ध्यान (Meditation) एक प्राचीन और प्रभावशाली साधना है, जो मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत उपयोगी है। यह मन को शांत करने, आत्म-नियंत्रण बढ़ाने और आंतरिक शांति पाने का प्रमुख साधन है। आज के व्यस्त जीवन में, जहां तनाव और अशांति हर कदम पर हमारे साथ हैं, ध्यान का महत्व और भी बढ़ गया है।
SCIENCE OF MEDITATION |
ध्यान का विज्ञान समझने के लिए हमें यह जानना होगा कि यह हमारे मन और शरीर पर कैसे प्रभाव डालता है और इसे जीवन में अपनाने के लिए क्या किया जा सकता है।
ध्यान का अर्थ और महत्व
ध्यान का शाब्दिक अर्थ है "धारण करना" या "ध्यान केंद्रित करना"। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें मन को एकाग्र किया जाता है और बाहरी विकर्षणों से मुक्त किया जाता है। बाहरी दुनियाँ से अपनी तरफ मुड़ने का नाम ध्यान है। ध्यान, बाह्य जगत् से अन्तर्जगत में लौटने का नाम है। ध्यान खुद को जानने और पहचानने का नाम है। जैसे कुछ न खाने की प्रक्रिया को उपवास कहते हैं, कुछ भी न बोलने की अवस्था को मौन कहते हैं, उसी तरह कुछ भी न सोचने की अवस्था को ध्यान कहते हैं।
ओशो के अनुसार, "ध्यान, चेतना की विशुद्ध अवस्था है जहां कोई विचार नहीं होते, कोई विषय नहीं होता।" ध्यान सभी व्याधियों को दूर करने का उपाय है।
ध्यान का उद्देश्य केवल मानसिक शांति प्राप्त करना ही नहीं है, बल्कि यह मन, शरीर और आत्मा के बीच संतुलन स्थापित करना है। आज की भागदौड़-भरी जिंदगी में लोग तनाव, चिंता, और अवसाद जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। ध्यान एक ऐसा साधन है जो इन समस्याओं को कम करके मन को स्थिर और सकारात्मक बनाता है।
ध्यान का विज्ञान
ध्यान केवल एक आध्यात्मिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहराई से जुड़े वैज्ञानिक आधार भी हैं। यह मन और मस्तिष्क को स्वस्थ और संतुलित रखने का एक प्रभावी तरीका है।
ध्यान के दौरान मस्तिष्क और शरीर में कई सकारात्मक बदलाव होते हैं, जिन्हें विज्ञान ने विस्तार से समझा है; जैसे-
ध्यान का मस्तिष्क की तरंगों पर प्रभाव:
- जब हम ध्यान करते हैं, तो मस्तिष्क में अल्फा, थीटा और डेल्टा तरंगें सक्रिय होती हैं। ये तरंगें हमें शांति, रचनात्मकता और गहरी नींद का अनुभव कराती हैं। यह हमें तनाव से राहत देती हैं और एकाग्रता बढ़ाती हैं।
- नियमित ध्यान से मस्तिष्क के कुछ हिस्से, जैसे प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स जो निर्णय लेने और ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है, मजबूत होते हैं। वहीं, एमिग्डाला (जो डर और तनाव का केंद्र है) छोटा हो जाता है।
नर्वस सिस्टम पर असर:
- ध्यान करने पर हमारा पैरासिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम सक्रिय होता है, जो शरीर को आराम देता है।
- यह दिल की धड़कन को धीमा करता है, रक्तचाप को नियंत्रित करता है और शरीर को गहरी शांति में ले जाता है।
- ध्यान के दौरान "सुख का हार्मोन" जैसे एंडोर्फिन और सेरोटोनिन बढ़ते हैं। इससे हमें खुशी और संतुलन महसूस होता है।
- तनाव पैदा करने वाले हार्मोन "कोर्टिसोल" की मात्रा घट जाती है।
ध्यान और न्यूरोप्लास्टिसिटी: ध्यान, मस्तिष्क की न्यूरोप्लास्टिसिटी को बढ़ाता है। इसका मतलब है कि ध्यान से हम अपने सोचने और महसूस करने के तरीके को बदल सकते हैं।
ध्यान के लाभ:
- मन शांत होता है।
- तनाव को प्रबंधित करने की क्षमता बढ़ती है।
- हमें नकारात्मक विचारों से दूर रहने में मदद करता है।
- रक्तचाप के नियंत्रण में सहायक होता है।
- यह हमें गुस्सा, ईर्ष्या, और निराशा जैसे नकारात्मक भावनाओं से मुक्त करता है।
- शरीर को गहराई से आराम देता है, जिससे नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है।
- मस्तिष्क की एकाग्रता और याददाश्त बेहतर होती है।जिससे व्यक्ति एक समय में कई कार्य, कुशलतापूर्वक कर सकता है।
- ध्यान, मस्तिष्क को स्पष्टता प्रदान करता है, जिससे व्यक्ति बेहतर और त्वरित निर्णय ले पाता है।
- मस्तिष्क अधिक विचारशील और रचनात्मक बनता है।
- कार्य-प्रदर्शन बेहतर होता है।
- यह हमें अपने भीतर झांकने और अपने अस्तित्व के गहरे अर्थ को समझने का अवसर प्रदान करता है।
- ध्यान के माध्यम से हम अपने आप को ब्रह्मांड से जोड़ पाते हैं।
- आत्म-नियंत्रण और धैर्य को बढ़ाता है।
- अधिक सहनशील और दयालु बनाता है।
- विचारों में स्पष्टता आती है, जिससे निर्णय लेने की क्षमता मजबूत होती है।
ध्यान करने की सरल विधि
ध्यान करना कठिन नहीं है। इसे किसी भी समय और किसी भी स्थान पर किया जा सकता है।
नीचे दी गई सरल विधि, ध्यान को आरंभ करने में मदद करेगी;
- एक ऐसा स्थान चुनें जहाँ कोई शोर-शराबा न हो। यह आपके ध्यान को गहराई तक ले जाने में मदद करेगा।
- ध्यान के लिए एक आरामदायक स्थिति में बैठें। रीढ़ सीधी रखें और आंखें बंद कर लें।
- गहरी सांस लें और अपने सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया पर ध्यान दें। अगर आपका ध्यान भटकता है, तो धीरे-धीरे इसे वापस लाएं।
- "ओम" का जप या किसी सकारात्मक शब्द (जैसे "शांति") को दोहराने से ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है।
- शुरुआत में ५ से १० मिनट का ध्यान करें और धीरे-धीरे ध्यान का समय बढ़ाएं।
ध्यान को जीवन का हिस्सा बनाने के सुझाव
- सुबह उठते ही ध्यान करें, इससे दिनभर ऊर्जा बनी रहती है।
- शाम को दिनभर की थकान दूर करने के लिए ध्यान करें।
- ध्यान को दिनचर्या का हिस्सा बनाएं।
- बेहतर परिणाम के लिए किसी योग्य गुरु की मदद लें।
निष्कर्ष
ध्यान केवल एक अभ्यास नहीं अपितु जीवन जीने की एक कला है। यह मन, शरीर और आत्मा को जोड़ने का माध्यम है। यह हमारी मानसिक और शारीरिक सेहत को बेहतर बनाने के लिए एक वैज्ञानिक और व्यावहारिक तरीका है। नियमित ध्यान से जीवन में संतुलन, शांति, स्थिरता और फोकस प्राप्त किया जा सकता है। आज के व्यस्त जीवन में ध्यान की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है। इसलिए, ध्यान को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना, व्यक्तिगत विकास और समग्र स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।
ध्यान का नियमित अभ्यास करें और इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। याद रखें, मानसिक शांति और फोकस पाने के लिए ध्यान से बेहतर और कोई साधन नहीं है।
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बढ़िया लेख है।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
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