16 दिसंबर 2025

भारत में अमीरों और गरीबों के बीच बढ़ती असमानता: कारण, प्रभाव और समाधान

भारत, आज दुनियाँ की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। एक ओर भारत में अरबपतियों की संख्या लगातार बढ़ रही है, तो दूसरी ओर करोड़ों लोग आज भी दो वक्त की रोटी, शिक्षा, स्वास्थ्य और सम्मानजनक जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यह स्थिति अमीर और गरीब के बीच बढ़ती असमानता को उजागर करती है।

यह असमानता केवल आर्थिक ही नहीं है, बल्कि सामाजिक, शैक्षणिक, डिजिटल और अवसरों की असमानता भी है। प्रश्न यह है कि भारत में यह खाई क्यों बढ़ रही है, इसके क्या परिणाम हैं और इससे निपटने के उपाय क्या हो सकते हैं?

अमीर-गरीब के बीच असमानता क्या है?

अमीर और गरीब के बीच असमानता का मतलब है—"आय और संपत्ति का असमान वितरण, अवसरों तक असमान पहुँच एवं जीवन स्तर में भारी अंतर का होना।"

देश में जहाँ कुछ लोग आलीशान जीवन जीते हैं, वहीं बड़ी आबादी अपनी बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने लिए दिन-रात अथक परिश्रम करती है।

भारत में असमानता की वर्तमान स्थिति:- बीबीसी की एक ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार-

  • भारत की कुल आमदनी का ५८% हिस्सा केवल १०% लोग ही कमा रहे हैं जबकि निचले तबके के ५०% लोगों का भारत की आमदनी में केवल १५% ही भागीदारी है। 
Source : Prabhat Khabar
  • देश के १०%  सबसे अमीर लोग ही ६५% सम्पत्ति के मालिक हैं और इनमें से टाॅप मात्र १% अमीर लोगों के पास देश की कुल ४०% सम्पत्ति है। 
  • ग्रामीण और शहरी जीवन-स्तर में भारी अंतर है। 
  • संगठित और असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की आय में बड़ा अंतर है। 
  • निजी और सरकारी शिक्षा-स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में गहरी खाई है। 

अमीर और गरीब के बीच बढ़ती असमानता के प्रमुख कारण:-

१. आय का असमान वितरण: देश की आर्थिक वृद्धि का लाभ सभी वर्गों तक समान रूप से नहीं पहुँचता। बड़े उद्योगपति और कॉर्पोरेट क्षेत्र अधिक लाभ कमाते हैं, जबकि मजदूर वर्ग की आय सीमित रहती है।

२. शिक्षा में असमानता: अमीर वर्ग के बच्चे महंगे, निजी स्कूलों और विदेशी विश्वविद्यालयों में पढ़ते हैं जबकि गरीब तबके का बड़ा वर्ग आज भी सरकारी स्कूलों की कमजोर व्यवस्था पर निर्भर है। शिक्षा की यह बड़ी असमानता आगे चलकर रोजगार और आय की गहरी खाई में बदल जाती है।

३. बेरोज़गारी और शोषण: भारत में बेरोज़गारी एक बड़ी समस्या है। असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों का खुला शोषण होता है। उन्हें उनके श्रम के हिसाब से,न तो उचित आय मिलती है और ना ही सामाजिक सुरक्षा। महँगाई के मुकाबले उनकी मजदूरी भी नहीं बढ़ती। 

४. स्वास्थ्य सेवाओं तक असमान पहुँच: अमीर लोग निजी अस्पतालों में बेहतर इलाज करा सकते हैं, जबकि गरीब लोगों को सरकारी अस्पतालों की सीमित सुविधाओं के लिए भूखे-प्यासे रहकर दिन भर लाइन में लगना पड़ता है। 

५. ग्रामीण-शहरी विभाजन: शहरों में रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य की बेहतर सुविधाएँ हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी बुनियादी ढांचे की भारी कमी है।

६. जाति, वर्ग और सामाजिक भेदभाव: जातिगत भेदभाव और सामाजिक पृष्ठभूमि भी असमानता को बढ़ाती है। भारत में ही कई समुदाय आज भी विकास की मुख्यधारा से कटे हुए हैं।

७. कर-व्यवस्था और नीतियाँ: सरकार की कर-व्यवस्था और आर्थिक नीतियाँ अमीरों के पक्ष में अधिक अनुकूल होती हैं, जिससे संपत्ति कुछ चुनिंदा लोगों के हाथों में सिमटती जाती है।

अमीर-गरीब के बीच असमानता के दुष्परिणाम:-

१. सामाजिक तनाव और असंतोष: असमानता से समाज में असंतोष, अपराध और हिंसा बढ़ती है।

२. लोकतंत्र पर नकारात्मक प्रभाव: जब धन कुछ चुनिंदा लोगों के पास केंद्रित हो जाता है तब सरकार की नीति-निर्धारण पर भी उन्हीं का प्रभाव बढ़ता है।

३. गरीबी का दुष्चक्र: गरीबी पीढ़ी दर पीढ़ी चलती रहती है, क्योंकि गरीबों को आगे बढ़ने के अवसर नहीं मिलते।

४. आर्थिक विकास में बाधा: जब बड़ी आबादी की क्रय-शक्ति कम होती है, तो अर्थव्यवस्था की गति भी धीमी पड़ती है।

५. सामाजिक एकता को खतरा: अत्यधिक असमानता समाज को अलग-अलग वर्गों में बाँट देती है, जिससे उनके अंदर “हम” और “वे” जैसी विघटनकारी भावनाएँ जन्म लेती है।

क्या असमानता पूरी तरह खत्म हो सकती है?

इस असमानता को पूरी तरह समाप्त करना शायद संभव न हो, परंतु इसे काफी हद तक कम अवश्य किया जा सकता है जिससे हर नागरिक को समाज में सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर मिल सकता है।

भारत में असमानता कम करने के उपाय:-

१. गुणवत्तापूर्ण और समान शिक्षा

  • सरकारी स्कूलों की शिक्षा-गुणवत्ता सुधारना
  • डिजिटल-शिक्षा को ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुँचाना
  • कौशल विकास पर ज़ोर

२. रोजगार सृजन

  • छोटे और मध्यम उद्योगों को बढ़ावा
  • ग्रामीण रोजगार योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन
  • स्वरोजगार और स्टार्टअप को समर्थन

३. स्वास्थ्य सेवाओं का सुदृढ़ीकरण

  • सरकारी अस्पतालों में बेहतर सुविधाएँ
  • सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य सेवाएँ

४. न्यायसंगत कर-प्रणाली

  • अमीरों पर उचित कर
  • टैक्स चोरी पर सख्ती
  • सामाजिक कल्याण योजनाओं में पारदर्शिता

५. सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ

  • वृद्धावस्था पेंशन
  • बीमा योजनाएँ
  • गरीबों के लिए न्यूनतम आय सुरक्षा

६. ग्रामीण विकास पर विशेष ध्यान

  • कृषि सुधार
  • सिंचाई और भंडारण सुविधाएँ
  • ग्रामीण उद्योगों को बढ़ावा देना

७. डिजिटल असमानता को कम करना

  • इंटरनेट और तकनीक की पहुँच हर गाँव हर वर्ग तक
  • डिजिटल साक्षरता अभियान

असमानता को दूर करने में सरकार, समाज और व्यक्ति की भूमिका:-

सरकार की भूमिका: समावेशी नीतियाँ बनाना। शिक्षा और स्वास्थ्य में निवेश एवं भ्रष्टाचार पर नियंत्रण। 

समाज की भूमिका: सामाजिक भेदभाव का खुलकर विरोध जताना। संवेदनशीलता, सहयोग और सामूहिक प्रयास। 

व्यक्ति की भूमिका: जागरूक एवं जिम्मेदार नागरिक बनना। ईमानदारी से कर चुकाना और जरूरतमंदों की सहायता करना।

निष्कर्ष:

भारत में अमीरों और गरीबों के बीच असमानता केवल आर्थिक समस्या नहीं, बल्कि सामाजिक और नैतिक चुनौती भी है। यदि समय रहते इस पर प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो यह असमानता भविष्य में देश की स्थिरता, अखंडता और संप्रभुता के लिए गंभीर खतरा बन सकती है।

एक सशक्त, समावेशी और न्यायपूर्ण भारत के निर्माण के लिए यह आवश्यक है कि विकास का लाभ समाज के हर वर्ग तक पहुँचे। तभी “सबका साथ, सबका विकास” का सपना साकार हो सकेगा।

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