15 जनवरी 2025

अंतरायिक उपवास (Intermittent Fasting): इसके लाभ और विज्ञान

आज की व्यस्त जीवनशैली में लोग, समय की कमी तो महसूस करते ही हैं साथ ही लोगों में नाना प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी बड़ी तेजी से बढ़ रही हैं। ऐसे में स्वस्थ जीवनशैली अपनाना हर किसी के लिए आवश्यक हो गया है। 

अंतरायिक उपवास  (Intermittent Fasting) एक ऐसी तकनीक है जो वजन घटाने में मदद करती है और शरीर को स्वस्थ एवं ऊर्जा से भरपूर बनाए रखने में भी सहायक है। 


इस लेख में आप इंटरमिटेंट-फास्टिंग के बारे में विस्तार से तो जानेंगे ही इसके अलावा इससे होने वाले लाभों और इसके पीछे के विज्ञान को भी सरल और व्यवहारिक तरीके से समझेंगे। 

इंटरमिटेंट फास्टिंग क्या है?

इंटरमिटेंट फास्टिंग का मतलब है खाने और उपवास के समय को व्यवस्थित करना। यह एक ऐसी आहार-पद्धति है जिसमें खाने के समय को और उपवास के समय, दोनों को ही निर्धारित किया जाता है। इसे उपवास और भोजन-चक्र का एक रूप कहा जा सकता है। इसमें यह निर्धारित किया जाता है कि आप अपने दिन या सप्ताह के कुछ समय में खाना खाएंगे और बाकी समय उपवास करेंगे।

यह एक डाइट-प्लान नहीं, बल्कि भोजन का एक पैटर्न है। इसमें फोकस इस बात पर नहीं होता कि आप क्या खा रहे हैं, बल्कि इस पर होता है कि आप कब खा रहे हैं।

इंटरमिटेंट फास्टिंग के प्रकार

इंटरमिटेंट फास्टिंग के विभिन्न प्रकार हैं, जिन्हें लोग अपनी सुविधा और जरूरत के अनुसार अपनाते हैं;

१. 16/8 विधि: इसमें दिन के 16 घंटे उपवास किया जाता है और केवल 8 घंटे के बीच में खाना खाया जाता है। यह सबसे लोकप्रिय और सरल तरीका है। उदाहरण के लिए, सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक खाना खाते हैं और बाकी समय उपवास करते हैं।

२. 5:2 विधि: इस पद्धति में सप्ताह के 5 दिन सामान्य रूप से खाना खाया जाता है और बाकी 2 दिन, कैलोरी का सेवन सीमित (500-700) कर दिया जाता है। 

३. निराहार उपवास (Eat-Stop-Eat): इसमें सप्ताह में एक या दो बार 24 घंटे तक उपवास किया जाता है। उपवास के दौरान पानी और कैलोरी-मुक्त पेय पदार्थ लिया जाता है। 

४. योद्धा आहार (Warriors Diet): इसमें दिन में फल और जूस लिया जाता है और रात में भोजन किया जाता है।

५. ऑल्टरनेट डे फास्टिंग: इसमें एक दिन के अंतराल में उपवास किया जाता है। अर्थात् एक दिन सामान्य भोजन किया जाता है और अगले दिन उपवास रखा जाता है।

इंटरमिटेंट फास्टिंग का विज्ञान

इंटरमिटेंट फास्टिंग, शरीर में होने वाली जैविक-प्रक्रियाओं को  बेहतर बनाता है। आइए इसे चरणबद्ध तरीके से समझते हैं;

१. इंसुलिन का स्तर घटाना: जब हम लंबे समय तक उपवास करते हैं, तो शरीर में इंसुलिन का स्तर कम हो जाता है। इससे शरीर में जमा वसा (stored fat) को ऊर्जा के रूप में इस्तेमाल करने में मदद मिलती है।

२. मानव-वृद्धि हार्मोन (Human Growth Hormon) का बढ़ना: उपवास के दौरान, मानव-वृद्धि हार्मोन का स्तर बढ़ता है। यह मांसपेशियों को मजबूत करने, वसा को जलाने और एंटी-एजिंग में सहायक होता है।

३. सेलुलर रिपेयर (कोशिका की मरम्मत): उपवास के दौरान, शरीर में कोशिकाओं की मरम्मत की प्रक्रिया (autophagy) तेज हो जाती है। यह पुरानी और खराब कोशिकाओं को हटाने में मदद करती है।

४. जीन एक्सप्रेशन: इंटरमिटेंट फास्टिंग से जीन में बदलाव होता है, जो उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करता है और बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है।

इंटरमिटेंट फास्टिंग के लाभ

१. वजन कम करना और वसा जलाना: इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान शरीर, आवश्यक ऊर्जा के लिए वसा को जलाने लगती है। 

२. मेटाबोलिक स्वास्थ्य में सुधार: यह इंसुलिन-सेंसिटिविटी को सुधारता है, जिससे ब्लड-शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है। यह टाइप-2 मधुमेह के जोखिम को कम करने में भी मदद करता है।

३. दिल का स्वास्थ्य: इंटरमिटेंट फास्टिंग से कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर, और सूजन के स्तर में कमी आती है, जो दिल की बीमारियों के जोखिम को कम करता है।

४. मस्तिष्क का स्वास्थ्य: यह ब्रेन-ड्राइव्ड न्यूरोट्रॉफिक फैक्टर (BDNF) को बढ़ाता है, जो मस्तिष्क की कार्यक्षमता को सुधारता है। साथ ही, अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसी बीमारियों के जोखिम को कम करता है।

५. दीर्घायु होना: शोध बताते हैं कि इंटरमिटेंट फास्टिंग उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करता है और जीवनकाल को बढ़ाने में मदद करता है।

६. सूजन कम करना: यह शरीर में सूजन को कम करता है, जिससे पुरानी बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।

७. पाचन-क्रिया में सुधार: उपवास के दौरान, पाचन-तंत्र को आराम मिलता है, जिससे गैस, एसिडिटी और अन्य पाचन समस्याओं में राहत मिलती है।

इंटरमिटेंट फास्टिंग को कैसे शुरू करें?

  • यदि आप पहली बार इंटरमिटेंट फास्टिंग कर रहे हैं, तो शुरुआत में छोटे समय (12 घंटे) का उपवास रखें और धीरे-धीरे इसे बढ़ाएं।
  • अपनी दिनचर्या के अनुसार खाने और उपवास का समय तय करें। यह 16/8 विधि से शुरू करना सबसे आसान होता है।
  • उपवास के दौरान शरीर को जरूरी पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। अपने भोजन में प्रोटीन, फाइबर, हेल्दी फैट और विटामिन शामिल करें।
  • उपवास के दौरान पर्याप्त मात्रा में पानी, हर्बल चाय, और नींबू पानी पिएं।
  • गर्भवती महिलाएं, स्तनपान कराने वाली माताएं, और गंभीर स्वास्थ्य-समस्याओं से जूझ रहे लोग इंटरमिटेंट फास्टिंग शुरू करने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें।

इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें

  • उपवास के बाद अति-भोजन करने से बचें। यह आपके प्रयासों को बेकार कर सकता है।
  • अच्छी नींद लेना शरीर की मरम्मत और ऊर्जा को बनाए रखने में मदद करता है।
  • हल्का व्यायाम या योग करने से फास्टिंग के लाभ बढ़ सकते हैं।
  • शुरुआत में शरीर को इस पद्धति के अनुसार ढलने में समय लग सकता है। अत: इसे धीरे-धीरे अपनाएं।

इंटरमिटेंट फास्टिंग से जुड़े मिथक

  • यह डायटिंग नहीं है, बल्कि खाने का एक तरीका है।

  • यह कम प्रोटीनयुक्त भोजन और नियमित व्यायाम के अभाव में मांसपेशियों को नुकसान पहुंचा सकता है। 
  • यह सभी के लिए उपयुक्त नहीं है। विशेषकर बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों को यह नहीं अपनाना चाहिए।

निष्कर्ष

अंतरायिक उपवास, एक प्रभावी और विज्ञान-आधारित पद्धति है जो केवल वजन घटाने में ही मदद नहीं करती है, बल्कि समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है। इसे अपनाने से पहले अपनी जीवनशैली, जरूरतों और स्वास्थ्य की स्थिति का आकलन करें। सही तरीके से अपनाने पर यह आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक वरदान साबित हो सकता है।

यदि इसे सही ढंग से और संतुलित आहार के साथ अपनाया जाए, तो यह आपकी जीवनशैली में बदलाव लाने के साथ आपको दीर्घकालिक स्वास्थ्य-लाभ भी प्रदान करेगा।

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