26 दिसंबर 2022

पर्यावरण संरक्षण । Environmental Conservation

पर्यावरण दो शब्दों, परि+आवरण से मिलकर बना है। परि का अर्थ है चारों तरफ और आवरण का अर्थ है आवृत यानी घेरा। पर्यावरण प्रकृति का वह नायाब तोहफा है जो पृथ्वी पर सभी जीव जन्तुओं के जीवन के लिए आवश्यक सभी पदार्थ जैसे -धरती, जल, वायु, प्रकाश, पेड़-पौधे, वनस्पतिय औषधियाँ आदि प्रदान करता है। पर्यावरण को संरक्षित कर जीवन के अनुकूल बनाये रखने को पर्यावरण संरक्षण कहते हैं। 

                                                                                                                                              सौजन्य : ख्याल रखे

जब हम पर्यावरण संरक्षण की बात करते हैं तब पर्यावरण संरक्षण की शिक्षा अपरिहार्य हो जाती है। वह शिक्षा जो प्राकृतिक, आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक वातावरण के बीच के संबन्धों से लोगों को अवगत कराये, उसे हम पर्यावरणीय शिक्षा कहते हैं। पर्यावरण की शिक्षा हमें इस बात का भी अहसास कराती है कि जिस तरह पर्यावरण हमारे जीवन की रक्षा करता है उसी तरह पर्यावरण की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी हम सबकी बनती है। हमारा जीवन तभी तक सुरक्षित है जब तक पर्यावरण सुरक्षित है।

Contents: 

पर्यावरण संरक्षण की व्याख्या
पर्यावरण संरक्षण के प्रकार
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम
पर्यावरण संरक्षण का महत्व
पर्यावरण संरक्षण के उपाय
पर्यावरण संरक्षण से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) 

पर्यावरण संरक्षण की व्याख्या:

पर्यावरण संरक्षण या एन्वायरनमेंटल कंजर्वेशन एक प्रक्रिया है जिसमें हम प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग को संतुलित करने का प्रयास करते हैं ताकि हमारे पर्यावरण के विभिन्न घटक, जैसे वनस्पति, जलवायु, जल, मृदा, खनिज, और जैव विविधता, संरक्षित रह सकें। सका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण को बर्बाद होने से बचाना है, क्योंकि पर्यावरण की स्वस्थ स्थिति हमारे लिए और हमारी आगामी पीढ़ियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। 

पर्यावरण संरक्षण के प्रकार:- र्यावरण संरक्षण के प्रकार विभिन्न हैं, जिसमें से कुछ निम्नलिखित हैं:

वन संरक्षण: वनों को संरक्षित करना, वृक्षारोपण और अत्यधिक कटाई से बचाव।

जल संरक्षण: जल के अधिक उपयोग को रोकना, जल पुनर्प्रयोग और वृष्टि-जल संरक्षण।

वायु संरक्षण: वायु प्रदूषण कम करने के उपाय अपनाना और अधिक से अधिक हरित-ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करना।

जैव विविधता यानी विभिन्न प्रजातियों का संरक्षण: संघटित और असंघटित जीवन के संरक्षण के लिए प्रयास करना।

मृदा संरक्षण: सहज और जैविक कृषि को प्रोत्साहित करना एवं मृदा एरोजन से बचाव।

ऊर्जा संरक्षण: नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उपयोग को बढ़ावा देना और ऊर्जा का समझदारी से उपयोग करना।

प्रदूषण नियंत्रण: प्रदूषकों के स्रोतों को घटाना और प्रदूषण नियंत्रण के उपाय को अपनाना।

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम:-


"पर्यावरण संरक्षण अधिनियम" भारतीय संविधान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो पर्यावरणीय सुरक्षा और संरक्षण के लिए लागू होता है। इसे 1986 में भारतीय संसद द्वारा पारित किया गया था। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण की सुरक्षा और उसमें सुधार करना है।

इस अधिनियम के अंतर्गत, केंद्र सरकार को प्रदूषण की रोकथाम, प्रदूषित क्षेत्र का संवर्धन और पर्यावरण के समग्र संरक्षण के लिए नियामक नीतियाँ तैयार करने का अधिकार होता है।

इस अधिनियम के तहत, किसी भी व्यक्ति या संगठन को पर्यावरणीय मानकों का पालन करने का आदेश दिया जा सकता है। किसी भी व्यक्ति या संगठन को इस अधिनियम का उल्लंघन करने पर उसे दंडित किया जा सकता है।

यह अधिनियम भारतीय पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जिससे हमारा पर्यावरण स्वस्थ और सुरक्षित रह सकता है।

"पर्यावरण संरक्षण अधिनियम" के अनुसार, केंद्र सरकार निम्नलिखित क्षमताओं का प्रयोग कर सकती है:
  • विभिन्न प्रकार के प्रदूषण के लिए मानकों का निर्धारण और सुनिश्चित करना।
  • प्रदूषण के स्थानीय स्रोतों को नियंत्रित करने के उपायों का निर्धारण करना।
  • प्रदूषण को रोकने, नियंत्रित करने और घटाने के लिए प्रक्रियाओं और उपकरणों के प्रयोग को प्रोत्साहित करना।
  • विशेष प्रकार की गतिविधियों के लिए प्राधिकारानुसार नियामकों को नियुक्त करना।
  • पर्यावरणीय अध्ययन और शोध के लिए सहयोग और समर्थन प्रदान करना।
  • इस अधिनियम में उल्लंघन करने वालों के लिए कड़ी सजा भी प्रावधान है। इसके तहत, उल्लंघन करने वाले को जेल की सजा और/या जुर्माना हो सकता है।
यह अधिनियम अत्यधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारत के पर्यावरण की सुरक्षा करने का काम करता है, जो हमारे स्वास्थ्य और कल्याण के लिए अतिआवश्यक है। यह हमारी भावी पीढ़ियों के लिए स्थायी और स्थिर पर्यावरण की गारंटी देता है।

पर्यावरण संरक्षण का महत्व:-

पर्यावरण संरक्षण का हमारे जीवन में विशेष महत्व है और हमें इसे समझने की आवश्यकता है क्योंकि हमारे जीवन का आधार, पर्यावरण पर ही निर्भर है। निम्नलिखित बिंदु इसकी महत्ता को स्पष्ट करते हैं;

प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा: पर्यावरण संरक्षण से हमारे प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा होती है जो हमें जल, खाद्य, ऊर्जा, आदि प्रदान करते हैं।

जैव विविधता की सुरक्षा: जैव विविधता की सुरक्षा भी पर्यावरण संरक्षण से ही संभव है। यह इकोसिस्टम के स्वास्थ्य और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।

जलवायु परिवर्तन को रोकना: पर्यावरण संरक्षण से हम जलवायु परिवर्तन जैसी बड़ी समस्याओं को नियंत्रित कर सकते हैं। वनों का संरक्षण और पेड़ लगाना कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने में मदद करता है, जो ग्रीनहाउस गैस होती है।

स्वास्थ्य सुरक्षा: पर्यावरण प्रदूषण से हमारे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ते हैं। शुद्ध पानी, हवा और भोजन हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। पर्यावरण संरक्षण से हम इन प्रदूषण कारकों को कम कर सकते हैं।

स्थायी विकास: पर्यावरण संरक्षण हमें स्थायी विकास की दिशा में बढ़ने में मदद करता है। यह सुनिश्चित करता है कि हम भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी संसाधन बचाकर रखें, ताकि वे भी हमारे जैसा जीवन जी सकें।

इस प्रकार, पर्यावरण संरक्षण का महत्व हमारे जीवन, स्वास्थ्य, और भविष्य के सुरक्षित होने में है। हम सभी को इसकी अहमियत समझनी चाहिए और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अपना योगदान देना चाहिए।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय:-

पर्यावरण संरक्षण के लिए कई उपाय हैं। यहाँ कुछ उपाय दिए गए हैं:

वृक्षारोपण: वृक्ष हमारे पर्यावरण के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। वे कार्बन डायॉक्साइड को अवशोषित करते हैं और ऑक्सीजन उत्सर्जित करते हैं। 

पानी की सही उपयोग करें: पानी बचत करने और इसका सही उपयोग करने की आवश्यकता है। 

कचरा प्रबंधन: कचरे को ठीक से प्रबंधित करना चाहिए। हमें कचरे को विभाजित करना चाहिए ताकि इसकी रीसायक्लिंग और कम्पोस्टिंग की जा सके।

खरीददारी और उपभोग की आदतों में बदलाव: हमारी खरीदारी और उपभोग की आदतों को बदलना होगा। हमें वापस उपयोग योग्य उत्पादों का चयन करना चाहिए। 

ऊर्जा की बचत: हमें ऊर्जा की बचत करने के लिए उपाय ढूंढना चाहिए और हमें सौर ऊर्जा जैसी नवीनतम तकनीकों का उपयोग करना चाहिए।

वन्यजीव संरक्षण: हमें वन्यजीवों के संरक्षण की आवश्यकता है क्योंकि वे हमारे जैव-विविधता का हिस्सा हैं और पर्यावरणीय संतुलन के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।

जागरूकता कार्यक्रम: जागरूकता कार्यक्रमों को आयोजित करके लोगों को पर्यावरण संरक्षण के महत्व के बारे में बताना चाहिए।

कार पूलिंग: जब भी संभव हो, कार पूलिंग (अपनी यात्रा को अन्य यात्रियों के साथ साझा करना) करने का प्रयास करें। यह यात्रा खर्च में कटौती के साथ, वायुमंडलीय प्रदूषण को कम करने में सहायक होता है।

ई-वाहनों का उपयोग: ई-वाहनों (इलेक्ट्रिक वाहनों) का उपयोग करने की कोशिश करें।

कृषि तकनीक का उपयोग करना: कृषि क्षेत्र में, हमें खेती की तकनीक पर ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है, जैसे की जल संचयन तकनीकों का उपयोग करना, जैविक खाद का उपयोग करना, और फसलों की विविधता बढ़ाना आदि। 

स्थानीय उत्पादों का समर्थन करें: स्थानीय उत्पादों और खाद्य पदार्थों का उपयोग करना भी एक प्रभावी तरीका होता है। 

जल संरक्षण: जल की बर्बादी से बचने के लिए हमें जल संरक्षण के तरीकों को अपनाना चाहिए, जैसे की वर्षा जल संचयन, जल पुनर्चक्रण, और जल का सही उपयोग।

पर्यावरण शिक्षा: स्कूलों, कॉलेजों और समुदायों में पर्यावरणीय शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए, जिससे लोगों को पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता और इसके तरीकों के बारे मे जानकारी प्राप्त हो सके।

भूजल की बचत: भूजल के अतिउपयोग/ दोहन से बचने के लिए, हमें जल संरक्षण और पुनर्चक्रण के उपायों को अपनाना चाहिए।

सिंगल-यूज प्लास्टिक का त्याग करें: सिंगल यूज प्लास्टिक का त्याग करें और जहां तक संभव हो सके, पुन: उपयोग योग्य और बायोडिग्रेडेबल विकल्पों का उपयोग करें।

स्वच्छता अभियान: स्वच्छता अभियानों में हिस्सा लें और अपने समुदाय में स्वच्छता को बढ़ावा दें।

पर्यटन संबंधी प्रभावों को कम करें: पर्यटन के दौरान पर्यावरण पर होने वाले प्रभावों को कम करने के लिए "ग्रीन पर्यटन" प्रथाओं का पालन करें।

पशु पालन प्रणाली को सुधारें: पशु पालन प्रणाली में सुधार करने का प्रयास करें, ताकि ज्यादा मात्रा में मीथेन गैस का उत्सर्जन न हो।

प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों का उपयोग करें: उद्योगों और वाहनों में प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों का उपयोग करें, जैसे कि कैटालिक कनवर्टर, धूल नियंत्रण उपकरण, ध्वनि नियंत्रण उपकरण आदि।

रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों का कम से कम उपयोग: रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों का कम से कम उपयोग करना और उसकी जगह आर्गेनिक खाद तथा जैविक खाद का अधिक उपयोग करना। 

सारांश


विज्ञान की प्रगति, औद्योगीकरण और शहरीकरण की स्पर्धा ने  पर्यावरण को असंतुलित कर दिया है। चूंकि पर्यावरण और जीवन, दोनों में गहरा संबन्ध है। इसलिए सुरक्षित जीवन के लिए पर्यावरण का संरक्षण अति आवश्यक है। हमें विकास भी चाहिए और स्वच्छ पर्यावरण भी चाहिए। अतः हमें विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाकर रखना होगा। परन्तु विकास की अंधी दौड़ में हम पर्यावरण को भूलकर अनदेखा कर रहे हैं। हमें यह भूलना नहीं चाहिए कि हम कितना भी विकास कर लें, बिना पर्यावरण संरक्षण के विकास का कोई औचित्य नहीं है। विकास का तभी तक मूल्य है जब तक पर्यावरण संरक्षित है और तभी तक हमारा जीवन भी सुरक्षित है।

इसे भी अवश्य पढ़ें-

पर्यावरण संरक्षण से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ):

प्रश्न: पर्यावरण संरक्षण क्यों महत्वपूर्ण है?

उत्तर: पर्यावरण संरक्षण से हमारे प्राकृतिक संसाधन सुरक्षित रहते हैं, जीवन की जैव-विविधता को बनाए रखने में सहायक होता है, और मानवता के लिए स्वस्थ और संतुलित पारिस्थितिकी तंत्र को सुनिश्चित करता है।

प्रश्न: कैसे अपने घर से ही पर्यावरण सुरक्षा की शुरुआत की जा सकती है?

उत्तर: ऊर्जा-बचत उपकरणों का चयन, पुनः प्रयोज्य सामग्री का पुनः प्रयोग, जल की संरक्षण, और वृक्षारोपण जैसे क्रियाकलापों से घर में पर्यावरण की सुरक्षा की जा सकती है।

प्रश्न: वनस्पतियां कैसे पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण हैं?

उत्तर: वनस्पतियां वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करती हैं, ऑक्सीजन प्रदान करती हैं, मृदा की सुरक्षा करती हैं, और जलवायु संतुलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

प्रश्न: अवशेष प्रबंधन में कौन-कौन से तरीके होते हैं?

उत्तर: अवशेष प्रबंधन में पुनः प्रयोजन, पुनः प्रयोग, कमी, और पुनः प्रसंस्करण जैसे तरीके शामिल हैं।

प्रश्न: ओजोन परत क्यों महत्वपूर्ण है?

उत्तर: ओजोन परत सूर्य की हानिकारक अल्ट्रावायलेट (UV) किरणों को अवरोधित करती है, जो मानवों और अन्य प्राणियों के लिए हानिकारक होती हैं।

प्रश्न: जल प्रदूषण के क्या प्रमुख कारण हैं?

उत्तर: उद्योगिक अपशिष्ट, कृषि रसायन, घरेलू स्वच्छता सामग्री, और अन्य प्रदूषक जल प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं।

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