20 जून 2024

अवचेतन मन के ग्यारह नियम

डाक्टर जोसेफ मर्फी अपनी प्रसिद्ध पुस्तक, "आपके अवचेतन मन की शक्ति" में लिखते हैं कि वे विश्व के सभी प्रमुख धर्मों का कई वर्षों तक गहन अध्ययन करने के बाद उन्हें विश्वास हो गया कि पूरी सृष्टि में एक विराट-शक्ति व्याप्त है, और वह शक्ति हमारे भीतर है - हमारे अवचेतन मन की शक्ति। आप अपनी चेतना और विचारों के प्रति जागरूक रह सकते हैं और उन्हें समझ सकते हैं। यह काम हमारे चेतन मन के द्वारा होता है। लेकिन यह जानकर आश्चर्य होगा की यह मात्र 10 प्रतिशत हिस्सा ही होता है जिसके बारे में हम समझ पाते हैं। बाकी 90% हिस्सा हमारे अवचेतन मन का होता है। इंसान अपने अवचेतन मन में जैसा सोचता है, वैसा ही वह करता और बन जाता है।

मानव शरीर, ईश्वर की सबसे अद्भुत रचना है। मानव मष्तिष्क अत्यंत जटिल और शक्तिशाली होता है। इसमें अविश्वसनीय शक्तियां छिपी हुई हैं, जिनसे हमलोग प्रायः अवगत नहीं होते हैं। आपके अवचेतन मन की यह चमत्कारी शक्ति आपकी हर बीमारी को ठीक कर सकती है। यह आपको दोबारा स्वस्थ उत्साही और शक्तिशाली बना सकती है। जब आप अपनी आंतरिक शक्तियों का प्रयोग करना सीख लेंगे तो आप डर की कैद से हमेशा के लिए मुक्त हो जायेंगे और आनंदमयी जीवन का स्वाद चखने लगेंगे।

Source: You Tube

अवचेतन मन के 11 नियम जो आपकी जिंदगी में बड़े बदलाव ला सकते हैं, हम उन सभी नियमों के बारे में यहाँ विस्तार से उल्लेख करेंगे और उनका हम अपने जीवन में सफलतापूर्वक कैसे उपयोग कर सकते हैं? इसकी विवेचना भी करेंगे। 

अवचेतन मन के ग्यारह नियम निम्नलिखित हैं-

1- विश्वास की शक्ति

2- अवचेतन मन की प्रोग्रामिंग    

3- अवचेतन मन की भाषा     

4- विज़ुअलाइज़ेशन की शक्ति    

 5- भावनाओं की भूमिका     

 6- क्रिएटिविटी      

 7- आत्म-छवि       

 8- आदत की शक्ति       

 9- अंतर्ज्ञान    

10- प्रतिज्ञान की शक्ति        

11- स्वीकार करें या छोड़ें

1- विश्वास की शक्ति:

अवचेतन मन हमारे भीतर गहराई में निहित विश्वासों के आधार पर संचालित होते हैं। यह हमारे विश्वासों को स्वीकार करता है और उस पर कार्य करना प्रारंभ करता है, भले ही वह हमारी क्षमता से बाहर का ही क्यों ना हो।                                  यह नियम बताता है कि हमारे विश्वास हमारे अवचेतन मन पर गहरा प्रभाव डालते हैं और वे हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हम अपने विश्वासों की शक्ति को पहचानकर और सकारात्मक विश्वासों को विकसित करके अपने जीवन को सकारात्मक दिशा दे सकते हैं। इसका उपयोग करके बड़ा से बड़ा लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। इस नियम के मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:

  • हमारे विश्वास हमारे विचारों, भावनाओं और कार्यों को निर्देशित करते हैं। वे हमारी वास्तविकता की धारणा को प्रभावित करते हैं और इस प्रकार हमारे जीवन के परिणामों को निर्धारित करते हैं।
  • अवचेतन मन उन विश्वासों को अपनाता है जिन पर हम गहरा विश्वास करते हैं और उन्हें सच मानकर उनके अनुरूप कार्य करता है।
  • सकारात्मक विश्वास हमें प्रेरित और उत्साहित करते हैं, जबकि नकारात्मक विश्वास हमें हतोत्साहित और निराश करते हैं। हमारे अवचेतन मन को सकारात्मक विश्वासों से भरना महत्वपूर्ण है ताकि हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकें।
  • आत्म-सुझाव (self-suggestion) के माध्यम से हम अपने अवचेतन मन में नए विश्वास स्थापित कर सकते हैं। 
  • पुराने और नकारात्मक विश्वासों को बदलने के लिए नए और सकारात्मक विश्वासों को बार-बार दोहराना आवश्यक है। यह प्रक्रिया समय ले सकती है, लेकिन धैर्य और निरंतरता से इसे प्राप्त किया जा सकता है।

2- अवचेतन मन की प्रोग्रामिंग:

इसका दूसरा नियम यह बताता है कि हम अपने अवचेतन मन का मनचाहा प्रोग्रामिंग कर सकते हैं। हमारे पिछले अनुभवों, हमारी स्थितियां और हमारे मन में बार-बार आने वाले विचार हमारे अवचेतन मन की प्रोग्रामिंग करते हैं। इसका प्रभाव हमें अपने व्यवहार और क्रियाओं पर स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। सबसे अच्छी बात तो यह है कि आप अपने अवचेतन मन के प्रोग्राम को बदल भी सकते हैं। यदि आपके भीतर नेगेटिव प्रोग्रामिंग हो चुकी है तो उसे पहचानकर री-प्रोग्राम कर सकते हैं और अपने जीवन में अप्रत्याशित रूप से बदलाव देख सकते हैं।

3- अवचेतन मन की भाषा:

अवचेतन मन की अपनी भाषा होती है जिसमें वह चित्रों, आकारों और भावनाओं के माध्यम से संचार करता है। इसकी भाषा को समझना और इसमें छिपे हुए संदेशों को जानना ही हमारे लिए आवश्यक होता है। यदि हम इसके प्रति जागरूक रहते हैं तो अवचेतन मन के ज्ञान का लाभ आप उठा सकते हैं।अपने अवचेतन मन से सकारात्मक और स्पष्ट संवाद स्थापित करना चाहिए। यह आपके लक्ष्यों और आकांक्षाओं को साकार करने में मदद करता है। अवचेतन मन के लिए भावनाओं का बहुत महत्व होता है। किसी विचार या अनुभव के साथ जुड़ी भावनाएं उसे अधिक प्रभावशाली बनाती हैं। सकारात्मक भावनाओं को बार-बार अनुभव करना और उन्हें अपने अवचेतन मन में स्थापित करना उपयोगी होता है।

इस नियम का सार यह है कि अवचेतन मन के साथ प्रभावी संचार के लिए शब्दों की बजाए प्रतीकों, चित्रों और भावनाओं का प्रयोग करना चाहिए। 

4- पावर ऑफ़ विज़ुअलाइज़ेशन:

पावर ऑफ विजुअलाइजेशन का नियम" अवचेतन मन के ग्यारह नियमों में से एक महत्वपूर्ण नियम है। इस नियम के अनुसार, जब हम अपने लक्ष्यों और इच्छाओं की स्पष्ट और जीवंत तस्वीर अपने मन में बनाते हैं और उसे बार-बार अपने मन में देखते हैं, तो वह छवि हमारे अवचेतन मन में गहराई से बस जाती है। तब मारा अवचेतन मन उस छवि को वास्तविकता में बदलने के लिए काम करना शुरू कर देता है। इसका मतलब है कि हम जो भी चीज़ें अपने जीवन में प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें पहले अपने मन में स्पष्ट रूप से देखना चाहिए, मानों वे पहले से ही हो चुकी हैं।

5- भावनाओं की भूमिका:

भावनाओं की भूमिका का नियम" यह कहता है कि अवचेतन मन पर भावनाओं का बहुत गहरा प्रभाव होता है। इस नियम के अनुसार, जो विचार और धारणाएं हमारे भावनात्मक अनुभवों से जुड़ी होती हैं, वे अधिक शक्तिशाली होती हैं और अवचेतन मन में गहराई से बैठ जाती हैं।                                  भावनाएं अवचेतन मन की भाषा होती हैं। हमारे भीतर आनंद, प्रेम, कृतज्ञता जैसी सकारात्मक भावनाओं का विकास होना महत्वपूर्ण होता है। अगर हम अपनी भावनाओं का सही प्रयोग करेंगे तो हम अपने भीतर इमोशनल इंटेलीजेंस को पैदा कर लेंगे। आज दुनियाँ की सारी बड़ी कंपनियां, देशों की सरकारें और बड़ी संस्थाएं इमोशनल इंटेलिजेंस का उपयोग करके लाभ कमाती हैं। आप भी इसका उपयोग करके जीवन में कुछ बड़ा लक्ष्य हासिल कर सकते हैं।

6- क्रिएटिविटी:

अगर क्रिएटिविटी की बात करें हमारा अवचेतन मन अथाह सागर की भांति है। जिस प्रकार से सागर में से बहुत सारे रत्नों को खोज कर निकाला जाता है, उसी प्रकार से हम, अपने अवचेतन मन से ऐसी चीजें भी खोज सकते हैं, जिन्हें खोजना अभी तक संभव नहीं हुआ है। वास्तव में कला, लेखन या बुद्धिमत्ता जैसी सभी चीजें हमारे अवचेतन मन के भीतर छुपी हुई होती हैं, जिनका उपयोग हमारा चेतन मन करता है। संक्षेप में कहें तो हमारी सारी क्रिएटिविटी का स्रोत हमारा अवचेतन मन ही है। इस नियम की मदद से हम कुछ भी नया क्रिएट कर सकते हैं। अवचेतन मन के पास असीमित संसाधन होते हैं। इस नियम का उपयोग करके हम अपनी कल्पनाशक्ति को विकसित कर सकते हैं और विभिन्न समस्याओं के समाधान में रचनात्मक दृष्टिकोण अपना सकते हैं।

7- आत्म छवि:

अवचेतन मन के 11 नियमों में इस सातवें नियम के अनुसार, हमारा जीवन और हमारी उपलब्धियां, हमारी आत्म-छवि पर निर्भर करती हैं। आत्म-छवि का मतलब है कि हम अपने बारे में क्या सोचते हैं? हम स्वयं को कैसे देखते हैं? और हम अपने बारे में क्या मान्यताएं रखते हैं?                                              हमारी आत्म-छवि हमारे व्यवहार, हमारे निर्णय, और हमारे जीवन में होने वाली घटनाओं को प्रभावित करती है। यदि हम अपनी आत्म-छवि को सकारात्मक और आत्म-विश्वास से भरपूर रखते हैं, तो हम अधिक सफलता प्राप्त कर सकते हैं।आत्म-छवि को बदलने और बेहतर बनाने के लिए हमें अपने विचारों, विश्वासों और दृष्टिकोण को सकारात्मक दिशा में ले जाना होगा। हमारा अवचेतन मन हमारी आत्म-छवि के अनुसार काम करता है। यदि हम स्वयं को सक्षम, योग्य और सफल मानते हैं, तो हमारा अवचेतन मन उसी अनुसार कार्य करेगा और हमें सफल बनने में हमारी मदद करेगा। 

8- आदत की शक्ति या दोहराने की शक्ति:

अवचेतन मन के 11 नियमों में सबसे प्रमुख नियम "आदत की शक्ति" है। इसका कारण यह है कि जिस कार्य को आप बार-बार दोहराते हैं वह आपकी आदत बन जाती है। इसे अगर आप सकारात्मक तरीके से लें तो आप अच्छे कार्य को दोहरा कर एक अच्छा परिणाम पा सकते हैं। यह नियम निम्नलिखित प्रमुख बिंदुओं को समाहित करता है; 

  • किसी भी कार्य या व्यवहार को बार-बार करने से वह हमारे अवचेतन मन में एक आदत के रूप में स्थापित हो जाता है।
  • एक बार जब हमारी आदतें बन जाती हैं, तो अवचेतन मन उन्हें खुद-बा-खुद से संचालित करने लगता है। 
  • अवचेतन मन सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार की आदतों को समान रूप से अपनाता है। इसलिए, हमेशा सकारात्मक आदतों के निर्माण में प्रयासरत रहना चाहिए। 
  • पुरानी आदतों को बदलने के लिए नई आदतों का निर्माण आवश्यक है। जब नई आदतों को बार-बार दोहराया जाता है, तो नयी आदतें उन पुरानी आदतों की जगह ले लेती हैं।   
  • आदतें एक दिन में नहीं बदलतीं। उन्हें बदलने के लिए पर्याप्त समय और धैर्य की आवश्यकता होती है।

संक्षेप में कहें तो हम अपने अवचेतन मन की शक्ति का उपयोग करके अपनी आदतों को पहचान सकते हैं, उन्हें सुधार सकते हैं और अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं। 

9- अंतर्ज्ञान:

यह नियम इस विचार पर आधारित है कि हमारे अवचेतन मन में एक गहरा समझ और ज्ञान होता है, जो हमारे सामान्य चेतन और सोच से परे होता है। इसे अक्सर "छठी इंद्रिय या अन्तरात्मा की आवाज़" के रूप में भी जाना जाता है। इस नियम के अनुसार, हमारा अवचेतन मन हमेशा हमारे भले के लिए काम करता है, और उसका अन्तर्ज्ञान हमें सही दिशा में मार्गदर्शन करने में सक्षम होता है।

यह हमारा मार्गदर्शन कर सकता है, विशेष रूप से तब जब हम दुविधा में होते हैं या हमें कोई महत्वपूर्ण निर्णय लेना होता है। हमारे अवचेतन मन में स्थित अन्तर्ज्ञान पर विश्वास करना और उसका सुनना आवश्यक है। अपने अन्तर्ज्ञान को सुनने के लिए हमें ध्यान और मानसिक शांति की आवश्यकता होती है, ताकि हम अपने भीतर की आवाज़ को साफ़-साफ़ सुन सकें। जितना अधिक हम अपने अन्तर्ज्ञान पर ध्यान देंगे और उसे मान्यता देंगे, उतना ही वह समय के साथ और अधिक सटीक और मजबूत होगा।

10- प्रतिज्ञान की शक्ति:

"प्रतिज्ञान की शक्ति" का नियम इस विचार पर आधारित है कि हमारे द्वारा की गई सकारात्मक या नकारात्मक प्रतिज्ञाएं या अफर्मेशन्स (Affirmations) हमारे अवचेतन मन को आधिक प्रभावित करती हैं जो हमारे जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती हैं। जब हम किसी विचार या कथन को बार-बार दोहराते हैं, तो वह हमारे अवचेतन मन में गहराई से बैठ जाता है। ये प्रतिज्ञाएं हमारे विश्वासों, भावनाओं और व्यवहार को प्रभावित करती हैं।

सकारात्मक प्रतिज्ञाएं (जैसे "मैं सक्षम हूँ," "मुझे सफलता अवश्य मिलेगी") हमारे आत्मविश्वास को बढ़ाती हैं और हमें सकारात्मक दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित करती हैं। जबकि नकारात्मक प्रतिज्ञाएं (जैसे "मैं असफल हूँ," "मुझसे यह नहीं हो सकता" आदि) हमारे आत्म-सम्मान को कमजोर करती हैं और हमारे अवचेतन मन में नकारात्मकता भर देती हैं, जिससे हमारे जीवन में नकारात्मक परिणाम उत्पन्न होते हैं।

प्रतिज्ञाओं का शांत-मन और एकाग्रता के साथ नियमित अभ्यास महत्वपूर्ण है। ध्यान और मनन के साथ प्रतिज्ञाओं को दोहराते समय उनकी सच्चाई तथा महत्ता को महसूस भी करें।  अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाकर भावनात्मक संलग्नता के साथ कही गई प्रतिज्ञाएं अवचेतन मन पर गहरा प्रभाव डालती हैं। 

11- स्वीकार करें या छोड़ें:

अवचेतन मन का ग्यारहवां और आखिरी नियम यह कहता है कि आपके भीतर उत्पन्न हुए विचार को स्वीकार करने और उसे छोड़ने की शक्ति छिपी होती है। यदि आप खुद को बदलना चाहते हैं तो आपके लिए यह एक बहुत उपयोगी टूल साबित हो सकता है जिससे आप अपने भीतर मनचाहा बदलाव ला सकते हैं। जब भी आपके मन में कोई नकारात्मक विचार उत्पन्न हो तो आप चाहें तो अस्वीकार कर सकते हैं। आपके भीतर स्वीकार करने और अस्वीकार करने की शक्ति निहित होती है। हमें अपने विचारों और सूचनाओं का सावधानीपूर्वक चयन करना चाहिए। हमें उन विचारों को स्वीकार करना चाहिए जो हमारे लक्ष्यों और मूल्यों के अनुकूल हों। 

सारांश:

हमारा अवचेतन मन बहुत शक्तिशाली होता है, जो हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अवचेतन मन, आत्म-संवेदना पर आधारित होता है और वह हमें वही प्रदान करता है जिसकी हम चाहे-अनचाहे अपेक्षा करते हैं। अवचेतन मन में गहरा विश्वास रखने पर वह उसे वास्तविकता में बदलने की क्षमता रखता है। अवचेतन मन के लिए अतीत, वर्तमान और भविष्य में कोई भेद नहीं होता। वह सब कुछ वर्तमान समय में मानता है। नकारात्मक विचार अवचेतन मन पर गहरा प्रभाव डालते हैं और सदैव नकारात्मक परिणाम लाते हैं। हमारी दिनचर्या, रोजमर्रा की आदतें और भावनाएँ, अवचेतन मन में बस जाती हैं और हमारे जीवन पर गहरी छाप छोड़ती हैं। लगातार दिए गए सुझाव, अवचेतन मन में स्थायी रूप से बैठ जाते हैं और उन्हें वास्तविकता में बदलने की क्षमता रखते हैं। हमारा अवचेतन मन दृढ़-संकल्प और स्पष्ट-लक्ष्य से प्रेरित होता है और इनकी प्राप्ति के लिए काम करता है। कल्पना और विजुअलाइजेशन की शक्ति का उपयोग करके अवचेतन मन को प्रेरित किया जा सकता है। अवचेतन मन के ग्यारह नियमों को विश्वास के साथ पालन करके अभीष्ट-फल प्राप्त किया जा सकता है। 

Related post, must read:

*****




कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

सबसे ज़्यादा पढ़ा हुआ (Most read)

फ़ॉलो

लोकप्रिय पोस्ट

विशिष्ट (Featured)

मानसिक तनाव (MENTAL TENSION) I स्ट्रेस (STRESS)

प्रायः सभी लोग अपने जीवन में कमोबेश मानसिक तनाव   से गुजरते ही हैं। शायद ही ऐसा कोई मनुष्य होगा जो कभी न कभी मानसिक त...