असफलता और सफलता, जीत-हार की तरह, एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और जीवन के साथ अनिवार्य रूप से जुड़े हुए हैं। सफलता की स्थिति में लोगों का ध्यान परिणाम पर होता है जबकि असफलता की स्थिति में ध्यान प्रक्रिया की तरफ होता है। असफलता के दौर को हम अक्सर जीवन के कठिन और दुखद समय के रूप में देखते हैं, जबकि सफलता को आनंद और उपलब्धियों का प्रतीक माना जाता है। लेकिन यदि हम गहराई से देखें, तो असफलता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी सफलता। असफलता हमें सीखने, सुधारने और खुद को बेहतर बनाने का अवसर देती है, और यही उसे सफलता के रास्ते का आधार बनाती है।
असफलता का महत्व
असफलता का वास्तविक महत्व तब समझ आता है जब हम इसे एक अवसर के रूप में देखते हैं, न कि एक बाधा के रूप में। हर सफल व्यक्ति, अपने जीवन में किसी न किसी स्तर पर असफलता का सामना किया हुआ होता है। यह असफलता ही होती है जो उन्हें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती है। असफलता का सबसे बड़ा गुण यह है कि यह व्यक्ति को उसकी कमजोरियों से अवगत कराती है और उनके सुधार के लिए अवसर प्रदान करती है। इतिहास में ऐसे बहुत से महान पुरुष हुए हैं जो सफलता की मिसाल कायम किये लेकिन वो भी जीवन के किसी न किसी मोड़ पर असफलता का स्वाद जरूर चखे। तो आइये यहाँ हम आपको दुनियाँ भर में सफलता से पहले असफलता की बहुत सी प्रसिद्ध कहानियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आपको सफलता के मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेंगी।
१. थॉमस एडीसन के असफलता की कहानी:
थॉमस एडीसन का उदाहरण एक उत्कृष्ट उदाहरण है कि कैसे असफलता से सफलता प्राप्त की जा सकती है? एडीसन ने बिजली के बल्ब का आविष्कार करने से पहले हजारों बार प्रयास किए किन्तु असफल रहे। जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने इतनी बार असफल होने के बाद भी हार कैसे नहीं मानी? तो उन्होंने कहा, "मैं असफल नहीं हुआ। मैंने बस 10,000 ऐसे तरीके ढूंढे हैं जो काम नहीं करते।" एडीसन की इस सोच ने उन्हें दुनियाँ के सबसे महान आविष्कारकों में से एक बना दिया।
उनकी असफलता से हमें यह सीख मिलती है कि असफलता व्यक्ति को केवल निराश ही नहीं करती, बल्कि वह उसे नये दृष्टिकोण, अनुभव और आत्मनिरीक्षण का अवसर भी देती है। असफलता हमें यह भी सिखाती है कि सफलता केवल एक मंजिल नहीं है, बल्कि यह एक निरंतर चलने वाली यात्रा है।
२. अब्दुल कलाम की प्रेरक कहानी:
भारत के पूर्व राष्ट्रपति और प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का जीवन असफलता से सफलता की ओर बढ़ने की प्रेरणादायक कहानी है। डॉ. कलाम का सपना था कि वह भारतीय वायुसेना में पायलट बनें, लेकिन वे इस परीक्षा में असफल हो गए। इस असफलता ने उन्हें निराश किया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने अपने जीवन को विज्ञान और प्रौद्योगिकी की सेवा में समर्पित कर दिया और बाद में उन्होंने भारत को एक महान वैज्ञानिक के रूप में दिशा दी। उनके नेतृत्व में भारत ने अंतरिक्ष और मिसाइल प्रौद्योगिकी में ऐतिहासिक सफलताएं प्राप्त कीं। इसके लिए उन्हें "मिसाइल मैन" के नाम से जाना जाता है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उनके महान योगदान के लिए सन् १९९७ ई. में भारत के सर्वोच्च पुरस्कार, "भारत रत्न" से उन्हें सम्मानित किया गया।
असफलता आत्मविश्वास को झकझोर सकती है, लेकिन इससे सही तरीके से मुकाबला करने पर यह आत्मविश्वास को बढ़ाने का भी काम करती है। असफलता हमें यह बताती है कि हम कितनी बार गिरते हैं, यह मायने नहीं रखता, बल्कि यह महत्वपूर्ण है कि हम कितनी बार उठते हैं और दुगनी ताकत से आगे बढ़ते हैं।
३. स्टीव जॉब्स की कहानी:
आज पूरे विश्व में ऐप्पल कंपनी के संस्थापक, स्टीव जॉब्स किसी पहचान के मुहताज नहीं हैं। बहुत कम लोगों को यह पता होगा कि एक समय पर जॉब्स को खुद अपनी ही कंपनी से निकाल दिया गया था, लेकिन उन्होंने हार मानने के बजाय नई ऊर्जा और विचारों के साथ आगे बढ़ने का निश्चय किया। उन्होंने अपनी असफलता से सीखा और नई कंपनी 'नेक्स्ट' तथा 'पिक्सार' की स्थापना की। अंततः ऐप्पल में पुनः वापसी कर कंपनी को नई ऊँचाइयों पर पहुंचाया। सन् २००५ ई. में स्टीव जॉब्स ने अपने एक भाषण में कहा था कि, "मैंने तब इसे नहीं देखा था, लेकिन यह मुझे मालुम है कि ऐपल से निकाल दिया जाना मेरे लिए सबसे अच्छी बात रही, जो कि मेरे साथ कभी भी हो सकती थी।" जॉब्स ने दिखाया कि, "असफलता केवल एक पड़ाव है, न कि सफलता का अंत।"
असफलता के बाद सफलता पाने का सबसे महत्वपूर्ण गुण है धैर्य और संघर्ष। जब व्यक्ति असफल होता है, तो उसके सामने दो ही विकल्प होते हैं: या तो वह हार मान ले और पीछे हट जाए, या फिर वह अपने संघर्ष को और अधिक दृढ़ता से जारी रखे। जिन लोगों ने जीवन में महान सफलताएं प्राप्त की हैं, उन्होंने अपनी असफलताओं से कभी हार नहीं मानी, बल्कि उन्होंने उन्हें अपने विकास और प्रगति का हिस्सा बनाया। धैर्य के साथ संघर्ष करते हुए वे अपनी मंजिल तक पहुंचे।
४. महात्मा गांधी का स्वाधीनता संग्राम का संघर्ष:
महात्मा गांधी का जीवन भी असफलता से सफलता की यात्रा का एक आदर्श उदाहरण है। उनके जीवन के शुरुआती दौर में उन्हें कई असफलताओं का सामना करना पड़ा। दक्षिण अफ्रीका में उनके पहले ही केस में उन्हें असफलता मिली, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने अहिंसा और सत्याग्रह के मार्ग पर चलते हुए भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया और अंततः देश को आजादी दिलाई। गांधीजी ने अपने संघर्षों को कभी असफलता के रूप में नहीं देखा, बल्कि उन्हें अपनी सफलता की नींव बनाया।
असफलता से सफलता की ओर बढ़ने के लिए पहला कदम है अपनी असफलता को स्वीकार करना। जब तक व्यक्ति यह स्वीकार नहीं करेगा कि वह असफल हुआ है, तब तक वह उसे सुधारने के उपायों पर विचार नहीं कर पाएगा। असफलता से भागने या उसे नजरअंदाज करने की बजाय, उसे स्वीकार करना चाहिए और उससे सीख लेकर आगे बढ़ना चाहिए। स्वीकार्यता से ही व्यक्ति के भीतर सुधार और प्रगति की भावना विकसित होती है।
५. अल्बर्ट आइंस्टीन:
वैज्ञानिक खोजों में, 'अल्बर्ट आइंस्टीन' का नाम बड़े ही सम्मान के साथ लिया जाता है। "सापेक्षता का सिद्धांत" के अन्वेषक अल्बर्ट आइंस्टीन नौ वर्ष की आयु तक धाराप्रवह नहीं बोल सकते थे। उनके विद्रोही स्वभाव के कारण उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया और उन्हें ज्यूरिख पॉलिटेक्निक स्कूल में प्रवेश देने से मना कर दिया गया। इतनी असफलताओं के बावजूद उनके "फोटोइलेक्ट्रिक प्रभाव" की खोज के लिए उन्हें सन् १९२१ई. में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।आइंस्टीन का मानना था कि, "सफलता की प्रगति के मूल में असफलता रहती है।"
६. नेल्सन मंडेला की कहानी:
नेल्सन मंडेला, जिन्होंने दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ लड़ाई लड़ी, वे भी अपने जीवन में कई असफलताओं का सामना किया। उन्होंने करीब २७ साल जेल में बिताए, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। मंडेला ने अपनी असफलताओं को स्वीकार किया और अपनी लड़ाई को और अधिक मजबूती से आगे बढ़ाया। अंततः उनकी लड़ाई ने रंगभेद की व्यवस्था को समाप्त किया और दक्षिण अफ्रीका में समानता और स्वतंत्रता की स्थापना की।
असफलता से सफलता की यात्रा में दृढ़ निश्चय की बहुत बड़ी भूमिका होती है। जब व्यक्ति अपने लक्ष्य के प्रति अडिग रहता है, तब कोई भी असफलता उसे उसकी मंजिल तक पहुंचने से रोक नहीं सकती। दृढ़ निश्चय वह शक्ति है जो असफलता के कठिन पलों में भी व्यक्ति को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।
७. माइकल जॉर्डन की कहानी:
माइकल जॉर्डन, जो दुनियाँ में बास्केटबॉल के महान खिलाड़ी माने जाते हैं। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत में कई बार असफलता का सामना किया। उन्हें अपने स्कूल की बास्केटबॉल टीम से बाहर कर दिया गया था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। माइकल जॉर्डन ने नाइके कंपनी के एक विज्ञापन में अपने जीवन में असफलताओं का जिक्र करते हुए कहा था कि "मैंने अपने करियर में ९००० से अधिक शॉट्स और लगभग ३०० खेल गंवाए हैं। २६ बार, मुझ पर गेम जीतने वाले शॉट लेने के लिए भरोसा किया गया था और मैं चूक गया, भरोसे पर खरा नहीं उतरा। मैं अपने जीवन में बार-बार असफल हुआ हूंँ और यही कारण है कि मैं सफल हुआ हूँ।" अपने दृढ़ निश्चय और कड़ी मेहनत के बल ही पर उन्होंने न केवल अपनी टीम में वापसी की, बल्कि बास्केटबॉल के इतिहास में एक महान खिलाड़ी के रूप में अपनी पहचान बनाई है।
असफलता से सफलता तक के सफर में खुद पर विश्वास होना अत्यंत महत्वपूर्ण है। असफलताओं के दौर में जब व्यक्ति खुद पर संदेह करने लगता है, तब उसे यह समझने की जरूरत होती है कि वह अपनी क्षमताओं से कहीं अधिक सक्षम है। खुद पर विश्वास ही वह शक्ति है जो व्यक्ति के भीतर असंभव को भी संभव बनाने की प्रेरणा देती है।
८. अब्राहम लिंकन:
अमेरिका के प्रसिद्ध राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन असफलता के एक बड़े उदाहरण हैं। उनका जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था। सन् १८३१ ई. में उन्हें व्यापार में असफलता हाथ लगी। वे सन् १८३६ ई. में एक नर्वस ब्रेकडाउन से पीड़ित हुए। उनके घर-परिवार पर विपत्तियों का साया हमेशा मंडराता रहा।अब्राहम लिंकन जब २४ वर्ष के हुए तो उनको एक लड़की से प्यार हो गया। दोनों की शादी भी होने वाली थी लेकिन एक गंभीर बीमारी की वजह से उस लड़की की मौत हो गई। इसके बाद अब्राहम लिंकन गहरे सदमे में चले गये और उन्होंने किसी तरह खुद को इससे उबारने में कामयाब हो सके। आपत्तियों के बीच सन् १८४२ ई. में उनकी शादी हुई और उनके चार बेटे हुए परंतु उनमें से केवल एक ही वयस्कता तक जीवित रहा। लिंकन-परिवार में गहरी उदासी व्याप्त थी। वे दो बार सीनेट के चुनाव में असफल हुए। सन् १८५६ ई. में राष्ट्रपति पद की दौड़ से बाहर होने के बाद भी अब्राहम लिंकन अपने जीवन की राह पर चट्टान की भांति अडिग रहे और आगे बढ़ते गये। उन्होंने मुश्किलों और असफलताओं के आगे घुटने नहीं टेके। आखिरकार अब्राहम लिंकन सन् १८६१ ई. में संयुक्त राज्य अमेरिका के सोलहवें राष्ट्रपति के रूप में चुने गए। वे अमेरिका के सबसे लोकप्रिय राष्ट्रपति माने जाते हैं। अमेरिका में दास-प्रथा के अंत का श्रेय लिंकन को ही जाता है।
९. सिन्धुताई सपकाल:
सिन्धुताई सपकाल का जीवन असफलता से सफलता, संघर्ष, साहस, और सेवा का प्रतीक है। उन्हें लोग प्यार से "मदर ऑफ ऑर्फ़न्स" (अनाथों की माँ) के नाम से जानते हैं। उनका जीवन संघर्षों से भरा हुआ हथा। उनका जन्म १४ नवंबर सन् १९४८ ई. को महाराष्ट्र के वर्धा जिले के एक गरीब किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम अभिमान साठे था, जो पेशे से चरवाहा थे। सिंधु ताई को बचपन में “चिंदी” कहकर पुकारा जाता था, जिसका अर्थ होता है “कपड़े का छोटा टुकड़ा”।
बचपन से ही ताई को समाज की परंपरागत सोच, तिरस्कार और गरीबी का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी फिर भी पिताजी पढ़ाना चाहते थे लेकिन सामाजिक दबाव के कारण उनकी पढ़ाई चौथी कक्षा तक ही हो पाई। मात्र ९ वर्ष की उम्र में उनकी शादी, ३० वर्ष के श्रीहरि सपकाल से कर दी गई। विवाह के बाद भी सिंधु ताई के जीवन में कठिनाइयाँ खत्म नहीं हुईं। २० साल की उम्र में, जब वे गर्भवती थीं, उनके पति ने चरित्रहीनता का आरोप लगाकर पर उन्हें घर से निकाल दिया। प्रसवपीड़ा से अर्धविक्षिप्त होकर एक गोशाला में उन्होंने बच्ची को जन्म दिया। उनके पास न घर था न कोई सहारा। वे दिनभर रेेलवे प्लेटफॉर्म पर रहकर भीख मांगतीं और रातें श्मशान में गुजरातीं ताकि बच्ची के साथ खुद को भी सुरक्षित रख सकें।
सिंधुताई के जीवन में आए संघर्षों ने उन्हें एक नई दिशा दी। उन्होंने महसूस किया कि समाज में बहुत सारे बच्चे अनाथ हैं। उन्होंने अपनी बेटी को एक अनाथाश्रम में डाल दिया और अपना जीवन अनाथ बच्चों की सेवा में समर्पित कर दिया। वे सड़कों, रेलवे स्टेशन, और कचरे के ढेर से अनाथ और बेसहारा बच्चों को इकट्ठा करने लगीं और उनका पालन-पोषण करने लगीं। सिन्धुताई ने अपना पूरा जीवन अनाथ बच्चों के लिए समर्पित किया। इसलिए उन्हे "ताई" अर्थात् माँ कहा जाता है। उन्होने १०५० अनाथ बच्चों को गोद लिया है। सिंधुताई के सामाजिक कार्यों को देखते हुए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। वे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मिलाकर ७०० से अधिक पुरस्कार जीतीं, जिनमें पद्म-श्री (२०२१) और अहिल्याबाई होल्कर पुरस्कार प्रमुख हैं। उन्होंने इन पुरस्कारों से मिले धन का उपयोग अपने अनाथालय के विकास के लिए किया। सिंधुताई सपकाल का निधन ४ जनवरी सन् २०२२ को पुणे में हुआ।
१०. बिल गेट्स:
विश्व के सबसे समृद्ध इंसानों में से एक बिल गेट्स को कौन नहीं जानता। ये हार्वर्ड विश्वविद्यालय से ड्रॉपआउट थे। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत में ट्रैफ-ओ-डेटा नामक एक बिजनेस का को-ओनरशिप किया, जो पूरी तरह असफल रहा था। हालांकि अपनी इस असफलता को अपने कंप्यूटर-प्रोग्रामिंग स्किल और जुनून से मशहूर सॉफ्टवेयर कंपनी "माइक्रोसॉफ्ट" के रूप में सफलता में बदल दिया। बिल गेट्स महज 31 वर्ष की उम्र में दुनियाँ के सबसे कम उम्र के अरबपति बनें। इस असफलता के बारे में बिल गेट्स ने अपने भाषण में कहा था कि,
"सफलता का जश्न मनाना ठीक है लेकिन असफलता के सबक पर ध्यान देना अधिक महत्वपूर्ण है।"
११. हेलेन केलर की प्रेरणादायक कहानी:
प्रसिद्ध अमेरिकी लेखिका, हेलेन केलर, एक बधिर और दृष्टिहीन महिला थीं। उन्होंने अपनी असफलताओं को अपने जीवन का अंत नहीं बनने दिया। बचपन में एक बीमारी के कारण अपनी दृष्टि और सुनने की क्षमता खो देने के बाद भी उन्होंने खुद पर विश्वास बनाए रखा। अपनी दृढ़ इच्छा और मेहनत के बल पर उन्होंने न केवल पढ़ाई की, बल्कि एक सफल लेखिका, वक्ता और समाज-सुधारक के रूप में अपनी पहचान बनाई।
असफलता से सफलता की कहानी में सबसे महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि व्यक्ति असफलता को एक चुनौती के रूप में स्वीकार करे। जीवन में आने वाली असफलताओं को हमें रोकने का नहीं, बल्कि हमें और मजबूत बनाने का अवसर मानना चाहिए। जब व्यक्ति असफलता को अपनी चुनौती मानता है, तब वह उसे पार कर सफलता की बुलंदियों को छूता है।
१२. जे. के. राउलिंग:
विश्व प्रसिद्ध उपन्यास-श्रृंखला, "हैरी पॉटर" की लेखिका जे. के. राउलिंग अपने बारे में बताती हैं, "मेरी शादी बहुत कम उम्र में हुई थी, जो टूट गयी थी और मैं बेरोजगार थी। मैं अपने माता-पिता के साथ आधुनिक ब्रिटेन के सबसे गरीब लोगों में से एक थी। जब राउलिंग ने पहली हैरी पॉटर पुस्तक लिखी, तब वह तलाकशुदा, दिवालिया और कल्याणकारी योजनाओं पर निर्भर थीं। जे. के. राउलिंग हार्वर्ड में अपने भाषण के दौरान असफलता के महत्व और मूल्य को उजागर करते हुए कहा था कि, "आप शायद कभी भी उस पैमाने पर असफल न हों, जिस पैमाने पर मैं असफल हुई। इस असफलता से मजबूती और दृढ़ निश्चय के साथ बाहर आना ही सफलता की सबसे बड़ी कुंजी थी।"
निष्कर्ष:
असफलता से सफलता की कहानी हमें यह सिखाती है कि असफलता जीवन का अंत नहीं, बल्कि सफलता की ओर बढ़ने का एक महत्वपूर्ण पायदान है। असफलता हमें आत्ममूल्यांकन, सुधार, और नए दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ने का अवसर देती है। जो लोग असफलता को चुनौती के रूप में स्वीकार करते हैं और उससे सीख लेकर अपने प्रयासों को जारी रखते हैं, वे अंततः सफलता प्राप्त करते हैं। असफलता हमें धैर्य, दृढ़ निश्चय, और आत्मविश्वास का महत्व सिखाती है। यह हमें बताती है कि सफलता की डगर असफलता से होकर ही गुजराती है। जो इन कठिनाइयों का सामना करके आगे बढ़ते हैं, सही मायने में सफलता का स्वाद वही चखते हैं।
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