यूँ तो ऊर्जा के परंपरागत संसाधन (कोयला, खनिज तेल, प्राकृतिक गैस), ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण
भूमिका निभाये हैं। ऊर्जा की आवश्यकता दिन-प्रतिदिन जिस रफ्तार से बढ़ती जा
रही है उसी रफ्तार से परंपरागत ऊर्जा-संसाधनों की खपत भी बढ़ती जा रही है। ये
संसाधन एक न एक दिन अवश्य समाप्त हो जायेंगे। इसीलिए ऊर्जा के कुछ ऐसे श्रोत, जो अक्षय या स्थायी श्रोत हैं, जो कभी समाप्त नहीं
होने वाले श्रोत हैं, जैसे- सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल-विद्युत ऊर्जा,
समुद्रों में बनने वाली ज्वारीय ऊर्जा, बायो
गैस आदि। इनका उपयोग, ऊर्जा के क्षेत्र में विश्व स्तर पर बड़ी तेजी से हो रहा है।
हमारे देश भारत मे भी इसके उपयोग पर जोर दिया जा रहा है। इसके उपयोग हेतु, सरकार की तरफ से प्रोत्साहन भी दिया जा रहा है।
Source: Market Business News
अक्षय श्रोतों से प्राप्त
होने वाली ऊर्जा को नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) कहते हैं। नवीकरणीय ऊर्जा को,
अक्षय ऊर्जा, या स्थायी ऊर्जा भी कहते हैं। नवीकरण ऊर्जा-श्रोत, शुद्ध होते हैं और परंपरागत ऊर्जा-श्रोतों की तुलना में कम प्रदूषण उत्पन्न करते हैं। दूसरी
तरफ परंपरागत ऊर्जा-श्रोत एक दिन समाप्त हो जाने वाले हैं और इनको उपयोग में लाने से प्रदूषण
का स्तर दिनों-दिन इस कदर बढ़ता जा रहा कि जीवन गंभीर संकट
में पड़ता जा रहा है। कुछ बड़े शहरों के प्रदूषण-स्तर की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। तो
आइए, हम-सब मिलकर यह संकल्प लें कि प्रदूषण-मुक्त वातावरण के सृजन में हम अपना अमूल्य
योगदान प्रदान करेंगे।
नवीकरणीय ऊर्जा के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए इस लेख
को अंत तक जरूर पढ़ें।
Contents:
1. नवीकरणीय ऊर्जा किसे कहते
हैं?
2. नवीकरणीय ऊर्जा के उदाहरण
3. नवीकरणीय ऊर्जा के विकास
को प्रोत्साहित करने के लिए सरकारी नीतियां और योजनाएँ
4. नवीकरणीय ऊर्जा का महत्व
5. नवीकरण ऊर्जा के लाभ
6. नवीकरणीय
ऊर्जा के नुकसान
7. नवीकरणीय
ऊर्जा से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. नवीकरणीय ऊर्जा किसे कहते हैं?
नवीकरणीय ऊर्जा के अन्तर्गत वो सारी ऊर्जा शामिल हैं जो प्रदूषणकारक नहीं हैं तथा जिनके श्रोत का क्षय नहीं होता है या फिर जिनके श्रोत का पुनर्भरण होता रहता है। नवीकरणीय ऊर्जा, प्राकृतिक ऊर्जा-श्रोतों द्वारा
निर्मित होती है। नवीकरणीय ऊर्जा-संसाधन, स्थायी और सस्ते होते हैं और अस्थायी उर्जा-संसाधनों
की तुलना में असीमित मात्रा में उपलब्ध होते हैं। यह ऊर्जा, विभिन्न
ऊर्जा-श्रोतों, जैसे- सूर्य, वायु, जल और जैव पदार्थों से प्राप्त की जाती है। इसका उपयोग न केवल प्राकृतिक वातावरण के
संरक्षण में मदद करता है, बल्कि यह ऊर्जा सुरक्षित,
सस्ती और स्थायी रूप से उपयोग की जा सकती है।
2. नवीकरणीय ऊर्जा के उदाहरण
यहां कुछ नवीकरणीय
ऊर्जा के उदाहरण हैं; सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल विद्युत ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, बायो गैस ऊर्जा, जैव ईंधन, भूतापीय ऊर्जा।
सौर-ऊर्जा (Solar Energy):
सूर्य से प्राप्त होने वाली विकिरण-ऊर्जा को सौर-ऊर्जा कहते हैं। नवीकरणीय
ऊर्जा के स्रोतों में सौर-ऊर्जा सबसे महत्वपूर्ण है। सौर-ऊर्जा, कभी समाप्त नहीं होने वाली, विश्वस्तरीय प्रदूषण-रहित ऊर्जा है। वैज्ञानिक, सौर ऊर्जा से चलने वाली कारों को लांच
करने की तैयारी कर रहे हैं। सौर ऊर्जा से बनाई जाने
वाली बिजली, सौर-पैनल के माध्यम से प्राप्त की जाती है। सौर-ऊर्जा
का उपयोग घरेलू विद्युतीकरण, उद्योग, सड़क-लाइटें
और पानी गर्म करने के लिए किया जाता है।
पवन-ऊर्जा (Wind Energy):
हवा की गति से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा को, पवन-ऊर्जा या वायु-ऊर्जा कहते हैं, और इसे पवन-चक्की
द्वारा प्राप्त करते हैं। इसका उपयोग बहुत ही लंबे समय से होता आ रहा है। यह एक स्थायी और विश्वसनीय ऊर्जा-श्रोत है। वैश्विक
ऊर्जा के मांग में पवन-ऊर्जा का अच्छा योगदान है। पवन-ऊर्जा का उपयोग, रोशनी,
पानी-पंपिंग, और समुद्री क्षेत्रों में होता है।
जल-विद्युत ऊर्जा (Hydroelectric Energy):
जल की गतिज ऊर्जा (Kinetic
Energy) से जो विद्युत पैदा की जाती है उसे जल-विद्युत ऊर्जा कहते हैं। यह अन्य नवीकरणीय ऊर्जा-श्रोतों की तुलना में अधिक विश्वसनीय है।जल-ऊर्जा का उपयोग जल-स्रोतों, जैसे
बांधों और जल गतिविधियों, के माध्यम से किया जाता है। इसमें
बांधों के पानी से चलाए जाने वाले टर्बाइनों और पंपों का उपयोग होता है।
ज्वारीय-ऊर्जा (Tidal Energy):
वह ऊर्जा जो समुद्र में ज्वार-भाटा की ऊर्जा को टर्बाइन के
द्वारा विद्युत-ऊर्जा में परिवर्तित कर दिया जाता है, उसे ज्वारीय-ऊर्जा कहते हैं। समुद्री ऊर्जा, एक स्थायी और
स्रोत-निर्भर ऊर्जा है और इसका उपयोग विद्युतीकरण, पानी शोधन,
और समुद्री जीवन का समर्थन करने में होता है।
बायोगैस ऊर्जा (Biogas Energy):
बायोगैस, एक जैव-प्रक्रिया के माध्यम से उत्पन्न होता है,
जिसके अंतर्गत कुछ विशेष प्रकार के बैक्टीरिया, जैविक कचरे को उपयोगी बायो-गैस में परिवर्तित कर देते हैं, जैसे- मीथेन गैस।
जैव-ईंधन (Bio-Fuel) :
पेड़-पौधों, फसलों, गोबर में नीहित
ऊर्जा को जैव-ऊर्जा कहते हैं। पृथ्वी पर संपूर्ण वनस्पतियों,
और जन्तु पदार्थों को बायोमास कहते हैं। बायोमास को सीधे तरल
पदार्थों में परिवर्तित किया जा सकता है, जिसे जैव-ईंधन कहा जाता है, जैसे- इथेनॉल, मेथेनॉल, ब्यूटेनाल, बायो-डीजल, बायोगैस आदि। जैव-ऊर्जा भी महत्वपूर्ण है और इसका उपयोग जैविक-सामग्री से ऊर्जा उत्पादित करने के लिए किया जाता है। जैव-ऊर्जा का उपयोग विद्युतीकरण, ग्रामीण ऊर्जा-आपूर्ति,
विज्ञान और गैर-विज्ञानिक उपयोगों (जैसे ग्रीन केमिस्ट्री और
बायोफार्मिंग) में किया जाता है।
भूतापीय ऊर्जा (Geothermal Energy):
पृथ्वी का निचला सतह बहुत
गर्म है। इसलिए पृथ्वी के अंदर संग्रहीत ताप से प्राप्त होने वाली
ऊर्जा को भू-तापीय ऊर्जा कहते हैं। इस ऊर्जा का उपयोग बिजली, ताप-भवनों, स्नान आदि के लिए किया जाता है।
1. नवीकरणीय ऊर्जा के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए सरकारी नीतियां और योजनाएं
सब्सिडी और अनुदान:
सरकारें, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के लिए अनुदान और सब्सिडी प्रदान करती हैं। इससे
ऊर्जा-संयंत्रों के निर्माण और संचालन की लागत कम होती है और नवीनतम तकनीकों के
विकास को प्रोत्साहित किया जाता है।
सरकारी नीतियां:
कई देशों ने नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए विशेष
नीतियां बनाई हैं। भारत
में भी नवीकरणीय
ऊर्जा के प्रोत्साहन के लिए कई सरकारी नीतियां और योजनाएँ हैं, जो निम्न हैं;
जवाहरलाल
नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन
जवाहरलाल
नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन, जनवरी 2010 में भारत के तत्कालीन
प्रधानमंत्री के द्वारा शुरू किया गया।
राष्ट्रीय
बायो गैस योजना
राष्ट्रीय
बायोगैस योजना के अन्तर्गत, बायोगैस संयंत्र स्थापित किये जाते हैं। जिससे पशुपालक, कृषक, गोबर व वनस्पतिक पदार्थों से बायो गैस व खाद
बनाकर उसे उपयोग में ला सकते हैं। इससे गोबर का सही
इस्तेमाल होता है और स्वच्छता बढ़ती है।
सूर्य-मित्र योजना
सूर्य-मित्र
योजना के अन्तर्गत, सौर-ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सरकार, लोगों को आवश्यक प्रशिक्षण देती है।
सौर-ऋण योजना
सौर-ऋण
योजना के अन्तर्गत, सौर-ऊर्जा को बढ़ावा
देने हेतु सौर-ऊर्जा पैनल लगवाने में आने वाले कुल खर्च का
लगभग 75% तक सरकार ऋण उपलब्ध करवाती है।
अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग:
विभिन्न देश, नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में
अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग कर रहे हैं।
2
3. नवीकरणीय ऊर्जा का महत्व
नवीकरणीय ऊर्जा, आधुनिक दुनियाँ में बहुत महत्वपूर्ण है। नवीकरणीय ऊर्जा-स्रोतों का उपयोग, विकासशील देशों और समुदायों के
लिए एक सुरक्षित, साफ, और सस्ता विकल्प
प्रदान करना है। यह पर्यावरणीय प्रभाव को कम करता है, जलवायु
परिवर्तन को रोकता है और ऊर्जा-सुरक्षा को सुदृढ़ करता है। यहां
कुछ महत्वपूर्ण कारण हैं जो नवीकरणीय ऊर्जा के महत्व को दर्शाते हैं;
- नवीकरणीय ऊर्जा-स्रोतों के उपयोग से
जलवायु परिवर्तन के कारणों को कम किया जा सकता है।
- नवीकरणीय ऊर्जा-स्रोत, साफ एवं निर्मल होते हैं और वायु प्रदूषण,
जल प्रदूषण जैसी समस्याओं को कम करने में मदद करते हैं।
- नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत, ऊर्जा-सुरक्षा
को सुदृढ़ करते हैं।
- इसका उपयोग, घरेलू और
आधारभूत ऊर्जा की संयमितता को बढ़ाता है।
- ऊर्जा-आत्मनिर्भरता को बढ़ाता है।
- यह ऊर्जा स्थायी और सस्ती होती है जिससे ऊर्जा खरीदारों को उचित मूल्य पर ऊर्जा प्राप्त
करने में मदद मिलती है।
- उपयोगकर्ताओं को बेहतर ऊर्जा मिलती है,
जो कृषि, उद्योग और सामाजिक विकास को समर्थन
करती है।
- नवीकरणीय ऊर्जा का महत्व
वैश्विक स्तर पर सहयोग को प्रोत्साहित करता है।
- जीवनशैली और उद्योगों में परिवर्तन होता है।
4. नवीकरण ऊर्जा के लाभ
नवीकरण ऊर्जा से कई प्रकार के लाभ हैं, जैसे-
- अक्षय
ऊर्जा-श्रोत
समाप्त नहीं होंगे।
- नवीकरणीय
ऊर्जा, विश्वसनीय है।
- नवीकरण
ऊर्जा-स्रोत, शुद्ध होते हैं और कार्बन-उत्सर्जन को कम करने में मदद करते हैं।
- यह पर्यावरण
के अनुकूल है।
- नवीकरणीय
ऊर्जा, स्वास्थ्य
के अनुकूल है।
- नवीकरणीय
ऊर्जा-प्रौद्योगिकि से नये रोजगार के अवसर बढ़ते हैं।
- नवीकरणीय
ऊर्जा-मशीनरी
एवं उपकरणों के रख-रखाव में आने वाली लागत कम होती है।
- नवीकरणीय
ऊर्जा, ऊर्जा की
कीमतों में स्थिरता प्रदान करती है।
- देशों की
आर्थिक स्वतंत्रता बढ़ा सकती है।
- नवीकरण
ऊर्जा-स्रोतों का
उपयोग करने से ऊर्जा-सुरक्षा में सुधार होता है।
- जीवन-गुणवत्ता में सुधार होता
है।
- ऊर्जा-सहयोग के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र के उद्योग, विज्ञान
और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अधिक अवसर और समाधान प्राप्त हो सकते हैं।
5. नवीकरणीय ऊर्जा के नुकसान:
नवीकरणीय ऊर्जा से लाभ के साथ इसके उपयोग में आने वाली कुछ हानियाँ भी हैं, जैसे-
- गैर-नवीकरणीय ऊर्जा के उत्पादन की तुलना में, नवीकरणीय ऊर्जा के उत्पादन में आने
वाली लागत अधिक होती है।
- अधिकांश नवीकरणीय ऊर्जा-संसाधन, प्राकृतिक श्रोतों और मौसम
पर दृढ़ता से निर्भर हैं। उदाहरण के लिए, सौर-ऊर्जा बहुत ठंडे जगहों के लिए उपयुक्त नहीं हो सकती। जल-विद्युत परियोजना, वहीं पर लगायी जा सकती है जहां पर
प्रचुर मात्रा में पानी, हमेशा उपलब्ध हो।
- खराब
मौसम में सोलर सेल की उपयोगिता कम होगी।
- नवीकरणीय
तकनीकों की दक्षता कम है।
- नवीकरणीय
ऊर्जा-संयंत्र
स्थापना के लिए अधिक स्थान की आवश्यकता होती है।
- नवीकरणीय
ऊर्जा उपकरणों को पुनर्चक्रण / रिसाइक्लिंग की आवश्यकता होगी।
Must Read:-
नवीकरणीय ऊर्जा से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
प्रश्न: नवीकरणीय ऊर्जा और अनवीकरणीय ऊर्जा में मुख्य
अंतर क्या है?
उत्तर: वह ऊर्जा, जिसका श्रोत असीमित होता है, उसे नवीकरणीय ऊर्जा
कहते हैं, जैसे- सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा।
इसके ठीक विपरीत वह ऊर्जा, जिसका श्रोत सीमित होता है,
अनवीकरणीय ऊर्जा कहते हैं। अनवीकरणीय ऊर्जा-श्रोत, जैसे- कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक
गैस इत्यादि।
प्रश्न: भारत
की सबसे बड़ी नवीकरणीय ऊर्जा कम्पनी कौन है?
उत्तर:
अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड, भारत
की सबसे बड़ी नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादक कम्पनी है।
प्रश्न: विश्व
में सबसे ज्यादा जलविद्युत उत्पादक देश कौन हैं?
उत्तर:
चीन, कनाडा, ब्राजील, अमेरिका आदि।
प्रश्न: विश्व
में सबसे बड़ा नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादक देश कौन है?
उत्तर:
चीन
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बहुत ही अच्छा लेख है।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
जवाब देंहटाएंWell written👍. 'नवीकरणीय ऊर्जा का भविष्य' के बारे में भी विस्तार से लिखें। पाठक को दिशा मिलेगी। 🙏
जवाब देंहटाएंउचित परामर्श के लिए धन्यवाद!
हटाएंमैं "नवीकरणीय ऊर्जा का भविष्य" के उपर लेख जल्दी ही लिखने की कोशिश करूँगा।