29 अप्रैल 2023

सम्मान; किसे नहीं चाहिए? | How To Earn Respect

गुणों का विकास करने में प्रयत्नशील हों तो नि:संदेह आप सम्मान प्राप्त करेंगे। लोग गुणों की पूजा करते हैं, व्यक्ति की नहीं। सच्चाई को सिर झुकाते हैं, बनावटीपन को नहीं। 

टेसू का फूल देखने में बहुत आकर्षक लगता है परन्तु लोग गुलाब की सुवास को ही पसंद करते हैं। आप में सद्गुणों का विकास हो तो आप अवश्य ही प्रशंसा के पात्र हैं। गुणों की मात्रा जितनी बढ़ती है, जितनी मनुष्य की योग्यता विकसित होती है, उसी अनुपात में लोग उधर आकर्षित होते हैं। अच्छा काम करने वालों की सर्वत्र प्रशंसा होती है। विद्वान सिसरो का कथन है, "सम्मान, प्रशंसा का पुरस्कार है।" यह बात अक्षरशः सत्य है कि सच्चा सम्मान गुणवान को ही मिलता है। 

यदि आप चाहते हैं कि आप सम्मानित व्यक्ति ठहराये जाएं, आपकी प्रशंसा हो, सभी आपको आदर दें तो आपको आदरणीय पुरुषों की विशेषताओं का अध्ययन करना होगा। जिन गुणों के आधार पर लोग आदर के पात्र गिने जाते हैं, उनका अनुसरण करेंगे तो आपका गौरव भी जाग्रत होगा और आपको बड़प्पन भी मिलेगा। किन्तु यदि बाहरी टीम-टाम के द्वारा लोगों को भ्रम में डालकर सम्मान प्राप्त करने की कामना करेंगे तो महंगा मोल चुकाकर भी आपके हाथ कुछ नहीं आयेगा। 

धूर्त व्यक्ति अपनी चालाकियों से कुछ देर के लिए बड़ी-बड़ी बातें बनाकर धन का अभिमान जताकर, रूप-गुण की झूठी प्रदर्शनी लगाकर थोड़ा सा सम्मान प्राप्त कर भी लें तो वह आंतरिक उल्लास नहीं मिल सकेगा जो उसे मिलना चाहिए था। उल्टे जब इस नाटक का पर्दाफाश होता है तो लोग झूठ और पाखंडी ठहराकर तरह-तरह से भर्तसना, उपहास और निंदा करते हैं।  

सौजन्य: You Tube

आपके किसी एक गुण का विकास, सामान्य श्रेणी के व्यक्तियों से जितना अधिक होगा उतना ही आपको यश मिलेगा। कर्ण के युग में दान देने की परंपरा सामान्य थी। किन्तु यह प्रवृत्ति कर्ण में विलक्षणता लिए हुए थी। दान की परंपरा में वह श्रेष्ठतम प्रमाण बना। इसलिए उसे दानवीर कहलाने का सौभाग्य मिल सका। माता-पिता के प्रति सम्मान की भावनाएँ बहुत से लोगों में होती है। लोग अपनी श्रद्धा के अनुसार उनकी सेवा-सुश्रुषा भी करते हैं। किन्तु श्रवण कुमार की भक्ति, पराकाष्ठा का स्पर्श करने वाली लगी थी, इसलिए उसे सर्वोच्च ख्याति मिली। यूँ तो मानवता के प्रति उत्सर्ग की भावनाकुछ न कुछ सभी में होती है। किन्तु देवत्व की स्थापना में अपने आप को जीवित होम कर देने के कारण जो बड़प्पनगौरव और उच्च सम्मान महर्षि दधीचि को मिल गया वह अन्य किसी को भी नहीं के प्रति निष्ठावान होते ही सर्वोपरि सम्मान मिलता है। 

सर्वोपरि सम्मान प्राप्त करने के लिए घोर कष्टों का सामना करना पड़ता है। साहस से सहिष्णुता आती है जिससे लोग हंसते हुए उन कठिनाइयों को झेल लेते हैं जो किसी गुण को उच्चतम नैतिक स्तर पर धारण करने से आती है। जब इस तरह का विशाल हृदय मनुष्य का बन जाता है तो यश, सम्मान स्वयमेव आकर उसके पांव चूमने लगता है बशर्ते यह उच्चता, सम्मान की अभिलाषा से न हो। 

सम्मान क्यों जरूरी है


सम्मान मानवीय संबंधों और समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यहां कुछ महत्वपूर्ण बिन्दुओं का उल्लेख किया गया है जिनके कारण सम्मान जरूरी होता है;

आत्मसम्मान और संतुष्टि: 

सम्मान मिलने से व्यक्ति में आत्मसम्मान का भाव पैदा होता है और वह स्वस्थ और संतुष्ट रहता है। यह उसके आत्मविश्वास को बढ़ाता है और उसे अपनी क्षमताओं और सामर्थ्य पर गर्व होता है।

सामाजिक संघर्षों का समाधान: 

सम्मान आपको सामाजिक संघर्षों को समाधान करने की क्षमता प्रदान करता है। लोग आपकी बात सुनने को तैयार होते हैं और आपके साथ सहयोग करने को उत्सुक होते हैं।

संघर्षों से बचाव: 

सम्मान मिलने से आपको बाधाओं, विवादों, और संघर्षों से बचने की क्षमता मिलती है। 

व्यक्तिगत और पेशेवर विकास: 

सम्मान मिलने से व्यक्ति का व्यक्तिगत और पेशेवर विकास होता है। लोग आपके प्रगतिशील विचारों, नए कौशलों और सीमाओं को पहचानते हैं। यह आपको एक मंच प्रदान करता है जहां आप अपने कौशलों को प्रदर्शित कर सकते हैं।

सम्मान कैसे प्राप्त करें

सम्मान प्राप्त करने के लिए आप निम्नलिखित उपायों का पालन कर सकते हैं;

सौजन्य: It’s Like Mind Game
  • ईमानदार और नैतिक व्यक्ति होने का प्रयास करें। 
  • समाज, परिवार, या जनसेवा में अपना योगदान दें। जब आप दूसरों की मदद करते हैं, तो लोग आपका सम्मान करते हैं।
  • अपने काम को गुणवत्तापूर्ण तरीके से करें और बेहतरीन प्रदर्शन के लिए सदैव प्रयासरत रहें।
  • दूसरों की भावनाओं का ध्यान रखें और उन्हें समझें। अपनी संवेदनशीलता और सहानुभूति के माध्यम से लोगों के दिलों को छूने का प्रयास करें।
  • अपने समाज या कार्यस्थल में होने वाले विवादों को समझें और उन्हें समाधान करने का प्रयास करें।
  • अपने विचारों, भावनाओं और क्रियाओं को संयमित रखें। अपनी क्रियाओं पर नियंत्रण रखकर, आप अपने आप को आदर्श व्यक्ति के रूप में प्रदर्शित कर सकते हैं।
  • नए कौशल सीखने, शिक्षा और ज्ञान में सुधार करने, और नए अनुभवों को प्राप्त करने के लिए प्रयास करें।
  • सभ्यता, संस्कृति और आदर्शों का पालन करने का प्रयास करें। आपका व्यक्तित्व और आचरण, आपके सम्मान को बढ़ाने में मदद करेंगे।
  • सम्मान प्राप्त करने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि आप दूसरों का सम्मान करें और उन्हें समानता से व्यवहार करें।
  • सकारात्मक नजरिया विकसित करें। दूसरों की उपलब्धियों, कामयाबियों और कार्यों को खुशी से स्वीकार करें और उन्हें प्रशंसा करें। 
  • किसी संगठन में अपनी योग्यता और कार्यक्षमता को दिखाएं। अपने काम में प्रोफेशनलिज्म और अच्छी प्रबंधन क्षमता दिखाएं ताकि आपको सम्मान प्राप्त हो सके।

सामान्य स्तर के व्यक्ति के लिए भी जीवन में सम्मान प्राप्त करने का एक सीधा सच्चा उपाय है, और वह है- सबके प्रति आदर और शुभ अभिलाषा का भाव। किसी के प्रति बैर-भाव, ईर्ष्या-द्वेष और प्रतिशोध की भावना न रखना, सबके साथ मिलकर प्रेम, न्याय, दया, करुणा और सहृदयता से रहकर वह स्थिति सहज में ही प्राप्त हो जाती है। ऐसे निर्मल स्वभाव के व्यक्तियों का किसी के साथ विरोध नहीं होता। उन्हें सभी ओर से सम्मान मिलता है। 

सम्मान-प्राप्ति की आध्यात्मिक भूख को बुझाने के लिए हमें अपनी श्रेष्ठताएं और विशेषताएं निरंतर बढ़ानी चाहिए। अपना चरित्र अपेक्षाकृत अधिक उज्जवल बनाने के लिए और जनहित के लिए अधिक त्याग करने का आवश्यक साहस संचय करना चाहिए। उत्कृष्टता के मूल्य पर ही कोई व्यक्ति जन साधारण की श्रद्धा का पात्र बन सकता है और यथोचित सम्मान प्राप्त कर सकता है। 

सौजन्य: पं. श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा लिखित पुस्तक, "सद्गुण बढ़ाएं, सुसंस्कृत बनें।"


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