्य:-
उत्पादन लक्ष्य:
स्वच्छ पृथ्वी के प्रति ज़िम्मेदारी को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने संकल्प लिया है कि सन् २०३० तक ४५० गीगावाट बिजली का उत्पादन करेगा और सन् २०५० तक कुल ऊर्जा की खपत का लगभग ४५% हिस्सा, नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र से प्राप्त करेगा। सन् २०३१-३२ तक सौर ऊर्जा की हिस्सेदारी ४२% और पवन ऊर्जा की भागीदारी १४% होने का लक्ष्य रखा गया है। भारत ने सन् २०३० तक अपनी जरूरत की आधी से ज्यादा बिजली नवीकरणीय ऊर्जा-स्रोतों से हासिल करने का लक्ष्य तय किया है तथा सन् २०७० तक शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है।
भविष्य:
इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकनॉमिक्स एंड फाइनेंशल ऐनालिसिस की रिपोर्ट के अनुसार भारत में नवीकरणीय ऊर्जा का भविष्य उन्नत है। इस रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है कि दुनियाँ का तीसरा सबसे ज्यादा बिजली उपभोग करने वाला भारत देश, सन् २०३० तक अपनी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को बढ़ाकर ४०५ गीगावाट तक कर लेगा।
भारत सरकार ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने और नवीकरणीय ऊर्जा के उत्पादन को प्रोत्साहन देने की दिशा में लिए गए अपने निर्णयों के लिए प्रतिबद्ध है। भारत ने २०२१ में आयोजित COP26 (संयुक्त राष्ट्र का 26वां जलवायु परिवर्तन सम्मेलन) में एक महत्वाकांक्षी समझौता किया था और उसको पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास करने पर सहमति भी जताई थी।
इस दिशा में अडानी समूह एक कदम आगे बढ़ कर गुजरात के कच्छ में दुनिया का सबसे बड़ा नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्र लगाने जा रहा है जिसका विस्तार ७२६ वर्ग किमी में होगा। इससे ३० गीगावाट बिजली पैदा होगी जो २ करोड़ से ज्यादा घरों की विद्युत-आपूर्ति में सहायक होगी। अडानी समूह की इस परियोजना से भारत की हरित ऊर्जा-क्षमता में भारी वृद्धि होने की उम्मीद है साथ ही, COP में जलवायु को लेकर किये गए अपने वादों को पूरा करने में भी इससे मदद मिलेगी।
नवीकरणीय ऊर्जा की राह में आने वाली चुनौतियाँ:-
नवीकरणीय ऊर्जा-स्रोत, पारंपरिक ऊर्जा-स्रोतों की तुलना में स्वच्छ और सुरक्षित हैं फिर भी इसे व्यापक रूप से अपनाने की राह में कुछ चुनौतियां भी हैं। जैसे-
स्थिरता की कमी: पवन और सौर ऊर्जा-स्रोत, अनिश्चित और अस्थिर होते हैं अर्थात् अधिकांश क्षेत्रों में पवन की गति कब और कितनी होगी? इसकी कोई गारंटी नहीं और आकाश में घने बादल होने की स्थिति में सूरज की रोशनी भी प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है। मौसम की स्थिति में बदलाव से ऊर्जा उत्पादन में भी उतार-चढ़ाव हो सकता है जिससे मजबूत बैकअप सिस्टम की आवश्यकता होगी।
ऊर्जा संग्रहण: ऊर्जा को स्टोर करने वाली बैटरियां, अभी भी महंगी हैं और वे व्यापक तरीके से ऊर्जा-स्टोरेज की जरूरत को पूरा नहीं कर पा रही हैं।
प्राथमिक निवेश: नवीकरणीय ऊर्जा प्रोजेक्ट की शुरुआती लागत अक्सर अधिक होती है, जो कि आम लोगों और संगठनों के लिए वित्तीय चुनौती बन सकती है।
भौगोलिक कारण: कुछ क्षेत्रों में पवन या सौर ऊर्जा की वांछित मात्रा प्राप्त नहीं होती है, जिससे वहां के लोगों को इसे अपनाने में दिक्कतें आती हैं।
लोगों की मानसिकता: लोग अक्सर जिस तकनीकी परिवर्तन को जानते और समझते हैं, उसी को अपनाने में सहज महसूस करते हैं। नवीकरणीय ऊर्जा से संबंधित तकनीकों को अपनाने में लोगों को संकोच होता है।
भारत में सन् २०२२ तक ४० गीगावाट के रूफटॉप सोलर सिस्टम लगाने का लक्ष्य रखा गया था किन्तु फरवरी सन् २०२३ तक मात्र ८ गीगावाट ही प्राप्त किया जा सका है।
नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में आने वाली चुनौतियाँ जरूर हैं, लेकिन विकासशील प्रौद्योगिकी और सरकारी पहल के माध्यम से इन पर विजय पाने की निरंतर कोशिश की जा रही है।
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