जब हम किसी काम को सीखने या करने की कोशिश करते हैं तो उस
समय हमारा मन पूरी तरह सक्रिय होता है और हमारा पूरा ध्यान उस काम पर होता है, उसे हम
चेतन मन कहते हैं।चेतन-मन के पास
तर्क और सोचने की शक्ति होती है, उदाहरण के लिए जब हम साइकिल चलाना सीखते हैं तो पूरा सावधान
रहते हैं। हमारा पूरा ध्यान साइकिल चलाने से लेकर संतुलन बनाए रखने पर होता है जो हमारे चेतन-मन यानी
एक्टिव-माइंड के द्वारा होता है।
जब हम साइकिल चलाना पूरी तरह सीख जाते हैं तो
साइकिल चलाने के दौरान हम इधर-उधर देख लेते हैं। साइकिल पर साथ में यदि कोई
बैठा है तो हम उससे बात भी कर लेते हैं। लेकिन आवश्यकतानुसार साइकिल को मोड़ने से लेकर ब्रेक लगाने तक का सारा काम स्वतः और अनवरत होता रहता है। ये सब क्रियाएँ अवचेतन-मन के द्वारा संभव
होती हैं। अवचेतन-मन एक आटो पाइलट की तरह कार्य करता है, जिसकी
प्रोग्रामिंग हमारे चेतन-मन के द्वारा की जाती है। चेतन-मन
से हम जिस बात को गहराई से सोचते हैं उसे हकीकत में बदलने का काम वास्तव में हमारा
अवचेतन-मन ही करता है।
सौजन्य: Nayichetana.com
Contents:
अवचेतन मन क्या है?
चेतन मन और अवचेतन मन में क्या अंतर है?
अवचेतन मन के काम करने का सिद्धांत
अवचेतन मन की शक्तियां
अवचेतन मन के प्रयोग
अवचेतन मन को कन्ट्रोल करने के उपाय
अवचेतन मन से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
अवचेतनमन क्या है?
अवचेतन मन एक डाटा-बैंक की तरह है जो आपके विश्वासों, अनुभवों, गहन-विचारों, यादों, आदि को संग्रहित करता है और फिर उसे हकीकत में बदलने का काम करता है। इसे अर्ध-चेतन मन भी कहते हैं जो हमारे सुषुप्त अवस्था में भी जाग्रत रहता है। हम अपने अवचेतन मन से ही सपने देखते हैं।
चेतन मन और अवचेतन-मन में क्या अंतर है?
अवचेतन-मन, कम्प्यूटर के सिद्धांत की तरह काम करता है यानी कंप्यूटर में आप जैसा इन-पुट देते हैं, आपको वैसा ही आउट-पुट मिलता है। हम जो कुछ भी अवचेतन-मन में डालेंगे, वह उसे बिना भेदभाव के स्वीकार कर लेगा और वही बात हमारे व्यवहार में उतरेगी। अवचेतन-मन एक गाड़ी की तरह है और चेतन-मन एक ड्राइवर की तरह। चेतन मन के पास सोचने और समझने की शक्ति होती है जबकि अवचेतन-मन में नहीं। इसीलिये यह भेदभाव नहीं करता। यह फायदा भी पहुंचा सकता है और नुकसान भी। यह हमारे उपर निर्भर करता है कि हम चेतन-मन के द्वारा अवचेतन-मन में किस तरह की प्रोग्रामिंग करते हैं?
अवचेतन-मन के काम करने का सिद्धांत:
अवचेतन-मन, आकर्षण के सिद्धांत पर काम करता है।
जैसे विद्युत-चुंबक, अपने से कहीं अधिक वजनदार लोहे को आकर्षित करने की क्षमता रखता है, ठीक उसी तरह, अवचेतन-मन, जो सबके भीतर है, बहुत शक्तिशाली है, उससे बड़े से बड़े कार्यों को करवाने के लिए अपनी प्रबल इच्छाओं को दृढ़ विश्वास के साथ चेतन-मन के द्वारा अवचेतन-मन की गहराइयों में पहुंचाना होता है।
जब चेतन-मन के भीतर कोई भी बात विश्वास की गहराई तक बैठ जाती है तो चेतन-मन उस सिगनल को अवचेतन-मन के पास भेज देता है। उसे हमारा अवचेतन-मन स्टोर कर लेता है और फिर ब्रहमाण्ड में विद्यमान शक्तियों के साथ जुड़कर उसे पूरा करने में लग जाता है।
अवचेतन मन की शक्तियां:
अवचेतन-मन के भीतर चमत्कारिक शक्तियां होती हैं।इसमें असंभव और असाध्य जैसे लगने वाले कार्य को भी संभव और साध्य करने की क्षमता होती है, जैसे-
संवेदनात्मक प्रतिक्रिया: हमारी भावनात्मक प्रतिक्रियाएँ जैसे डर, प्रेम आदि हमारे अवचेतन मन से ही प्रेरित होती हैं।
स्मृति: अवचेतन मन में हमारी बचपन की स्मृतियां, अनुभव और जानकारियां संग्रहित होती हैं जिन्हें हम भूल चुके होते हैं।
स्वाभाविक प्रतिक्रियाएँ: जैसे सांस लेना, दिल की धड़कन आदि अवचेतन मन द्वारा नियंत्रित होती हैं।
संस्कार और यादें: हमारे पुराने अनुभव और संस्कार अवचेतन मन में संचित होते हैं जो हमारी विचारधारा और क्रियाकलापों को प्रभावित करते हैं।
मनोबल: अवचेतन मन में सकारात्मक और नकारात्मक विचार संग्रहित होते हैं, जो हमारे मनोबल को प्रभावित करते हैं।
सम्मोहन: अवचेतन-मन से किसी के मनोभावों को जानकर उसे सम्मोहित किया जाता है।
स्वप्न: सपनों का स्रोत भी अवचेतन मन है, जो हमें हमारी अदृश्य भावनाओं और इच्छाओं का अहसास कराता है।
अवचेतन मन का प्रयोग: कुछ प्रयोगों का अवचेतन मन के उपर सीधा प्रभाव पड़ता है, जिससे व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आ सकता है, जो निम्न हैं-
आत्म-सुधार: अवचेतन मन की शक्तियों को समझकर हम अपने जीवन में परिवर्तन ला सकते हैं। जैसे मनोबल बढ़ाना, ध्यान और समाधान में वृद्धि करना।
समस्या का समाधान: हमारे अवचेतन मन में अनेक समाधान संचित होते हैं। जब हम किसी समस्या पर ध्यान नहीं देते, तब भी हमारा अवचेतन मन समस्या का समाधान खोजता रहता है।
सकारात्मक अफर्मेशन: आपको अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन करने में मदद करता है।
मानसिक स्वास्थ्य: मनोचिकित्सा और मेडिटेशन के माध्यम से अवचेतन तत्वों का पता लगाया जा सकता है जो स्वास्थ्य और संतुलन को प्रभावित करते हैं।
अध्ययन और स्मृति: कुछ तकनीकें जैसे की डीप रिलैक्सेशन का उपयोग करके आप अध्ययन और स्मृति को बेहतर बना सकते हैं।
व्यक्तिगत विकास: अवचेतन मन, व्यक्तिगत विकास और आत्म-निर्धारण में सहायक होता है।
अवचेतन-मन
को कंट्रोल करने के उपाय (How to Control our Subconscious Mind):
अ) अच्छी आदत डालें (Forming Positive Habits):
हमारे जीवन का निर्माण, हमारी आदतें ही करती हैं। इसलिए हमें
बचपन से ही अच्छी आदतों को विकसित करनी चाहिए, ताकि बडे़ होने पर वे हमारे
अच्छे चरित्र का निर्माण कर सकें। इसकी शुरुआत करने में कभी देर नहीं
होती। नई आदतों को सीखने में समय जरूर लगता है, मगर अच्छी
आदतें एक बार सीख ली जायें तो वे जीवन को एक नया आयाम देती हैं।
बेबुनियाद डर और आरामदायक जिंदगी के दायरे से बाहर निकल
कर ही आदतों में सुधार किया जा सकता है। अपनी बुरी आदतों को न बदलने के पीछे बहुत
सारे बहाने होते हैं। सभी आदतें बहुत छोटे रूप में शुरू होती हैं। सोचने का तरीका भी
एक आदत है और इसे बदला भी जा सकता है। अच्छा होना, सचेत मन से तब तक किये गए
लगातार प्रयासों का नतीजा होता है जब तक कि हमारा अच्छा व्यवहार और सकारात्मक नजरिया, हमारी आदत का रूप
नहीं ले लेते हैं। किसी भी आदत को बनाने या हटाने में हमें कम से कम इक्कीस दिन तक लगातार और सचेत ढंग से प्रेक्टिस करनी पड़ती है।
ब) आत्म-सुझाव (Auto-Suggestion):
आप, जिस तरह का इंसान बनना चाहते हैं या बनने की सोच रखते हैं, उस सोच को
वर्तमान समय में बार-बार कहने या दुहराये जाने की प्रक्रिया को ही आत्म-सुझाव कहते हैं।
आत्म-सुझाव हमारे अवचेतन-मन को मनचाहे सांचे में ढालने (Programming) का एक तरीका है। जब हम आत्म-सुझावों को बार-बार दोहराते हैं, तब हमारा
अवचेतन-मन उन सुझावों पर विश्वास करने लगता है और ये असलियत बनकर हमारे जीवन में उतर आते हैं।
आत्म-सुझावों को हमें हकीकत में बदलने के लिए उन्हें बार-बार दोहराना ही काफी नहीं है, इसके लिए हमारी भावनाओं
और अहसास का संयोग भी उसके साथ होना चाहिए। आत्म-सुझावों को कम से कम सुबह और रात में सोने
से पहले जरूर दोहरायें। आत्म-सुझावों को लिखकर कहीं ऐसी जगह चिपका दें ताकि
बार-बार आपकी निगाह उस पर पड़े।
स) कल्पना (Visualization):
हम जो पाना, करना या बनना चाहते हैं,
मन में उसकी छवि बनाने और उस छवि को देखने का सिलसिला ही कल्पना है। कल्पना और
आत्म-सुझाव दोनों, साथ-साथ चलना चाहिए। कल्पना किये बिना आत्म-सुझाव बेअसर होता है। इच्छित परिणाम पाने के लिए, इच्छाएँ और भावनाएं भी जुडी़
होनी चाहिए।
सारांश
अवचेतन मन, हमारे विचार, भावना, और व्यवहार पर व्यापक प्रभाव डालता है। यदि हम इसे अच्छी तरह समझ जाते हैं और इसका सही तरीके से प्रयोग करना सीख जाते हैं, तो हम अपने जीवन को अधिक सबल, संतुलित और सुखमय बना सकते हैं।
इसे लेख को भी पढ़ें-
अवचेतन मन की शक्ति से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ):
प्रश्न-१: हम अवचेतन मन को कैसे कंट्रोल कर सकते हैं?
उत्तर: मेडिटेशन, सकारात्मक अफर्मेशन (Positive Affirmation) और विशुद्ध जीवनशैली के माध्यम से हम अपने अवचेतन मन को नियंत्रित कर सकते हैं।
प्रश्न-२: अवचेतन मन, हमारे निर्णयों पर कैसे प्रभाव डालता है?
उत्तर: हमारा अवचेतन मन हमारी भावनाओं, विचारों, और पिछले अनुभवों का संग्रहकर्ता होता है, जो हमारे निर्णयों को प्रभावित करता है।
प्रश्न-३: अवचेतन मन का स्वप्नों से क्या सम्बंध है?
उत्तर: स्वप्न, अक्सर हमारे अवचेतन मन की अभिव्यक्ति माने जाते हैं। वे हमें हमारी भावनाओं, चिंताओं, और अच्छी या बुरी इच्छाओं के बारे में जानकारी देते हैं।
प्रश्न-४: क्या अवचेतन मन को ट्रेन्ड किया जा सकता है?
उत्तर: हां, विभिन्न तरीकों, जैसे कि ध्यान, विजुअलाइजेशन, और सकारात्मक अफर्मेशन के माध्यम से अवचेतन मन को ट्रेन्ड किया जा सकता है।
प्रश्न-५: अवचेतन मन को बेहतर समझने और ट्रेंड करने के लिए कौन सी पुस्तक पढ़ी जा सकती है?
उत्तर: इसके लिए जोसेफ मर्फी द्वारा लिखित पुस्तक, "आपके अवचेतन मन की शक्ति" उपयोगी हो सकती हैं।
सौजन्य: शिव खेड़ा की पुस्तक “जीत आपकी"
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