17 मई 2023

ब्रह्माण्ड के रोचक तथ्य (Brahmand Ke Rochak Tathya)

ब्रह्माण्ड, सौरमंडल, सभी ग्रह, असंख्य तारे, आकाशगंगाऐं, आकाशीय पिण्ड, सारे पदार्थ, एवं ऊर्जा का समावेश है। ब्रह्माण्ड बहुत ही विशाल है। यह देखने में जितना सुन्दर लगता है, उससे कहीं ज्यादा रोचक और रहस्यमयी है। 

ब्रह्माण्ड का आकार इतना विशाल है कि हम कल्पना भी नहीं कर सकते। समूचे ब्रह्माण्ड का बहुत छोटा हिस्सा (लगभग ५%) ही हम देख पाते हैं, जिसे हम दृश्य-ब्रह्माण्ड कहते हैं। बाकी हिस्से को हम देख नहीं पाते उसे हम अदृश्य ब्रह्माण्ड कहते हैं। अदृश्य ब्रह्माण्ड, डार्क एनर्जी (६८% लगभग) और डार्क मैटर (२७% लगभग) से भरा हुआ है। ब्रह्माण्ड कैसे बना? इसके विषय में कोई प्रमाणिक तथ्य तो नहीं है। किन्तु प्रचलित मान्यता के अनुसार ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति एक शूक्ष्म विन्दु में भयंकर विस्फोट के परिणामस्वरूप हुआ, जिसे बिग-बैंग थ्योरी या महाविस्फोट का सिद्धांत कहते हैं। 

Source: EduRev

ब्रह्माण्ड का माप करना असंभव है। ब्रहमाण्ड तेजी से विस्तार कर रहा है। ब्रह्माण्ड में १.८ विलियन प्रकाश वर्ष का वृहद् क्षेत्र पूरी तरह खाली है, जिसे Mysterious Void नाम दिया गया है। ब्रह्माण्ड का कुछ हिस्सा बहुत ही गर्म है तो कुछ बहुत ही ठंडा। आकाशगंगा को गैलेक्सी या मंदाकिनी भी कहते हैं। ब्रह्माण्ड में ऐसे भी पिण्ड होते हैं, जिसके पास आने वाली हर वस्तु नष्ट हो जाती है। उसे ब्लैक होल या कृष्ण विवर कहते हैं।ब्रह्माण्ड में सूर्य की परिक्रमा करने वाले पिण्डों को ग्रह तथा ग्रहों के परिक्रमा करने वाले पिण्डों को उपग्रह कहते हैं। ग्रहों के नाम बुध, पृथ्वी, शुक्र, वृहस्पति, मंगल, शनि, अरुण तथा वरुण हैं। ब्रह्माण्ड बहुत ही रहस्यमय है। अब हम ब्रह्माण्ड से संबंधित निम्नलिखित तथ्यों के उपर विस्तार से चर्चा करेंगे। 

Sr. No.

CONTENTS

1

सौरमंडल

2

अंतरिक्ष

3

आकाशगंगा

4

ब्लैक होल

5

महाविस्फोट का सिद्धांत या बिग-बैंग थ्योरी

6

ब्रह्माण्ड से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


१. सौरमंडल

सौरमंडल में, सूर्य तथा उसकी परिक्रमा करने वाले ग्रह, उपग्रह, पुच्छल तारे एवं उल्का पिण्ड सम्मिलित हैं जो गुरुत्वाकर्षण बल के द्वारा एक दूसरे से बंधे हुए हैं। सूर्य, सौरमंडल के केन्द्र में स्थित है। सूर्य, सौरमंडल का आधार है। सारा जन-जीवन, सूर्य की ऊर्जा से है। सौरमंडल के ग्रहों का संक्षिप्त विवरण नीचे दिया गया है। 


बुध या मरकरी


बुध, सूर्य के सबसे नजदीक एवं सौरमंडल का सबसे छोटा ग्रह है। इसका व्यास ४८७९ किमी. है। सूर्य से इसकी औसत दूरी ५७ मिलीयन किमी. एवं पृथ्वी से यह ७७ मिलीयन किमी. दूर है। इसका कोई उपग्रह नहीं है। एक मिलीयन किमी. = १० लाख किमी.

पृथ्वी


बैज्ञानिकों के अनुसार, पृथ्वी की उत्पत्ति करीब ४.५ अरब वर्ष पहले हुयी है। पृथ्वी पर जल एवं आक्सीजन के संयोग से जीवन है। पृथ्वी, सूर्य की परिक्रमा करने के साथ-साथ, अपनी धुरी पर भी घुमती है। पृथ्वी, सूर्य की एक परिक्रमा ३६५ दिनों में पूरी करती है और अपनी धुरी पर 24 घंटे में एक चक्कर लगाती है जिससे दिन और रातें होती हैं। इसका व्यास १२७८२ किमी. है। सूर्य से पृथ्वी की औसत दूरी १५० मिलीयन किमी. है। पृथ्वी के पूरे क्षेत्रफल का ७१% भाग जल और २९% के लगभग भूमि है। 

पृथ्वी पर, जल अपनी तीनों अवस्थाओं में पाया जाता है पृथ्वी के वायुमंडल में लगभग ७८% नाईट्रोजन, २०% के लगभग आक्सीजन और बाकी कार्बनडाइऑक्साइड तथा जलवाष्प है। वायुमंडल में ओजोन गैस की एक परत है, जो कि सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों को रोकती है। इसका एक उपग्रह, चंद्रमा है। पृथ्वी की सतह पर महासागर, महाद्वीप, विशाल पर्वत ऋंखलाएं, नदियाँ, पठार आदि प्राकृतिक संरचनाएँ हैं। पृथ्वी अपने अक्ष पर २३.५° कोंण पर झुकी हुई है।

शुक्र या वीनस


यह सबसे गर्म ग्रह है। यह अंधेरी रात में काफी चमकीला दिखाई देता है। इसका व्यास १२१०४ किमी. है। इसका आकार लगभग पृथ्वी के बराबर है। सूर्य से इसकी औसत दूरी १०८ मिलीयन किमी. तथा पृथ्वी से ४० मिलीयन किमी. दूर है। 

वृहस्पति या जुपिटर


यह सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। इसका व्यास १३९८२२ किमी. है। सूर्य से इसकी औसत दूरी ७७९ मिलीयन किमी. है तथा पृथ्वी से यह ५८८ मिलीयन किमी. दूर है। बृहस्पति के ७९ उपग्रह हैं, जिनमें प्रमुख उपग्रहों के नाम कलिस्टो, ईओ यूरोपा तथा गैनिमीड हैं। 

मंगल या मार्स


मंगल ग्रह को लाल ग्रह भी कहते हैं। यह पृथ्वी से मिलता-जुलता ग्रह है। इसका व्यास ६७७९ किमी. है। सूर्य से इसकी औसत दूरी २२८ मिलीयन किमी. तथा पृथ्वी से ५५ मिलीयन किमी. दूर है। मंगल ग्रह के दो उपग्रह, फोबस तथा डाइमस हैं। 

शनि या सैटर्न


यह वृहस्पति के बाद दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है। इसका व्यास १२६४६४ किमी. है। सूर्य से इसकी औसत दूरी १.४३ बिलीयन किमी. है। पृथ्वी से शनि की दूरी १.२ बिलीयन किमी. है। शनि के ६२ उपग्रह हैं। एक बिलीयन किमी. = १०,००० लाख किमी. = १ अरब किमी.

अरुण या यूरेनस


यह सौरमंडल का सबसे ठंडा ग्रह है। इसका व्यास ५१११८ किमी. है। सूर्य से इसकी औसत दूरी २.८८ बिलीयन किमी. तथा पृथ्वी से २.५७ बिलीयन किमी. दूर है। अरुण के कुल २६ उपग्रह हैं जिनमें मिरांडा, एरियल, अंब्रियल, ओबेरान तथा टाईटोनिया प्रमुख हैं। 

वरूण या नेप्च्यून


यह भी अधिक दूर होने के कारण ठंडा है। इसका व्यास ४९२४४ किमी. है। सूर्य से इसकी औसत दूरी ४.५० बिलीयन किमी. है तथा यह पृथ्वी से ४.३ बिलीयन किमी. दूर है। वरुण के कुल  १४ उपग्रह हैं जिनमें प्रमुख ट्राइटन, लरिसा, डस्पीन्त इत्यादि हैं। 

२. अंतरिक्ष


आकाश में ग्रहों, नक्षत्रों या आकाशीय पिण्डों के बीच में जो स्पेस या खालीपन (Void) है, उसे अंतरिक्ष (Outer Space) कहते हैं। यह इतना विस्तृत है कि हमारी कल्पना से परे है। अंतरिक्ष में दूरी मापने के लिए जिस इकाई का प्रयोग होता है उसे प्रकाश वर्ष कहते हैं। एक प्रकाश वर्ष का माप लगभग ९,५००,०००,०००,००० किमी (९५ खरब किमी. = ९.५ ट्रिलियन किमी.) के बराबर होता है। अंतरिक्ष पूर्णतः निःशब्द है। अंतरिक्ष में अनगिनत तारे हैं। अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण बल नहीं है। इसके कारण अंतरिक्ष यात्रियों की लम्बाई, अंतरिक्ष में २ इंच के लगभग बढ़ जाती है। अंतरिक्ष में वातावरण नहीं है। अंतरिक्ष का गंध किसी धातु की तरह मालूम होता है। 

एक मान्यता के अनुसार, अंतरिक्ष अपनी आकाशगंगाओं के साथ फैल रहा है। पृथ्वी के सतह से लगभग १०० किमी. की उर्ध्वाधर दूरी से अंतरिक्ष यानी स्पेस प्रारंभ हो जाता है यह अत्यधिक निर्वात वाला क्षेत्र होता है गुरुत्वाकर्षण बल नहीं होने के कारण अंतरिक्ष यात्रियों को खाने-पीने और सोने में बहुत दिक्कत होती है अंतरिक्ष यात्री, Solid खाने की जगह liquid खाना लेते हैं क्योंकि Solid चीज उड़कर आंखों में जा सकता है। 

अंतरिक्ष में हम चाहकर भी रो नहीं सकेंगे, क्योंकि आंखों से आंसू नीचे गिरेंगे ही नहीं अंतरिक्ष में यदि किसी के बहुत ही नजदीक में भी जोर से चिल्लायें तो भी सामने वाला नहीं सुन सकेगा कारण यह है कि ध्वनि के संचरण के लिए वहाँ कोई माध्यम नहीं होता है पृथ्वी से तो आसमान नीला दिखाई देता है परंतु अंतरिक्ष यात्रियों को यह काला दिखाई देता हैअंतरिक्ष यात्री, अंतरिक्ष में यदि बिना सूट के जायें तो शरीर के अंदर के रक्तचाप के कारण नसें फट जायेंगी और उनकी मौत हो सकती है

 ३. आकाशगंगा

स्वच्छ एवं अंधेरी रात में जब हम आकाश में देखते हैं तो आकाश के बीच में असंख्य तारों की एक सफेद पट्टी सी दिखाई देती है जिसे आकाश गंगा या Milky Way कहा जाता है। इसमें ५ खरब से अधिक तारे हैं। ब्रह्माण्ड में अरबों-खरबों आकाशगंगाऐं हैं, जो स्थिर नहीं हैं। आकाशगंगा में भी खरबों तारे होते हैं। सभी आकाशगंगाओं का आकार, आकृति, एक जैसी नहीं है। भारत में आकाशगंगा को मन्दाकिनी, देवनदी या सुरनदी भी कहते हैं। जिस तरह सौरमंडल में बहुत सारे ग्रह, उपग्रह हैं, उसी तरह आकाशगंगा में अनेक सौरमंडल हैं। हमारे आकाशगंगा के बीच में, एक ब्लैक होल भी है। हमारा सौरमंडल आकाशगंगा के केन्द्र के चारों ओर चक्कर लगाता है और उसे आकाशगंगा के केवल एक चक्कर लगाने में लगभग २५ करोड़ वर्ष लग जाते हैं।

४. ब्लैक होल

ब्लैक होल, ब्रह्माण्ड में एक ऐसा खगोलीय पिण्ड है जिसका गुरुत्वाकर्षण बल इतना शक्तिशाली होता है कि, अपने पास आने वाली हर वस्तु को यहाँ तक कि प्रकाश को भी अपने अंदर खींचकर, नेस्तनाबूत कर देता है। ब्लैक होल के भीतर, किसी वस्तु की बात ही क्या, समय का भी कोई अस्तित्व नहीं होता है। इसीलिए, ब्लैक होल को ब्रह्माण्ड का दैत्य भी कहा जाता है। 

ब्रह्माण्ड में यदि कोई पिण्ड जिसका द्रव्यमान और गुरुत्वाकर्षण बल अधिक हो और उसे दबाकर अत्यंत छोटा से छोटा कर दिया जाय तो उसका द्रव्यमान और घनत्व बहुत अधिक हो जायेगा। जिसके कारण उस पिण्ड का गुरुत्वाकर्षण बल अत्यधिक प्रबल हो जायेगा और वह ब्लैक होल बन जायेगा। मान लिया जाय कि ब्रह्माण्ड में कोई एक ऐसा तारा जो आकार में सूर्य से कई गुना बड़ा हो तथा उसका द्रव्यमान और घनत्व भी सूर्य से काफी अधिक हो और यदि इसे दबाकर मटर के दाने के बराबर कर दें तो उसका गुरुत्वाकर्षण बल इतना प्रबल हो जायेगा कि वह अपने पास आने वाली हर चीज को अपने भीतर खिंचकर उसका अस्तित्व मिटा देगा। यहाँ भौतिक विज्ञान का कोई भी नियम लागू नहीं होता है। ब्लैक होल अपने आप में एक रहस्य है।

५. बिग-बैंग थियरी या  महाविस्फोट का सिद्धांत

सौजन्य: विश्व विज्ञान

जार्ज लेमैत्रे ने सन् १९२७ में ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति का सिद्धांत प्रतिपादित किया। इस सिद्धांत के अनुसार ब्रह्माण्ड का सृजन एक महाविस्फोट के कारण हुआ था। इसको बिग-बैंग थियरी या महाविस्फोट का सिद्धांत कहते हैं। बिग-बैंग थ्योरी के अनुसार, १३.७ अरब वर्ष पूर्व, ब्रह्माण्ड सिमटा हुआ था। इसमें विस्फोट हुआ जिसमें इतनी अधिक ऊर्जा उत्सर्जित हुयी कि इसमें सिमटा हुआ हर कण फैलता गया जिससे ब्रह्माण्ड की रचना हुई और ब्रह्माण्ड का विस्तार आज भी जारी है। सारी मान्यताऐं महाविस्फोट के सिद्धांत से ही परिभाषित होती हैं। समय, अंतरिक्ष की मान्यताऐं भी महाविस्फोट के सिद्धांत के अस्तित्व में आने के बाद में ही आयीं। 

उपसंहार

ब्रह्माण्ड के रहस्य बहुत ही रोचक और गहरे हैं। ब्रह्माण्ड के बारे में हम अभी तक जो भी जान पाए हैं, वह पूरे ब्रह्माण्ड के रहस्य का अंशमात्र है। ब्रह्माण्ड का अभी भी विस्तार हो रहा है। अंतरिक्ष, सूर्य, ग्रह, उपग्रह, तारे, नक्षत्रआकाशगंगाऐं, ब्लैक होल तथा ऊर्जा आदि को संयुक्त रूप से ब्रहमाण्ड कहते हैं। अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण बल नहीं है। ब्लैक-होल के भीतर गुरुत्वाकर्षण बल इतना प्रबल होता है कि इसके भीतर आने वाली हर वस्तु नेस्तनाबूत हो जाती है। हम सौरमंडल के पृथ्वी ग्रह पर पर रहते हैं। सौरमंडल में सूर्य स्थिर है और पृथ्वी सहित सभी ग्रह-उपग्रह, सूर्य की परिक्रमा करते हैं। पृथ्वी, सूर्य के चारों ओर एक वर्ष में एक चक्कर लगाती है जिससे ऋतुएँ होती हैं और अपनी धुरी पर चौबीस घंटे में एक चक्कर लगाती है जिससे दिन-रात होता है। 

ब्रह्माण्ड से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उनके उत्तर (FAQ):

प्रश्न-१: ब्रह्माण्ड क्या है?

उत्तर: ब्रह्माण्ड एक विशाल खाली स्थान है जिसमें तारामंडल, ग्रह, तारे, गैलेक्सी, नीला स्थल और अनेक अन्य खगोलीय वस्तुएँ होती हैं।

प्रश्न-२: ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति कैसे हुई?

उत्तर: ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति को "बिग-बैंग थ्योरी" से परिभाषित किया जाता है। यह करीब 13.7 बिलियन वर्ष पहले हुई थी। इसमें एक बहुत छोटे और उच्च तापमान वाले बिंदु से ब्रह्माण्ड का विस्तार हुआ।

प्रश्न-३: क्या ब्रह्माण्ड का विस्तार हो रहा है?

उत्तर: हाँ, ब्रह्माण्ड का निरंतर विस्तार हो रहा है। यह धारणा है कि महाविस्फोट के बाद से ब्रह्माण्ड निरंतर बढ़ रहा है।

प्रश्न-४: ब्रह्माण्ड की उम्र क्या है?

उत्तर: खगोलविदों के अनुसार, ब्रह्माण्ड की उम्र लगभग 13.7 बिलियन वर्ष है।

प्रश्न-५: ब्रह्माण्ड में क्या जीवन हो सकता है?

उत्तर: अभी तक केवल पृथ्वी पर ही जीवन का पता चला है, लेकिन खगोलविदों और वैज्ञानिकों के अनुसार, ब्रह्माण्ड में अन्य ग्रहों पर भी जीवन हो सकता है।

प्रश्न-५: ब्रह्माण्ड के आकार के बारे में क्या कहा जा सकता है?

उत्तर: ब्रह्माण्ड के आकार को लेकर वैज्ञानिकों में मतभेद है। कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि यह अनंत है, जबकि दूसरे मानते हैं कि यह सीमित है, लेकिन इसके विस्तार की दर इतनी अधिक है कि हमें यह अनंत प्रतीत होता है।

प्रश्न-६: हम ब्रह्माण्ड के कितने हिस्से को देख सकते हैं?

उत्तर: हम जितने ब्रह्माण्ड के हिस्से को देख सकते हैं, उसे 'दृश्य ब्रह्माण्ड' कहा जाता है। यह हमारे द्वारा देखे जा सकने वाले सबसे दूरी तारामंडल तक फैला हुआ है।

प्रश्न-७: क्या हम ब्रह्माण्ड के बाहर देख सकते हैं?

उत्तर: नहीं, हम ब्रह्माण्ड के 'बाहर' देखने में सक्षम नहीं हैं क्योंकि हमारे पास इसे मापने या समझने का कोई माध्यम नहीं है। ब्रह्माण्ड की सीमाओं के परे क्या है, यह एक अज्ञात ही है

श्रोत: गूगल

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