13 नवंबर 2022

भ्रष्टाचार I CURRUPTION

भ्रष्टाचार का अर्थ है, भ्रष्ट आचरण। वह आचरण जो सामाजिक या न्यायिक रूप से उचित न हो, वह भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है। इस तरह के आचरण वाले भ्रष्टाचारी कहलाते हैं। भ्रष्टाचार हमारे समाज का अभिशाप है। हमारे देश में भ्रष्टाचार की जड़ें आज इतनी गहरी हो चुकी हैं कि हमारे लिए नासूर बन गयी हैं। हमारे सामाज का कोई भी क्षेत्र भ्रष्टाचार से अछूता नहीं रह गया है। भ्रष्टाचार उस दीमक की तरह है जो देश की अर्थव्यवस्था को भीतर ही भीतर खोखला कर देता है। 

हमारे देश में राजनेता, अधिकारी, कर्मचारी भ्रष्टाचार में आकंठ संलिप्त हैं। सरकारी महकमा का तो और बुरा हाल है। मैं ये नहीं कह रहा हूँ कि सभी राजनेता, अधिकारी या कर्मचारी भ्रष्ट हैं। इसी में ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ भी हैं जो वास्तव में भ्रष्टाचार रूपी महादैत्य के खिलाफ लड़ना चाहते हैं। किन्तु इनकी ईमानदारी और निष्ठा को हमारा भ्रष्ट समाज नहीं चलने देता है। ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ लोग, भ्रष्ट अधिकारियों, और राजनेताओं की आंखों की किरकिरी बन जाते हैं। भ्रष्ट लोगों का वजूद उनकी वजह से खतरे में दिखता है। भ्रष्ट लोग चाहते हैं कि ईमानदार लोग अपनी ईमानदारी का चोला फेंककर वे भी भ्रष्टाचारी बन जायें। इसके लिए वे हर हथकंडा अपनाते हैं। इस पर भी कोई ईमानदार कर्मचारी अपनी ईमानदारी नहीं छोड़ा तब तो उसकी खैर नहीं। उसका तबादला कहीं ऐसी जगह कर दिया जाता है जहाँ से उसका घर परिवार छूट जाता है। अगर इसके बाद भी कोई हिम्मत और साहस जुटाकर अपने कर्तव्यों को इमानदारी और निष्ठा से निभाना चाहे तो उन्हें झूठे केस में फंसाकर उनका प्रोफेशनल कैरियर खराब कर दिया जाता है। इस तरह उनकी इमानदारी ही उनके गले की फांस बन जाती है। ऐसी स्थिति में उनके अपने लोग भी साथ छोड़ देते हैं और उल्टे उनकी ही ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा पर सवाल उठाने लगते हैं।

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भ्रष्टाचार के रूप:-

चुनावों में धांधली, नागरिकों द्वारा टैक्स चोरी, बड़े अधिकारियों से लेकर चपरासी तक का घूस लेना, शिक्षा का व्यवसायीकरण, खेलों में रिश्वतखोरी, न्यायालयों द्वारा दबाव में आकर पक्षपातपूर्ण निर्णय देना, डाक्टरों द्वारा मरीजों पर गैरजरूरी टेस्ट का बोझ डालना, चार्टर्ड एकाउंटेंटों द्वारा गलत रिपोर्ट पेश करना, झूठा मुकदमा, झूठी गवाही, हफ्ता वसूली, जबरन चंदा-उगाही, भाई-भतीजावाद, कालाबाजारी, वंशवाद आदि सभी कार्य भ्रष्टाचार की श्रेणी में आते हैं।

भ्रष्टाचार के कारण:-


लोभ और स्वार्थपरता, अधिक से अधिक धन संग्रह की प्रवृत्ति, नैतिक मूल्यों का ह्रासभोग विलास की पारस्परिक प्रतिस्पर्धा, भ्रष्टाचारी को इज्जत मिलना जबकि ईमानदार को मूर्ख और गंवार समझा जानासंप्रदायिकता, भाई-भतीजावादभाषावाद और जातिवादजनता में जागरूकता की कमी,  सरकार में दृढ़ निश्चय और इच्छाशक्ति की कमी इत्यादि भ्रष्टाचार के प्रमुख कारण हैं। 

भ्रष्टाचार के दुष्प्रभाव:-


देश का आर्थिक रूप से कमजोर होना, सामाजिक असमानता, बेरोजगारी, काला बाजारीसरकारी लाभ का गरीबों तक नहीं पहुंचना, सरकारी परियोजनाओं का समय पर पूरा न होना आदि भ्रष्टाचार के दुष्प्रभाव हैं। 

भ्रष्टाचार से निवारण:-


१. चुनाव प्रक्रिया में सुधार
चुनाव प्रक्रिया में सुधार की अति आवश्यकता है। गुंडे, माफिया भ्रष्टाचारी जैसे अराजक तत्वों का देश-प्रदेश की राजनीति में प्रवेश रोकने के लिए ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए ताकि ऐसे लोग चुनाव में नामांकन के समय अपना पर्चा दाखिल ही न कर सकें।

२. शिक्षा में सुधार

आज शिक्षा-पद्धति में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। शिक्षा बिकती है। पैसे के बल पर प्रवेश परीक्षाएं पास करवायी जाती है। जिससे गरीब और योग्य अभ्यर्थी शिक्षा या नौकरियों में प्रवेश से वंचित रह जाते हैं। शिक्षा रोजगारपरक के साथ-साथ नैतिकतापरक भी होनी चाहिए। जिससे लोगों में अपने निहित स्वार्थों से उपर उठकर समाजसेवा और देश-प्रेम की भावना जागृत हो सके।


३. राजनीतिक सुधार
भ्रष्टाचार में संलिप्त सभी मंत्रियों, नेताओं, अधिकारियों और कर्मचारियों को निकाल बाहर करना चाहिए और स्वच्छ छवि वाले लोगों को पदासीन करना चाहिए।

४. न्याय व्यवस्था में सुधार

भ्रष्टाचारी पैसे के बल पर छूट जाते हैं। इसलिए भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कानून बनाने की आवश्यकता है तथा उसे उतनी ही सख्ती से उनका पालन करवाने की भी आवश्यकता है। जिससे भ्रष्टाचारियों को कड़ी से कड़ी सजा मिल सके ताकि दुबारा भ्रष्टाचार की ओर देखने की हिम्मत न जुटा सकें। 

५. सरकार में दृढ़ इच्छाशक्ति का होना

अगर देश-प्रदेश की सरकारें वोट की राजनीति और अपनी कुर्सी का मोह छोड़कर भ्रष्टाचार को दूर करने का दृढ़ संकल्प लें तो भ्रष्टाचार अवश्य खत्म हो सकता है। इसके लिए यूरोप के जार्जिया जैसे देश में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने को उदाहरण के तौर पर लिया जा सकता है। 

भ्रष्टाचार बहुत ही गंभीर समस्या है। इसे दूर करने के लिए सरकार को भी कड़े से कड़े फैसले लेने होंगे और जनता को भी अपने निहित स्वार्थों से उपर उठकर देश के एक जिम्मेदार नागरिक की जिम्मेदारी लेनी होगी। हम सभी देशवासियों को दृढ़ संकल्प के साथ एकजुट होकर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना होगा। 

भ्रष्टाचार (Corruption) से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ):

प्रश्न: भ्रष्टाचार क्या है?

उत्तर: भ्रष्टाचार वह अवस्था है जब कोई व्यक्ति अपने निजी हितों के लिए अपने प्रभाव या पद का दुरुपयोग करता है, सार्वजनिक संसाधनों का गलत उपयोग करता है या समाज के नियमों और कानूनों का उल्लंघन करता है।

प्रश्न: भ्रष्टाचार के मुख्य कारण क्या हैं?

उत्तर: अनुशासन की कमी, निगरानी प्रणालियों और सख्त कानूनी व्यवस्था का अभाव, नैतिक और सामाजिक मूल्यों की कमी भ्रष्टाचार के मुख्य कारण हैं।

प्रश्न: भ्रष्टाचार से कैसे निपटा जा सकता है?

उत्तर: भ्रष्टाचार से निपटने के लिए सख्त कानूनी प्रणाली, सार्वजनिक जागरूकता, शिक्षा, अधिक पारदर्शिता और कड़ी जांच प्रक्रिया की जरूरत है।

प्रश्न: भ्रष्टाचार के क्या परिणाम होते हैं?

उत्तर: भ्रष्टाचार समाज में असंतुलन पैदा करता है, विकास में अवरोध डालता है, सामाजिक और आर्थिक असमानता को बढ़ावा देता है और नागरिकों के प्रति विश्वास को कमजोर करता है।

प्रश्न: भ्रष्टाचार रोकने के लिए एक जिम्मेदार नागरिक का क्या कर्तव्य है? 

उत्तर: भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना, रिश्वत लेने और देने से परहेज करना तथा जातिवाद और भाई-भतीजावाद से उपर उठकर योग्य उम्मीदवार के पक्ष में ही अपना मतदान करना आदि एक जिम्मेदार नागरिक के कर्तव्य हैं।

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