28 मार्च 2023

सदाचार। Morality

प्रस्तावना

कोई आपकी ईमानदारी, आपकी सच्चाई, आपकी बुद्धिमत्ता अथवा आपकी अच्छाई के बारे में तब तक नहीं जान पाता, जब तक आप अपने कार्यों के द्वारा, अपने व्यवहार के द्वारा समाज में उदाहरण प्रस्तुत न करें। प्रत्येक परिवार तथा उसके सदस्य एक समाज के अंग होते हैं। उस समाज से सम्बन्धित कुछ नियम तथा मर्यादाएँ भी होती हैं। इन मर्यादाओं का पालन करना प्रत्येक व्यक्ति के लिए किसी न किसी सीमा तक अनिवार्य होता है। 

सत्य बोलना, चोरी न करना, दूसरों का भला करना, सबसे प्रेमपूर्वक व्यवहार करना, स्त्रियों का सम्मान करना और उनकी ओर बुरी नजर न डालना आदि ऐसे गुण हैं जो सदाचार के अन्तर्गत आते हैं। सदाचार का सार यह है कि मनुष्य किसी भी व्यक्ति या व्यक्तियों की स्वतन्त्रता का अतिक्रमण किए बिना अपना गौरव बनाए रखे। सदाचार का अनुपालन करने वाला व्यक्ति सदाचारी कहलाता है और इसके विपरीत आचरण करने वाला अर्थात् सदाचारी का विलोम शब्द दुराचारी होता है।

सदाचारी, अपने आचरण से सबके मन को मोह लेता है। सदाचार का बीजारोपण अच्छे माता-पिता अपने बच्चों में उनकी छोटी उम्र में ही अच्छे संस्कार के रूप में कर देते हैंसदाचारी बनने की राह लंबी और चुनौतीपूर्ण जरूर होती है पर सदाचार के पथ पर चलने वाला पथिक, जब सदाचार के महत्व का स्वाद एक बार चख लेता है, फिर वह निरंतर अपने पथ पर चलता रहता है। जीवन में फिर कभी अपने पथ से विचलित नहीं होताचाहे कुछ भी हो जाय। सदाचार, मनुष्य के जीवन का वह बुनियाद है जिस पर उसके सफलता का महल मजबूत बनता है और दीर्घकाल तक टिका रहता है। सच्चरित्रता, सदाचार का सर्वश्रेष्ठ साधन है।

Contents:

सदाचार का अर्थ
सदाचारी कैसे बनें
सदाचारी पुरुष के गुण
सदाचार के नियम
सदाचार का महत्व
सदाचार से लाभ
सदाचार से शिक्षा
सदाचार से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उनके उत्तर

सदाचार का अर्थ 

सदाचार, दो शब्दों, सत् + आचार से मिलकर बना है। सत् का अर्थ है, अच्छा और आचार का अर्थ है आचरण, अर्थात् अच्छा आचरण। सदाचार का अर्थ है- अपने बड़े, बुजुर्गों का आदर तथा सम्मान करना, अपनी वाणी में सत्यता और मधुरता रखना, दीनों पर दया एवं नि:स्वार्थ भाव से सेवा करना, पराई नारी के प्रति माता-बहन का भाव रखना एवं दूसरे के धन का लोभ नहीं करना। दूसरे शब्दों में सदाचार, व्यवहार और कार्य करने का उचित और स्वीकृत तरीका है।

सौजन्य: GK Pathshala

सदाचारी कैसे बनें


सदाचार का तात्पर्य है, "सत्य और नीतिपूर्ण आचरण"। इस विषय पर संस्कृत में एक सुंदर श्लोक है;

सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् न ब्रूयात्  सत्यमप्रियम्।
प्रियं च नानृतं ब्रूयात् एष धर्मः सनातनः॥

अर्थात् सच बोलो, प्रिय बोलो, पर सच अगर अप्रिय हो तो उसे मत बोलो। प्रिय बोलो पर झूठ न बोलो। यही सनातन धर्म है जो अनादिकाल से चला आ रहा है। यह श्लोक सदाचार, सत्यनिष्ठा, और विनय के महत्व को बताता है। 

अतः मनुष्य को सदाचारी बनने के लिए अपने जीवन में सत्य और प्रिय वचन, आत्मसंयम, ईमानदारी, साहस, करूणा, विनम्रता, उदारता, निष्ठा, कर्त्वयपरायणता, निष्पक्षता और विवेक आदि सद्गुणों का समावेश करना होगा 

सदाचारी पुरुष के गुण

  • सदाचार मनुष्य का सबसे बड़ा गुण है। 
  • सदाचारी पुरुष अपने ही नहीं, अपितु सबके हितों का ख्याल रखता है।
  • उनकी सोच सकारात्मक होती है।
  • लोक-कल्याण, उनके जीवन की प्राथमिकता होती है।
  • उनके अंदर समर्पण का भाव होता है।
  • वे सहनशील एवं दूरदर्शी होते हैं।
  • वे अच्छे-बुरे दिनों में समभाव रखते हैं।
  • उनकी नीयत साफ़ होती है। 
  • सच्चरित्रता, सदाचार का सबसे बड़ा गुण होता है।
  • सदाचारी व्यक्ति, प्रतिकूल परिस्थितियों में भी विचलित नहीं होता।

सदाचार के नियम

  • हमेशा अच्छे और उजले पक्ष को ही देखें। 
  • विनम्र बनें और विचारों में पवित्रता लायें। 
  • सत्य और प्रिय वचन बोलें। झूठ न बोलें। 
  • जीवन सरल तथा आदर्श बनायें। दूसरों के सुख-दुःख का ख्याल रखें।
  • कोई भी कार्य शुरू करने से पहले उसके गुण-दोष, हानि-लाभ का विवेचन करें। 
  • अपने ज्ञान और विद्या का घमंड कभी न करें। उसे ईश्वरीय देन समझकर उसका सदुपयोग करें और उसे रचनात्मक कार्यों में लगाएं। 
  • आडंबर, सदाचार की राह का रोड़ा है। कुछ लोग अच्छा बनने का केवल ढोंग करते हैं किन्तु चोरी-छिपे गलत कार्य करते हैं। यह बहुत गलत बात है। आदमी दूसरों से तो छुप सकता है, मगर खुद से नहीं। 
  • ईश्वर पर भरोसा रखें और आत्मविश्वास को बनाये रखें। समय परिवर्तनशील है। अच्छे-बुरे दिन तो जीवन में आते रहते हैं इसलिये अच्छे दिन में इतरायें नहीं और बुरे दिनों में विचलित न हों।
  • धैर्य बनाये रखें। दूसरों की धन-संपत्ति, उन्नति देखकर न ईर्ष्या न करें और ना ही लालच करें। 
  • छल-कपट, आलस्य और दुर्व्यसन से दूर रहें। 

सदाचार का महत्व

                                          सौजन्यQuora

  • सदाचार ही जीवन के समस्त गुणों, ऐश्वर्य, वैभव की आधारशिला है। 
  • सदाचारी व्यक्ति का हर जगह गुणगान होता है।
  • सदाचार ही वह गुण है, जो मनुष्य को संसार के अन्य प्राणियों से पृथक करता है।
  • सदाचार व्यक्ति का आभूषण है।
  • सदाचार, आत्मिक गुण और चरित्र निर्माण का महत्वपूर्ण साधन है।
  • सदाचार से ही मनुष्य के अंदर, अच्छे-बुरे इरादों, निर्णयों और कार्यों में फर्क समझ में आता है।
  • सदाचारी व्यक्ति सकारात्मक होते हैं। 
  • वे राग-द्वेष, ईर्ष्या आदि दुर्गुणों से सदैव दूर रहते हैं। 
  • वे छोटे-बड़े का भेद नहीं करते और लोगों को आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं।
  • सदाचारी, अपने आचरण से सबके मन को मोह लेता है। सदाचार के बिना मानवता का कोई अर्थ नहीं है। 

सदाचार से लाभ 

  • सदाचार, जीवन की आवश्यकता है। जिस प्रकार वृक्ष की खुबसूरती उसके फूल और पत्तों से होती है। ठीक उसी प्रकार इंसान की खुबसूरती उसके अच्छे आचरण और व्यवहार से होती है। 
  • सदाचारी पुरुष आत्मकल्याण के साथ-साथ देश और समाज का भी कल्याण करता है।
  • अच्छा स्वास्थ्य, आनंद, अक्षय धन, अभिलाषित संतान और दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
  • सदाचार से बुरी आदतों का नाश होता है।
  • सदाचारी पुरुष, समाज में लोगों के लिए प्रेरणास्रोत होते हैं। 
  • सदाचारी सर्वत्र सम्मानित होता है। 
  • सदाचार से मनुष्य एक अच्छा इंसान बनता है।
  • सदाचारी पुरुष हमेशा उचित और लोकहित में निर्णय लेता है।
  • अच्छे चरित्र का निर्माण होता है। 
  • समाज में मान-सम्मान, प्रतिष्ठा मिलती है। 
  • सदाचार, जीवन को सहज, आसान, सुखद और सार्थक बनाता है और मनुष्य के अंदर देवत्व गुण प्रदान करता है।

सदाचार से शिक्षा

सम्मान, संस्कार का अभिन्न अंग है। सदाचरण हमें सबका सम्मान करना सिखाता है। इज्जत और सम्मान किसे नहीं चाहिए? बड़ों को ही नहीं वरन् छोटों को भी सम्मान देना चाहिए। क्योकि अगर आप उनसे सम्मान की अपेक्षा रखते हैं तो आपको भी वही इज्जत उन्हें भी देनी होगी। सम्मान देने पर ही हमें भी सामने से सम्मान मिलता है। छोटों से तो विशेषकर अच्छे से बात करना चाहिए, क्योंकि वे बड़ों को देखकर ही अनुकरण करते हैं।

निष्कर्ष


सदाचार, जीवन के समस्त गुण, ऐश्वर्य, समृद्धि और वैभव की आधारशिला है। सदाचारी बनना सभी व्यक्तियों का कर्तव्य है। भौतिकता की चकाचौंध में आज, सदाचार की उपेक्षा हो रही है। जिसके दुष्परिणाम आज हमारे सामने आ रहा है। कटुता, बैर-भाव, स्वार्थपरता सहित तमाम दुष्प्रवृत्तियां हमारे आचरण में आती हैं, जो व्यक्तित्व को धूमिल करने के साथ असामाजिकता को बढ़ावा देती हैं। सदाचार, सफलता का मार्ग है जो व्यक्ति को उसके मनोवांछित मंजिल तक पहुंचाता है। सदाचार सुख और समृद्धि का आधार है। हम सदाचारी बनें, यही हमारी आकांक्षा होनी चाहिए। अपने बच्चों को सदाचार का पाठ पढ़ायें और जीवन में नेक कार्य करने की प्रेरणा दें। 

सदाचार के महत्व को हम जितनी गंभीरता से सोचेंगे, उनके सत्परिणामों पर जितना अधिक विचार करेंगे, उतना ही उन्हें प्राप्त करने की इच्छा प्रबल होगी। इस प्रबलता को एक तरह से आत्मकल्याण की, जीवन-विकास की प्रेरणा भी कह सकते हैं। इसी पर हमारे भविष्य की उज्जवलता बहुत कुछ निर्भर करती है। 

संबंधित पोस्ट; अवश्य पढ़ें-

सदाचार से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उनके उत्तर:

प्रश्न-१: सदाचार क्या है?

उत्तर: सदाचार एक आदर्श आचरण है जो धर्म, सत्यनिष्ठा, नैतिक मूल्यों और समाज के कर्तव्यों का पालन करता है।

प्रश्न-२: सदाचार क्यों महत्वपूर्ण है?

उत्तर: सदाचार, व्यक्ति के चरित्र को निर्माण करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। यह समाज में सहयोग, समरसता और शांति को बढ़ावा देता है।

प्रश्न-३: सदाचार और नैतिकता में क्या अंतर है?

उत्तर: सदाचार और नैतिकता दोनों ही व्यक्ति के आचरण को संबोधित करते हैं, लेकिन सदाचार अधिक व्यक्तिगत और स्वयं से संबंधित होता है, जबकि नैतिकता सामाजिक मानदंडों और नियमों का पालन करने के संबंध में होती है।

प्रश्न-४: सदाचार को कैसे अपनाया जा सकता है?

उत्तर: सदाचार को अपनाने के लिए हमें स्वयं को सत्य, ईमानदारी, सहानुभूति, संवेदनशीलता और अन्य नैतिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध करना होगा। इसके लिए हमें अपने विचारों और क्रियाओं पर निरंतर विचार करना होगा।

प्रश्न-५: सदाचार की शिक्षा बचपन से क्यों देनी चाहिए?

उत्तर: बचपन में दी गई सदाचार की शिक्षा व्यक्ति के चरित्र का निर्माण करती है और उसे समाज में सकारात्मक योगदान देने के लिए संवेदनशील बनाती है। यह उसे जीवन के हर मोड़ पर सही निर्णय लेने में मदद करती है।

प्रश्न-६: सदाचार के अभाव में क्या हो सकता है?

उत्तर: सदाचार के अभाव में, व्यक्ति अपने आत्म-लाभ के लिए अनुचित काम कर सकते हैं जो समाज के लिए हानिकारक हो सकते हैं। यह समाज में अनिश्चितता और अव्यवस्था का कारण बन सकता है।

प्रश्न-७: सदाचार के बिना व्यक्ति का विकास संभव है क्या?

उत्तर: सदाचार व्यक्तिगत और सामाजिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है। सदाचार के बिना, व्यक्ति का विकास अधूरा हो सकता है और उसके कार्य और निर्णय समाज के लिए हानिकारक हो सकते हैं।

प्रश्न-८: सदाचार व्यक्ति के जीवन में कैसे सहायक होता है?

उत्तर: सदाचार व्यक्ति को नैतिक और सामाजिक कर्तव्यों की समझ देता है। यह हमें सही और गलत के बीच फर्क करने में मदद करता है, जिससे हम सही और उचित निर्णय ले सकते हैं।

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