जीवन के लिए आहार अत्यंत महत्वपूर्ण है। आहार हमें जीवन जीने के लिए ऊर्जा प्रदान करता है और हमारे शारीरिक एवं मानसिक विकास में सहायक होता है। बिना आहार के, हमारा शरीर सही तरीके से कार्य नहीं कर पाता और विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। विभिन्न लोगों के लिए आहार की योजनाएँ अलग-अलग हो सकती हैं। किसी व्यक्ति को किस प्रकार की आहार-योजना उनके लिए सबसे उत्तम होगी? यह अधिकतर उस व्यक्ति की जीवनशैली, स्वास्थ्य की स्थिति, उम्र और व्यक्तिगत लक्ष्यों पर निर्भर करता है। संतुलित आहार से व्यक्ति स्वस्थ और सक्रिय जीवन जी सकता है। संतुलित आहार के सेवन से व्यक्ति मोटापा, डायबिटीज, हृदय रोग जैसी बीमारियों से बच सकता है। इसके अलावा, यह तंत्रिका-प्रणाली, हड्डियों, और त्वचा के स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाए रखता है।
अतः हर व्यक्ति को अपने आहार में संतुलन बनाए रखनी चाहिए और पौष्टिक आहार के सभी घटकों को सही मात्रा में लेना चाहिए। अतिरिक्त तेल, चीनी, नमक और प्रसंस्कृत खाद्य-पदार्थों का सेवन, सीमित करना चाहिए। आहार के चयन में व्यक्ति की जरूरतों, आयु, लिंग, शारीरिक गतिविधियों और स्वास्थ्य की स्थिति का ध्यान अवश्य रखना चाहिए।
Contents:
- आहार क्या है?
- आहार के प्रकार
- संतुलित आहार क्या है?
- संतुलित आहार और संपूर्ण आहार में अंतर
- संतुलित आहार से लाभ
- संतुलित आहार का महत्व
- आहार-विद्या और उसक विवेचन
- शाकाहार और मांसाहार, परिप्रेक्ष्य
- आहार दिनभर में कितनी बार लेना चाहिए, इस बारे में विभिन्न मत क्या कहते हैं?
- आहार-संबंधी महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
आहार के प्रकार
हमारे शास्त्रों में मुख्य रूप से तीन प्रकार के आहार बताये गये हैं-
१. सात्विक आहार: सात्विक आहार में मुख्य रूप से ताजा, प्राकृतिक और पौष्टिक खाद्य पदार्थों जैसे- जैविक फल, सब्जियां, अंकुरित अनाज, दूध और दूध से बने उत्पादों को शामिल किया जाता है। यह आहार मानव-मन और शरीर को शुद्ध और संतुलित रखता है।
२. राजसिक आहार: राजसिक आहार में अत्यधिक तीखे, मीठे-नमकीन, मसालेदार, प्रोसेस्ड और पैकेज्ड खाद्य-पदार्थों के साथ-साथ कॉफी, चाय और अन्य कैफीन युक्त पेय पदार्थ भी शामिल होते हैं। इस प्रकार के आहार के सेवन से व्यक्ति में प्रवृत्ति, आक्रोश, और अधिक कामनाओं की भावना उत्पन्न होती है।
तामसिक आहार: इस आहार में अधिक मसालेदार, तले हुए खाद्य पदार्थ के अलावा मांस, मदिरा, तंबाकू और अन्य मादक पदार्थ भी शामिल होते हैं।
इसके अलावा भी आहार को उनके संघटक, स्रोत, और परिणामों के आधार पर निम्नलिखित रूप से वर्गीकृत किया जाता है।
संतुलित आहार (Balanced Diet): जिसमें सभी पोषक तत्वों का समुचित संतुलन होता है।
शाकाहार (Vegetarian Diet): जिसमें मांस या मछली का सेवन नहीं किया जाता है।
मांसाहार (Non-Vegetarian Diet): जिसमें पशु और पक्षियों का मांस समाहित होता है।
संयुक्त आहार (Omnivorous Diet): जिसमें शाकाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार के भोजन शामिल होते हैं।
वीगन आहार (Vegan Diet): जिसमें किसी भी प्रकार के पशु संबंधित उत्पादों (जैसे दूध, और दूध से बने पदार्थ आदि) का सेवन नहीं किया जाता है।
केटो आहार (Keto Diet): इसमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा को कम किया जाता है, और फैट को अधिक मात्रा में सेवन किया जाता है।
रा फूड डाइट (Raw Food Diet): जिसमें केवल कच्चा या अधिकतम 47.8°C तक ही गर्म किये हुए भोजन का सेवन किया जाता है।
ग्लूटेन-मुक्त आहार (Gluten-Free Diet): जिसमें ग्लूटेन युक्त अनाज नहीं खाए जाते हैं। ग्लूटेन एक प्रोटीन है जो गेहूं, जौ, राई और उनसे संबंधित अनाजों में पाया जाता है। यह प्रोटीन, आटे को लचीलापन प्रदान करता है और ब्रेड तथा अन्य बेक्ड उत्पादों को उनका विशेष ढांचा देने में मदद करता है। कुछ लोगों को ग्लूटेन से समस्या होती है, जैसे की सीलियाक रोग या ग्लूटेन-संवेदनशीलता। फलतः उन्हें ग्लूटेन-मुक्त आहार अपनाना पड़ता है।
निराहार (Intermittent Fasting): इसमें निर्धारित समय के लिए उपवास किया जाता है।
पैलियो आहार (Paleo Diet): पैलियो डाइट का मतलब पाषाण काल के लोगों के द्वारा लिये जाने वाले आहार का अनुकरण करना है।
संतुलित आहार क्या है?
"संतुलित आहार" वह आहार है जिसमें सभी पोषक तत्व मानव शरीर की जरूरत के अनुसार सही परिमाण में होते हैं। संतुलित आहार से शरीर को ऊर्जा, विकास, मरम्मत और रोग प्रतिरोध क्षमता प्राप्त होती है।
संतुलित आहार के प्रमुख घटक:
प्रोटीन: प्रोटीन, संतुलित आहार का महत्वपूर्ण मौलिक घटक है जो एमिनो एसिड्स की शृंखलाओं से बने होते हैं। यह शरीर की मांसपेशियों के निर्माण और मरम्मत तथा हार्मोंन्स के उत्पादन के लिए जरूरी है। यह शरीर को ऊर्जा भी प्रदान करता है। दाल, मांस-मछली, अंडा, दूध, फलियां आदि प्रोटीन के अच्छे स्रोत हैं।
विटामिन: विटामिन शरीर के लिए जीवनदायक हैं और उन्हें आहार से प्राप्त किया जाता है। विटामिन शरीर के सही विकास और कार्यशीलता के लिए आवश्यक हैं। विटामिन के कई प्रकार हैं, जैसे; विटामिन A, विटामिन B (जिसमें B1, B2, B3, B5, B6, B7, B9, और B12 शामिल हैं), विटामिन C, विटामिन D, विटामिन E और विटामिन K। प्रत्येक विटामिन का अपना विशिष्ट रोल है और उनकी कमी से विभिन्न प्रकार की समस्याएं हो सकती हैं। उचित मात्रा में विटामिन का सेवन करना महत्वपूर्ण है।
कार्बोहाइड्रेट: यह शरीर के लिए मुख्य ऊर्जा-स्रोत है जो आहार का ५०-६०% होना चाहिए। यह साबुत अनाज, फल, चीनी और सब्जियों में पाया जाता है। कार्बोहाइड्रेट प्रमुख तीन प्रकार के होते हैं;
कार्बोहाइड्रेट का संतुलित सेवन, सही उर्जा स्तर बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। हालांकि, अधिक रिफाइंड या प्रोसेस्ड कार्बोहाइड्रेट का सेवन वजन-वृद्धि, मधुमेह और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। इसलिए, साबुत अनाज, फल और सब्जियां जैसे स्वास्थ्यपूर्ण स्रोतों से कार्बोहाइड्रेट का सेवन करना बेहतर है।
वसा: ये शरीर के विभिन्न कार्यों में सहायक होते हैं, जैसे की ऊर्जा-उत्पादन, हड्डियों का विकास, और इम्यून सिस्टम का समर्थन। इनके अच्छे स्रोत- मांस, मछली, तेल, मक्खन, अनाज, फल, सब्जियां, ड्राईफ्रूट्स, बीज आदि हैं। यह शरीर के लिए ऊर्जा का स्रोत होता है तथा शरीर का तापमान बनाये रखने में और घुलनशील विटामिनों को सोखने में मदद करता है।
खनिज लवण: खनिज लवण (मिनरल) वे खनिज तत्व हैं जो हमारे शरीर के विकास, कार्यशीलता और सेहत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। ये शरीर के मेटाबोलिज्म, पानी का संतुलन, हड्डियों और मांसपेशियों के विकास और कई अन्य जीवन की प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। खनिज लवण दो प्रकार के होते हैं;
मैक्रोमिनरल्स (बड़े खनिज): इन्हें शरीर को अधिक मात्रा में चाहिए होता है। जैसे; कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम, सोडियम, पोटैशियम,क्लोराइड, सल्फर आदि।
माइक्रोमिनरल्स (छोटे खनिज): इन्हें शरीर को कम मात्रा में आवश्यकता होती है। जैसे; आयरन, जिंक, आयोडीन, सेलेनियम, कॉपर, मैंगनीज, फ्लोराइड आदि। इन खनिजों की उचित मात्रा में सेवन से हमारा शरीर सही तरह से कार्य करता है।
फाइबर: फाइबर आहार का महत्वपूर्ण हिस्सा है। अनाज, फल, सब्जियाँ, अखरोट और दालों में फाइबर होता है। यह पाचन में सहायक होता है। कब्ज की समस्या दूर होती है। कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है। यह सुगर के लेवल को नियंत्रित करने में मदद करता है। चूंकि फाइबर युक्त आहार लेने से पेट भरा महसूस होता है जिसके कारण हम कम खाना खाते हैं फलस्वरूप वजन भी नियंत्रित होता है।
जल: जल शरीर की सभी कोशिकाओं और उत्तकों में पाया जाता है और यह शरीर के सभी मूल कार्यों के लिए जरूरी है। इसलिए पानी का अधिक सेवन करना चाहिए।
संतुलित आहार और संपूर्ण आहार में अंतर
संतुलित आहार और संपूर्ण आहार में अंतर समझने के लिए, इन शब्दों के अर्थों पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है:
संतुलित आहार: संतुलित आहार वह है जिसमें सभी प्रकार के पोषक तत्व (जैसे प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, मिनरल्स आदि) समुचित मात्रा में होते हैं, जिससे व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की अच्छी स्थिति बनी रहे।
संपूर्ण आहार: इसका मतलब है ऐसा खाद्य पदार्थ जिसमें एक ही प्रकार के खाद्य पदार्थ में सभी पोषक तत्व पाए जाते हैं। उदाहरण स्वरूप, दूध और अंडा, ये अकेले ही कई प्रकार के पोषक तत्व प्रदान करते हैं, इसलिए इन्हें अक्सर संपूर्ण खाद्य पदार्थ माना जाता है।
संक्षेप में, संतुलित आहार सभी पोषक तत्वों को समुचित अनुपात में शामिल करता है जबकि संपूर्ण आहार में एक ही खाद्य पदार्थ, सभी पोषक तत्वों को प्रदान करता है।
संतुलित आहार से लाभ
संतुलित आहार से निम्नलिखित लाभ होते हैं:
ऊर्जा प्रदान: संतुलित आहार से शरीर को जरूरी ऊर्जा मिलती है जो रोजमर्रा की गतिविधियों के लिए आवश्यक है।
शारीरिक स्वास्थ्य: शारीरिक विकास और मरम्मत के लिए आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं।
रोग प्रतिरोधक क्षमता: संतुलित आहार से शरीर की प्रतिरोधक प्रणाली मजबूत होती है और यह विभिन्न रोगों से लड़ने में मदद करता है।
मानसिक स्वास्थ्य: संतुलित आहार मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता है, जिससे मनोबल बढ़ता है।
वजन प्रबंधन: संतुलित आहार से वजन को नियंत्रित रखना आसान होता है।
हड्डियों के लिए: कैल्शियम और फास्फोरस जैसे मिनरल्स से हड्डियाँ मजबूत होती हैं।
आंतरिक अंगों की संरचना और कार्य: जैसे कि लिवर, गुर्दे आदि का सही संचालन और संरचना बनाये रखने में मदद करता है।
इसलिए, संतुलित आहार लेना शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
संतुलित आहार का महत्व
संतुलित आहार का महत्व शारीरिक, मानसिक, और समाजिक स्वास्थ्य में होता है। यहां संतुलित आहार के महत्व की विस्तार से चर्चा की गई है;
जीवन की आवश्यक प्रक्रियाओं के लिए: प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स, और अन्य पोषक तत्व हमारे शरीर की जीवनीय प्रक्रियाओं के लिए जरूरी हैं।
रोगों से बचाव में: संतुलित आहार से शरीर की रोग-प्रतिरोधक प्रणाली मजबूत होती है, जिससे विभिन्न संक्रामक और असंक्रामक रोगों से बचाव होता है।
ऊर्जा की प्राप्ति: कार्बोहाइड्रेट और वसा से ऊर्जा प्राप्त होती है, जो शारीरिक और मानसिक गतिविधियों के लिए आवश्यक है।
विकास और मरम्मत: प्रोटीन से शरीर के ऊतकों का निर्माण और मरम्मत होता है।
अस्थिसंरचना और स्वास्थ्य: कैल्शियम और फास्फोरस जैसे पोषक तत्व अस्थिसंरचना और स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं।
हार्मोनल संतुलन: विटामिन और खनिज लवण, हार्मोनों के उत्पादन और संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
अच्छी जीवनशैली: संतुलित आहार, अच्छे जीवनशैली की आधारशिला है। यह व्यक्ति को सकारात्मक रूप में प्रेरित करता है, जिससे उसकी सोच, आचरण, और जीवनशैली में सुधार होता है।
मानसिक स्वास्थ्य: संतुलित आहार से मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है और तनाव, चिंता एवं अवसाद की संभावना कम होती है।
इस प्रकार, संतुलित आहार से व्यक्ति का सम्पूर्ण स्वास्थ्य बेहतर होता है, जिससे वह जीवन में प्रगति कर सकता है और जीवन की उच्चतम गुणवत्ता का आनंद ले सकता है।
आहार-विद्या और उसका विवेचन
आहार-विद्या वह शाखा है जो खाद्य पदार्थों और जीवन प्रक्रिया में उनके प्रभाव का अध्ययन करती है। यह विद्या, खाद्य पदार्थों की संरचना, पोषक तत्वों के स्रोत और उनके फायदों, तथा सही आहार के महत्व को समझाने में सहायक होती है।
आहार-विद्या की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
पोषक तत्वों का अध्ययन: आहार-विद्या प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, मिनरल्स आदि पोषक तत्वों के स्रोत, कार्य, और उनके शारीरिक प्रभाव का अध्ययन करती है।
मेटाबोलिज़्म का अध्ययन: यानी कि शरीर में खाद्य पदार्थों का कैसे परिवर्तन होता है और ऊर्जा कैसे प्राप्त होती है।
आहार और रोग: आहार-विद्या उस संबंध का भी मूल्यांकन करती है जो आहार और विभिन्न रोगों, जैसे मधुमेह, हृदय रोग आदि, के बीच है।
आहार-सलाह और योजना: यह विद्या, व्यक्तिगत और सामुदायिक स्तर पर सही आहार योजना और सलाह के महत्व को भी समझाती है।
खाद्य-सुरक्षा और प्रौद्योगिकी: आहार-विद्या खाद्य संरचना, संग्रहण, प्रसंस्करण और पैकेजिंग के नवीनतम प्रौद्योगिकी और सुरक्षा मापदंडों का अध्ययन भी करती है।
खाद्य आदान-प्रदान: आहार-विद्या में विभिन्न खाद्य-स्रोतों के स्वीकारण और प्रसार की प्रक्रिया, सिद्धांत और प्रयासों का अध्ययन भी होता है।
आहार विद्या, व्यक्तिगत और सामाजिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह हमें सही आहार चुनने और सेवन करने में मदद करती है, ताकि हम एक स्वस्थ और संतुलित जीवन जी सकें।
शाकाहार और मांसाहार, परिप्रेक्ष्य
शाकाहार (Vegetarian) और मांसाहार (Non-Vegetarian) दोनों ही आहार के प्रकार हैं, जिनमें दोनों के अपने-अपने गुण-दोष और लाभ-हानि हैं, जैसे-
शाकाहार (Vegetarian) के लाभ:
दिल की बीमारियों का जोखिम कम होता है: अध्ययनों में पाया गया है कि शाकाहार, दिल की बीमारियों का जोखिम कम करता है।
शाकाहार (Vegetarian) की हानि:
पोषक तत्वों की कमी: जैसे कि विटामिन B12, जिंक, और ओमेगा-3 फैटी एसिड्स।
मांसाहार (Non-Vegetarian) के लाभ:
पूर्ण प्रोटीन स्रोत: मांस में सभी जरूरी अमीनो अम्ल होते हैं।
मांसाहार (Non-Vegetarian) से हानि:
बढ़ता जोखिम: कुछ मांसाहारी आहार से हृदय रोग, अवसाद, स्ट्रोक, और कुछ प्रकार के कैंसर का जोखिम बढ़ता है।
शारीरिक संरचना:-
शारीरिक संरचना के मुताबिक मानव शरीर की संरचना निम्न बिंदुओं पर शाकाहारी जीवों से ज्यादा मेल खाती है;
चीड़फाड़ के दांत: मांसाहारी जंतुओं की तरह मनुष्य के चीड़फाड़ वाले दांत नहीं होते हैं।
आंतों की लंबाई- मनुष्य के आंतों की लंबाई शाकाहारी जीवों की ही तरह लंबी होती है।
शरीर से पसीना निकलना- मनुष्य के शरीर से शाकाहारी जीवों की तरह पसीना निकलता है।
स्वभाव के उपर आहार का प्रभाव: स्वामी विवेकानंद जी की पुस्तक,"राजयोग" में एक स्थल पर आहार का प्रभाव जीव-जंतुओं के स्वभाव पर कैसे पड़ता है? इसकी व्याख्या संक्षेप में इस तरह से की गयी है-
Certain regulations as to food are necessary; we must use that food which brings us the purest mind. If you go into a menagerie, you will find this demonstrated at once. You see the elephants, huge animals, but calm and gentle; and if you go towards the cage of lions and tigers, you find them restless, showing how much difference made by food.
अर्थात् हमें वही आहार ग्रहण करना चाहिए जिससे दिमाग शांत और शुद्ध हो। आहार का स्वभाव के उपर गहरा पड़ता है। मिसाल के तौर पर हाथी और शेर-बाघ को ले सकते हैं। आप देख सकते हैं कि विशालकाय हाथी कितना शांत स्वभाव का होता है जबकि शेर-बाघ अशांत होते हैं।
अंत में, व्यक्ति के आहार की उपयुक्तता और अनुपयुक्तता, ज्यादातर उसकी व्यक्तिगत जरूरतों, आदतों, जलवायु और मान्यताओं से प्रभावित होती है।
आहार दिनभर में कितनी बार लेना चाहिए, इस बारे में विभिन्न मत क्या कहते हैं?
आहार दिनभर में कितनी बार लेना चाहिए? इस पर विभिन्न अध्ययन और विचार हैं। कुछ प्रमुख मत निम्नलिखित हैं;
तीन मुख्य भोजन:
दोबार भोजन:
छोटे-छोटे, कई बार भोजन:
इंटरमिटेंट फास्टिंग:
आहार से संबंधित एक पुरानी कहावत भी है-
यह कोई जरूरी नहीं है कि एक ही आहार-योजना सबके लिए उपयुक्त हो। यह विभिन्न लोगों की शारीरिक क्षमता, आयु, लिंग स्वास्थ्य और परिस्थिति के अनुसार अलग हो सकती है। अत: इसका निर्णय अपनी शारीरिक-संरचना, स्वास्थ्य, अपने पूर्व के शारीरिक अनुभवों और अपनी परिस्थितियों के अनुसार खुद से या डाक्टर के परामर्श से तय करना चाहिए।
आहार-संबंधी महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न:-माइक्रोन्यूट्रियेन्ट क्या है?
उत्तर: माइक्रोन्यूट्रियेंट वह पोषक तत्व हैं जिसकी जरूरत तो छोटी मात्रा में होती है लेकिन ये हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। माइक्रोन्यूट्रियेंट्स, विटामिन और मिनरल्स में शामिल होते हैं।
प्रश्न: सुपरफूड्स किसे कहते हैं?
उत्तर: "सुपरफूड्स" आमतौर पर उन खाद्य पदार्थों को कहते हैं जो उच्च पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं; जैसे- केला (भरपूर मात्रा में पोटैशियम और फाइबर), ब्लूबेरी, रसभरी (एंटीऑक्सीडेंट्स), चिया बीज (ओमेगा-3 फैटी एसिड्स और फाइबर का अच्छा स्रोत), हल्दी (एंटी-आक्सिडेंट, एंटी इनफ्लेमेटरी, एंटीबायोटिक, एंटीडायबिटिक, एंटी-प्लेटलेट्स और कोलेस्ट्रॉल कम करने का गुण), पालक (आयरन, कैल्शियम और विटामिन K से भरपूर), अवोकाडो (हेल्थी फैट्स, फाइबर और पोटैशियम के स्रोत), क्विनोआ (प्रोटीन स्रोत जिसमें सभी अनिवार्य एमिनो एसिड्स होते हैं) इत्यादि।
प्रश्न: एंटी-आक्सिडेंट और एंटी-इन्फ्लेमेटरी, खाद्य पदार्थ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर: "एंटीऑक्सीडेंट" और "एंटी-इंफ्लैमेटरी" खाद्य पदार्थ वे होते हैं जो शरीर में उत्पन्न होने वाली रासायनिक प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं।
एंटीऑक्सीडेंट: ये शरीर में उत्पन्न फ्री-रेडिकल्स को नियंत्रित करते हैं, जो सेलों को क्षति पहुंचा सकते हैं। उदाहरण स्वरूप, बेरीज, अखरोट, और पालक में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं।
एंटी-इंफ्लैमेटरी: ये शरीर में सूजन को कम करते हैं। उदाहरण स्वरूप, हल्दी और ओमेगा-3 फैटी एसिड्स जैसे कि फिश ऑयल में एंटी-इंफ्लैमेटरी गुण होते हैं।
प्रश्न: फाइबर, आहार में क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: फाइबर पाचन क्रिया को सुधारता है, कब्ज को रोकने में मदद करता है और ह्रदय रोगों से बचाव में सहायक होता है।
प्रश्न: अधिक तेल और घी का सेवन क्यों नहीं करना चाहिए?
उत्तर: अधिक तेल और घी का सेवन बढ़ते वजन, हाई कोलेस्ट्रॉल और ह्रदय संबंधित समस्याओं का कारण बन सकता है।
प्रश्न: फास्ट फूड के क्या प्रभाव होते हैं?
उत्तर: फास्ट फूड अधिक वसा, नमक, और चीनी से भरपूर होते है, जो वजन बढ़ाने, ह्रदय रोग, उच्च रक्तचाप, और अन्य स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का कारण बन सकते हैं।
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