18 अगस्त 2024

समय चूकि पुनि का पछिताने, का वर्षा जब कृषि सुखाने

भूमिका:-

मनुष्य के जीवन में समय का महत्त्व असीमित और अमूल्य है। समय किसी के लिए नहीं रुकता और इसका सही ढंग से उपयोग करने वाला व्यक्ति ही जीवन में सफलता प्राप्त करता है। हमारे प्राचीन ग्रंथों, साहित्य और लोक-कथाओं में समय की महत्ता पर विशेष बल दिया गया है। गोस्वामी तुलसीदास जी के इस कथन "समय चूकि पुनि का पछिताने, का वर्षा जब कृषि सुखाने" में भी यही संदेश दिया गया है कि यदि समय पर काम नहीं किया जाए तो बाद में व्यर्थ का पछताना होता है। 

भारतीय समाज में कृषि का भी महत्त्वपूर्ण स्थान है। हमारे देश की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है। इसलिए, भारतीय साहित्य, संस्कृति और परंपराओं में कृषि का महत्वपूर्ण स्थान है। इस संदर्भ में तुलसीदास जी की उक्ति "का समय चूकि पुनि का पछताना, का वर्षा जब कृषि सुखाने" एक महत्वपूर्ण सामाजिक और दार्शनिक संदेश देती है। यह उक्ति न केवल एक सामान्य सत्य को दर्शाती है, बल्कि इसके पीछे गहरे अर्थ भी छिपे हैं। यह उक्ति जीवन के हर क्षेत्र में समय की प्रासंगिकता को दर्शाती है। इस निबंध में हम इस उक्ति के विविध आयामों को विस्तार से समझने का प्रयास करेंगे। इसका उद्देश्य न केवल इस उक्ति के  अर्थ को समझना होगा, बल्कि इसके पीछे के व्यापक सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भों को भी उद्घाटित करना है।

Source: You Tube

तुलसीदास जी के कथन का महत्व और उसकी प्रासंगिकता:-

तुलसीदास जी का कथन "समय चूकि पुनि का पछिताने ....." सरल शब्दों में गहरी सच्चाई प्रकट करता है। यह कथन हमें बताता है कि यदि हम सही समय पर सही काम न करें, सही समय पर सही निर्णय न लें, तो बाद में व्यर्थ का पछताना होता है। इसका एक अर्थ यह भी है कि किसी भी कार्य को करने का एक उचित समय होता है, और यदि उस समय को हमने खो दिया, तो हमारी सारी कोशिशें बेकार हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, यदि किसान सही समय पर अपनी फसल नहीं बोता और समय पर सिंचाई नहीं करता, तो बाद में बारिश आने पर भी उसकी फसल को कोई फायदा नहीं होगा। इसी प्रकार, यदि विद्यार्थी परीक्षा के समय पढ़ाई नहीं करता और बाद में पछताता है, तो उसका पछतावा भी उसे कोई लाभ नहीं देगा। यह सिद्धांत जीवन के हर क्षेत्र में लागू होता है, चाहे वह शिक्षा हो, व्यवसाय हो, व्यक्तिगत संबंध हो, या फिर कोई अन्य क्षेत्र।

समय की महत्ता को समझना अत्यंत आवश्यक है। एक बार जो समय बीत जाता है, वह कभी वापस नहीं आता। इसलिए हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम अपने हर पल का सदुपयोग कर रहे हैं। समय का मूल्य इस बात से भी समझा जा सकता है कि दुनियाँ के हर सफल व्यक्ति ने समय की कीमत को बखूबी समझकर उसके प्रबंधन को अपनी प्राथमिकता दी है। उनका मानना है कि समय का सदुपयोग ही सफलता की कुंजी है।

समय की कीमत और उसका महत्व:

समय को न तो देखा जा सकता है और न ही इसे स्पर्श किया जा सकता है। यह एक अमूर्त वस्तु है, परंतु इसका प्रभाव हमारे जीवन के हर क्षेत्र में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। समय निरंतर चलायमान है, और इसे रोका या वापस लाया नहीं जा सकता। एक बार जो समय बीत गया, वह फिर कभी नहीं लौटता। समय को न तो खरीदा जा सकता है और न ही संचित किया जा सकता। इसी कारण समय को सबसे मूल्यवान और महत्वपूर्ण संसाधन माना जाता है। इसकी प्रकृति को समझने के लिए यह जानना आवश्यक है कि यह एक अदृश्य शक्ति की तरह जीवन की गति को संचालित करता है। समय हमें न केवल प्रगति करने के अवसर देता है बल्कि यह हमें जीवन में निरंतरता बनाए रखने की प्रेरणा भी देता है।

समय की महत्ता पर तुलसीदास जी की यह उक्ति स्पष्ट संकेत देती है कि जीवन में किसी भी कार्य को समय पर करना आवश्यक है। अगर हम समय का ध्यान नहीं रखते और उसे व्यर्थ में गवाॅं देते हैं, तो हमें बाद में सिर्फ पछताना पड़ता है।

समय बड़ा बलवान है:

समय के पास बहुत बड़ी शक्ति होती है, जो किसी भी परिस्थिति, व्यक्ति या घटना को बदल सकती है। समय में इतनी ताकत होती है कि वह बड़े से बड़े साम्राज्य को गिरा सकता है, बड़े से बडे़ राजा-महाराजा को फकीर बना सकता है और साधारण इंसान को महान भी बना सकता है। जैसे कहा गया है, "पुरुष बली नहिं होत है, समय होत बलवान"। समय के प्रभाव से कठिन से कठिन परिस्थितियाँ भी बदल सकती हैं, और यह अच्छे-बुरे हर तरह के हालात में परिवर्तन ला सकता है। समय के साथ ही हर घाव भरता है, कठिनाइयाँ समाप्त होती हैं, और प्रयासों का फल मिलता है। इसीलिए धैर्य रखना और समय का सम्मान करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि समय के साथ सब कुछ बदल सकता है।

कृषि और ग्रामीण जीवन में समय की भूमिका:

कृषि और ग्रामीण जीवन में समय का महत्व और भी अधिक होता है। खेती में हर काम जैसे- जुताई, बुवाई, सिंचाई, और फसल की कटाई आदि का समय निश्चित होता है। अगर इनमें से किसी भी कार्य में विलंब होता है, तो पूरी फसल बर्बाद हो सकती है। उदाहरण के लिए, अगर बुवाई का समय निकल जाए और बारिश ही देर से आए, तो फसल की पैदावार पर बुरा प्रभाव पड़ता है और इससे किसानों को भारी नुकसान होता है।

कृषि और प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भरता:

भारतीय कृषि मुख्यतः मानसून पर निर्भर करती है। बारिश का सही समय पर होना फसल की अच्छी पैदावार के लिए महत्वपूर्ण होता है। यदि बारिश में देरी होती है, तो फसलें सूखने लगती हैं और सूखने के बाद बारिश होने से भी उन्हें कोई विशेष लाभ नहीं होता। इसी कारण, समय की पाबंदी को किसानों के जीवन का अहम हिस्सा माना जाता है। तुलसीदास ने इसी संदर्भ में यह उक्ति कही है, जो आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी की वह पहले थी।

जीवन के अन्य पहलुओं पर प्रभाव:

यह उक्ति केवल कृषि तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका प्रभाव जीवन के विभिन्न सभी पहलुओं पर भी व्यापक रूप से पड़ता है। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, रिश्ता-नाता आदि, हर क्षेत्र में समय का महत्त्व है। यदि हम शिक्षा के समय का सही उपयोग नहीं करते, तो जीवन में हमें इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। इसी प्रकार, रिश्तों में भी समय पर ध्यान न देने से दरारें पड़ती हैं, जिन्हें बाद में सुधारना मुश्किल हो जाता है।

प्रबंधन और नेतृत्व में समय की महत्ता:

व्यावसायिक और संगठनात्मक प्रबंधन में भी समय का अत्यधिक महत्व है। सही समय पर सही निर्णय लेना किसी भी संगठन की सफलता के लिए बड़ा महत्वपूर्ण होता है। यदि निर्णय लेने में देरी होती है, तो अवसर हाथ से निकल सकता है और संगठन को नुकसान हो सकता है। इसलिए, प्रबंधन और नेतृत्व के क्षेत्र में भी इस उक्ति का विशेष महत्व है।

समय के साथ चलने की चुनौती:

आज के युग में जब परिवर्तन की गति अत्यधिक तेज हो गई है, तब समय के साथ चलना और भी चुनौतीपूर्ण हो गया है। आज हर व्यक्ति, हर संगठन को समय की पाबंदी का अनुपालन करना पड़ता है। आज के डिजिटल-युग में जब सूचना का प्रवाह तेजी से होता है, तब समय पर निर्णय लेना और उसे कार्यान्वयन करना और भी अनिवार्य हो जाता है।

निष्कर्ष:-

गोस्वामी तुलसीदास जी का यह कथन, "समय चूकि पुनि का पछिताने, का वर्षा जब कृषि सुखाने" हम सबके लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है। इस कथन का महत्व केवल कृषि तक ही सीमित नहीं है, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में है। ठीक समय पर किए गए कार्य ही सफल होते हैं और  हमें संतोष प्रदान करते हैं। समय का सदुपयोग ही जीवन के हर क्षेत्र में सफलता की कुंजी है, चाहे वह व्यक्तिगत हो, सामाजिक हो, या व्यावसायिक जीवन हो। आज के युग में जब समय के साथ तालमेल बिठाना आवश्यक हो गया है, तब यह उक्ति और भी प्रासंगिक हो जाती है। यह हमें याद दिलाती है कि जीवन में समय का सदुपयोग करना न केवल आवश्यक है, बल्कि अनिवार्य भी है। अगर हमने समय का पालन नहीं किया, तो हमें अपने निर्णयों और कर्मों का भारी मूल्य चुकाना पड़ सकता है।

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